नई दिल्ली । देश में लगातार दो राज्य ऐसे हैं जहां पर कोरोना संक्रमण के सबसे अधिक मामले सामने आ रहे हैं। इनमें पहला नंबर जहां केरल का है वहीं दूसरे नंबर पर महाराष्ट्र आता है। इन दोनों राज्यो
ं पर यदि गौर करें तो इनमें काफी कुछ समानता है। इन दोनों ही जगहों से विदेश जाने वालों की अच्छी खासी संख्या होती है। लेकिन वहीं यदि केरल की बात करें तो पता चलता है कि यहां के अधिकतर लोग कुछ खास क्षेत्र में नौकरी करने जाते हैं। उनका कहना है कि केरल में देश का पहला कोरोना मरीज सामने आया था जो वुहान से आया था। यहां पर महामारी की प्रथम लहर के साथ ही इसको रोकने की भी जबरदस्त कवायद शुरू की गई थी। बढ़ते मामलों के चलते लगाए गए कड़े प्रतिबंधों का लोगों ने भी सख्ती से पालन किया। इसके लिए वहां की सरकार की भी प्रशंसा की गई थी। यहां पर कोरोना की रोकथाम को बनाए गए नियमों को जिस तरह से लागू किया गया उसकी बदौलत पहली लहर पर इस राज्य ने बखूबी काबू पाया था। लेकिन दूसरी लहर में इसी राज्य में कोरोना संक्रमण के मामले बढ़े। इसकी एक बड़ी वजह विदेशों से अपने घर पर आने वाले लोग भी हो सकते हैं। उन्होंने बताया कि हाल ही में हुए सिरो सर्वे में ये बात सामने आई है कि यहां पर करीब 55-60 फीसद लोग संक्रमण के दायरे से अब भी बाहर हैं। इस दौरान 40-45 फीसद लोग ही संक्रमित हुए। गौरतलब है कि भारत में डेल्टा वैरिएंट दूसरी लहर फैलाने का सबसे बड़ा कारक बना था। इस दौरान केरल में वो लोग इसके दायरे में आए जो पहली लहर के दौरान बच गए थे। उनके मुताबिक इस संक्रमण का दायरा अभी और बढ़ेगा। जब तक अधिकतर लोग इसके दायरे में नहीं आ जाते हैं तब तक ये दौर जारी रहेगा। हालांकि इस संक्रमण को वैक्सीन के जरिए कम जरूर किया जा सकता है। डाक्टर जुगल किशोर मानते हैं कि केरल में वैक्सीनेशन प्रोसेस भी तेजी से चल रहा है। लेकिन इसको और तेज करने की जरूरत है। वैक्सीन को तेजी से करने पर भी यदि इसका संक्रमण बढ़ता है तो ये खतरनाक नहीं होगा। वैक्सीनेशन के बाद कोरोना से होने वाली मौतों को कम किया जा सकता है। ये बात शोध में भी सामने आ चुकी है। देश के स्वास्थ्य मंत्रालय के ताजा आंकड़ों के मुताबिक 30 जुलाई 2021 की सुबह सात बजे तक कोरोना वैक्सीन की कुल 1,92,71,414 खुराक दी जा चुकी हैं। इनमें 1,34,65,992 को पहली और 58,05,422 को दूसरी खुराक दी जा चुकी है।
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