नई दिल्ली, किसान आंदोलन: 3 केंद्रीय कृषि कानूनों की खिलाफ पंजाब, हरियाणा और उत्तर प्रदेश समेत आधा दर्जन रा्ज्यों के किसानों का धरना बृहस्पतिवार को 15वें दिन में प्रवेश कर गया है। इस बीच केंद्री
य कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर (Union Agriculture Minister Narendra Singh Tomar) ने किसानों से अपील की है कि ने अपना आंदोलन समाप्त करें और सरकार के साथ सहयोग करें। बताया जा रहा है कि केंद्रीय मंत्री बृहस्पतिवार को इस मुद्दे पर मीडिया से भी रूबरू हो सकते हैं। केंद्रीय मंत्री केंद्रीय मंत्री राव साहब दानवे के उस बयान पर किसानों ने नाराजगी जताई है, जिसमें उन्होंने किसान आंदोलन में चीन और पाकिस्तान का हाथ बताया था। अखिल भारतीय किसान सभा के जनरल सेक्रेटरी हन्नान मोहल्ला ने प्रतिक्रिया में कहा कि यह भारतीय किसानों का अपमान है। किसान अपने स्वयं के हितों का नेतृत्व करते हैं। बृहस्पतिवार सुबह प्रदर्शन की कड़ी में यूपी गेट पर जुटे किसानों ने डाबर से आने वाले रोड को किसानों ने बंद कर दिया, जिसके बाद पुलिस ने कड़ी मशक्कत कर उसे खुलवा दिया। सिंघु बॉर्डर पर प्रदर्शनकारियों के बीच मौजूद भारतीय किसान यूनियन के नेता मनजीत सिंह (Bharatiya Kisan Union's Manjeet Singh) ने कहा कि सरकार की मंशा किसानों के आंदोलन को कमजोर करने की है, लेकिन कई और किसान आंदोलन में शामिल होने के लिए दिल्ली आ रहे हैं। हम दिल्ली के लोगों से हमारा समर्थन करने की अपील करते हैं। किसानों के धरना-प्रदर्शन से दिल्ली से यूपी और हरियाणा के दर्जनभर रास्ते सील हैं, जिससे लोगों को दिक्कत पेश आ रही है। दिल्ली से सटे टीकरी बॉर्डर, सिंघु बॉर्डर के साथ दिल्ली-यूपी गेट पर भी किसान डटे हुए हैं, जिससे लोगों को परेशानी हो रही है। वहीं, जिस तरह से किसानों और केंद्र सरकार के बीच गतिरोध कायम है, उससे लगता नहीं है कि आने वाले कुछ दिनों में हालात में सुधार होगा। वहीं, इससे पहले बुधवार को सिंघु बॉर्डर पर किसान संगठनों ने बैठक के बाद केंद्र सरकार की तरफ से भेजे गए प्रस्ताव को खारिज कर दिया है। इतना ही नहीं प्रदर्शन को तेज करने की कड़ी में किसान नेताओं ने घोषणा की है कि कि वे 12 दिसंबर को दिल्ली-जयपुर हाइ-वे और दिल्ली-आगरा हाइ-वे को जाम करेंगे। किसान नेताओं ने कहा कि उनके संगठन के कार्यकर्ता 14 दिसंबर को देशभर में भाजपा के दफ्तरों के सामने विरोध प्रदर्शन करेंगे। वहीं, बुराड़ी के निरंकारी समागम मैदान में इकट्ठा हुए किसानों ने सरकारी सुविधाओं के इस्तेमाल से इनकार कर दिया। किसान नेता ने कहा कि संघर्ष हमेशा लोगों की अपनी क्षमताओं पर किया जाता है। हम सहानुभूति रखने वालों से मदद लेते हैं लेकिन सरकारों से नहीं। सरकारें केवल वोट हासिल करने के लिए काम करती हैं। केंद्र सरकार की ओर से बुधवार को कानूनों में बदलाव का प्रस्ताव किसानों को भेजा गया था। वहीं, सरकार के प्रस्ताव पर फैसला लेने के लिए सिंघु बॉर्डर पर किसानों से चर्चा हो रही है। बताय
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