- देवताओं का यह शयनकाल देवशयनी 20 जुलाई, 2021 से 14 नवम्बर, देव प्रबोधिनी तक 4 मास चलेगा। खोजी/सुभाष कोहली कालका। आषाढ़ महीने के शुक्लपक्ष की एकादशी को देवशयनी एकादशी भी कहते हैं। इस दिन से भगवान विष
णु क्षीरसागर में योग निद्रा में रहते हैं। इसी दिन से चातुर्मास की शुरुआत मानी जाती है। कुछ जगहों पर इस तिथि को पद्मनाभा भी कहा जाता है। यह कहना है बसंत विहार कालका स्थित नीलकंठ मंदिर के ज्योतिषाचार्य एवं वास्तु सलाहकार चन्द्रकान्त का। चन्द्रकान्त का कहना है कि पुराणों के अनुसार इन दिनों भगवान विष्णु, राजा बलि के द्वार पर रहते हैं और इस दिन से चार महीने (चातुर्मास) बाद कार्तिक महीने के शुक्लपक्ष की एकादशी को वापस जागते हैं। पुराणों में देवशयनी एकादशी का महत्व शास्त्रों के अनुसार, देवशयनी एकादशी से चातुर्मास शुरू हो जाता है और चार महीने के लिए मांगलिक काम और कुछ संस्कार कर्म रुक जाते हैं। हालांकि पूजन, अनुष्ठान, मरम्मत करवाए गए घर में प्रवेश, वाहन और आभूषण खरीदी जैसे काम किए जा सकते हैं। चातुर्मास के दौरान स्नान-दान, व्रत-उपवास और तप किए जाते हैं। भागवत महापुराण के अनुसार आषाढ़ माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को शंखासुर राक्षस मारा गया था। उस दिन से भगवान चार महीने तक क्षीर समुद्र में सोते हैं। देवशयनी व्रत का फल ब्रह्मवैवर्त पुराण में देवशयनी एकादशी व्रत को बहुत खास माना गया है। इस एकादशी को सौभाग्यदायिनी एकादशी कहा जाता है। पद्म पुराण के अनुसार इस दिन व्रत या उपवास रखने से जाने-अनजाने में किए गए पाप खत्म हो जाते हैं। इस दिन विधि-विधान से पूजा करने से मोक्ष की प्राप्ति होती है। ब्रह्मवैवर्त पुराण के अनुसार इस व्रत को करने से मनोकामना भी पूरी होती है। व्रत करने वाले के जाने-अनजाने में हुए पाप खत्म हो जाते हैं। इस दिन भगवान विष्णु की पूजा और श्रद्धा के मुताबिक किए गए दान से कई गुना पुण्य फल मिलता है। इस दिन व्रत करने से उम्र बढ़ती है और शारीरिक परेशानियां भी कम होने लगती है। चावल खाने से नहीं मिलता व्रत का फल इस दिन चावल नहीं खाना चाहिए। एकादशी पर चावल खाने से व्रत का फल नहीं मिलता है। अच्छी सेहत चाहने वालों को इस दिन गुड़ नहीं खाना चाहिए। लंबी उम्र या संतान चाहने वाले लोगों को इस दिन तेल मालिश नहीं करवानी चाहिए। तला-गला खाने का त्याग करने से समृद्धि बढ़ती है। वहीं इस दिन सूर्योदय के बाद तक और दिन में नहीं सोना चाहिए। झूठ न बोलें। मांस, शहद और अन्य तामसिक चीजों दही और चावल आदि का सेवन करना, मूली, पटोल और बैंगन आदि का त्याग करना चाहिए। मान्यता: देवशयनी एकादशी से अगले 4 महीने पाताल में रहते हैं भगवान वामन पुराण के मुताबिक पाताल लोक के अधिपति राजा बलि ने भगवान विष्णु से पाताल स्थिति अपने महल में रहने का वरदान मांगा था। इसलिए माना जाता है कि देवशयनी एकादशी से अगले 4 महीने तक भगवान विष्णु पाताल में राजा बलि के महल में निवास करते हैं। इसके अलावा अन्य मान्यताओं के अनुसार शिवजी महाशिवरात्रि तक और ब्रह्मा जी शिवरात्रि से देवशयनी एकादशी तक पाताल में निवास करते हैं।
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