श्रीलंका के पूर्व खिलाड़ी रसेल अर्नाल्ड का मानना है कि सीनियर खिलाड़ियों के एक साथ जाने के कारण श्रीलंका क्रिकेट का स्तर गिरता चला गया, जिसकी भरपाई करने के लिए अभी भी टीम प्रयासरत है। हालांक
टीम खेलती जा रही है लेकिन जीत नहीं रही। ऐसे में उसका हाल बुलेट (बंदूक की गोली) चबाने जैसा है। श्रीलंका और भारत के खिलाफ वनडे सीरीज रविवार से शुरू होगी। इसको लेकर रसेल अर्नाल्ड से अभिषेक त्रिपाठी ने खास बातचीत की। पेश है प्रमुख अंश : -इस सीरीज के लिए आप श्रीलंका टीम को कैसे देखते हैं? -यह काफी रोचक है क्योंकि पिछले कुछ सालों से तो श्रीलंका क्रिकेट टीम की कोई दिशा नजर नहीं आ रही है। एक बार फिर से नया कप्तान है। बहुत कुछ उथल-पुथल चोटों के चलते भी जारी है। श्रीलंका अभी भी सही राह की तलाश में हैं और उसके लिए कई फैसले भी ले रहा है। कुछ सीनियर खिलाडि़यों के होते हुए भी उन्हें क्वालिफिकेशन (टी-20 विश्व कप) में जाना पड़ा, जबकि टीम की रैंकिंग 8 या 9 के पास रही। यह कठिन फैसला है कि युवाओं को मौका दिया जा रहा है। आपको अपने सबसे बेहतरीन खिलाडि़यों को भी मौका देना होगा। इस लिहाज से श्रीलंका के लिए यह सीरीज काफी कठिन होने वाली है। -अर्जुन रणतुंगा ने श्रीलंका क्रिकेट बोर्ड पर सवाल उठाते हुए कहा था कि यह भारत की बी टीम से खेलना खराब फैसला है? -मेरे विचार से यह भारतीय टीम काफी मजबूत है और हर देश को भारत की तरह बनना चाहिए कि वह एक समय में दो इतनी मजबूत टीम बनाकर भेज सकता है। भारत की इस टीम में काफी अनुभवी खिलाड़ी भी हैं तो कई शानदार युवा खिलाड़ी भी हैं। इतना ही नहीं टीम में काफी गहराई भी है तो एक समय में इस तरह की दो टीमों को बनाने की योग्यता भारतीय क्रिकेट के पास है इसकी मैं सराहना करता हूं। क्योंकि कोरोना महामारी के कारण जिस तरह के हालात हैं, उसमें बायो-बबल भी है तो ऐसे में दो टीमें बनाने से खिलाडि़यों को आराम भी मिल रहा है। यह काफी अच्छी चीज है। -आप श्रीलंका के लिए एक फिनिशर का रोल अदा करते थे। ऐसे में आपको वर्तमान श्रीलंका टीम में जैसा कोई खिलाड़ी नजर आ रहा है? जिस तरह से टीम पिछले कुछ महीनों में खेली है। उससे साफ नजर आता है कि खिलाड़ी खेल को समझ नहीं पा रहे हैं। क्रिकेट हो या फिर आपका जीवन, उसमें छोटे-छोटे लक्ष्य का होना बहुत जरूरी है और उन्हें हासिल करने के बाद ही आप अंत तक पहुंच सकते हैं। इंग्लैंड के खिलाफ भी खिलाड़ी स्थिति के अनुसार बल्लेबाजी नही कर पा रहे थे और ना ही बल्लेबाजी में गियर शिफ्ट कर पा रहे थे। इस तरह मेरे विचार से एंजेलो मैथ्यूज के बाद मुझे नहीं लगता है कि कोई भी श्रीलंका का खिलाड़ी क्रिकेट के खेल को पढ़ पा रहा है। -श्रीलंका टीम में एक समय महेला जयवर्धने, कुमार संगाकारा, सनत जयसूर्या, चमिंडा वास, लसित मलिंगा और आप थे, अब टीम में इस तरह के कोई मजबूत स्तंभ नहीं नजर आते हैं। ऐसा हाल क्यों हुआ? 1996 विश्व कप के बाद कई शानदार खिलाड़ी जैसे मर्वन अट्टापट्टू और सनत जयसूर्या आए। जिन्होंने क्रिकेट जगत में अपनी धाक जमाई। इसके बाद महेला जयवर्धने, तिलकरत्ने दिलशान और कुमार संगाकारा जब टीम में आए उस समय सीनियर खिलाड़ी अच्छा प्रदर्शन कर रहे थे तो इन लोगों ने निडर होकर अपने शुरुआती दिनों में क्रिकेट खेला। मुझे याद है कि 2007 विश्व कप में युवा खिलाडि़यों के तौर पर लसित मलिंगा, दिलहारा फर्नांडो, और तिलकरत्ने दिलशान जैसे शानदार विकल्प मौजूद थे। मगर अभी आप देखें तो ऐसे कोई युवा खिलाड़ी नजर नहीं आ रहे हैं। मेरे विचार से सीनियर खिलाड़ी के बाहर होने के बाद ऐसे युवा खिलाड़ी श्रीलंका क्रिकेट को नहीं मिले जो उनकी जगह भर पाते। यही कारण है कि श्रीलंका क्रिकेट पीछे होता चला गया। इसमें एक कारण यह भी कि जयवर्धने और संगाकारा जैसे खिलाड़ी बढ़ती उम्र के साथ एक ही समय में टीम से बाहर हुए और युवा खिलाड़ियों से आप उन्ही की तरह अपेक्षाएं करने लगे। जो कि इतना आसान नहीं था और श्रीलंका क्रिकेट फीका पड़ता गया। -साल 2017 के बाद से श्रीलंका के करीब 9 से 10 वनडे कप्तान बदले गए हैं। इसके बारे में क्या कहना चाहेंगे ? यह बहुत ही दुर्भाग्यशाली बात है कि पिछले कुछ सालों से जो जीत की राह हम खोज रहे हैं उसमें इतने बदलाव करते चले गए। जब आपको नतीजे नहीं मिल रहे होते हैं तो आप बदलाव करते चले जाते हैं। दरअसल, श्रीलंका को इंग्लैंड और भारत के जैसा कोई खिलाड़ी ही नहीं मिला जो लगातार शानदार प्रदर्शन करके टीम के मनोबल को उठा पाता और उसे आगे ले जा पाता। टीम की सफलता के लिए कप्तान का नियमित प्रदर्शन करना बहुत आवश्यक है। जिससे पूरी टीम पर असर पड़ता है। ऐसा खिलाड़ी न मिलने के कारण कप्तान बदलते गए और यह बहुत ही चिंताजनक बात है। -इस साल टी-20 विश्व कप है और उसके बाद विश्व कप है तो श्रीलंका क्रिकेट के भविष्य को किस तरह देखते हैं ? पहले तो श्रीलंका टीम को क्वालीफायर्स मैच खेलने होंगे और वहां पर दबाव भी होगा। अभी भारत के खिलाफ आगामी सीरीज और इसके बाद दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ सीरीज में आपको जीत की राह तलाशनी होगी क्योंकि इसके बाद फिर आपको समय नहीं मिलेगा। इस साल विश्व कप है फिर उसके बाद अगले साल भी विश्व कप है। ऐसे में यह बहुत ही महत्वपूर्ण समय है कि भारत और दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ सीरीज में गेम प्लान को समझे और मैदान में उतरें। जिससे इस साल होने वाले क्वालीफायर्स में आत्मविश्वास के साथ उतरें। श्रीलंका की टीम ऐसा करती है तो किसी भी टीम की पार्टी खराब कर सकती है। वहीं, 2023 विश्व कप के लिए भी अभी से तैयारी दिमाग में रखनी होगी। अगर मैच खेलते हैं और जीत के नतीजे नहीं मिलते हैं तो कहावत है ना कि आपको कभी-कभी बुलेट (गोली) भी चबानी पड़ती है। वैसा ही हाल रहने वाला है। -राहुल द्रविड़ को श्रीलंका दौरे पर भारतीय टीम का कोच बनाकर भेजा गया है, इस पर आपकी क्या राय है? राहुल द्रविड़ काफी दिनों से युवा खिलाड़ियों के साथ काम कर रहे हैं। मैंने उन्हें अंडर-19 के भी खिलाड़ियों को सीखाते हुए देखा है। उनके स्वभाव में गजब की शांति है जो युवाओं को काफी पसंद है। वह ना सिर्फ क्रिकेट की बारीकियां सिखाते हैं बल्कि कैसे इस गेम का जेंटलमैन (यानी अच्छा आदमी) कैसे बनना है, वह भी सिखाते हैं। द्रविड़ ना सिर्फ भारतीय बल्कि कोई भी विदेशी खिलाड़ी अगर उनसे बात करता है तो वह उसे भी सिखाते हैं। इस चीज की तरफ श्रीलंका क्रिकेट को भी काम करना चाहिए। -दोनों टीमों की तुलना करें तो कौन सी टीम और क्यों मजबूत नजर आ रही है? इस समय की बात करें तो मेरे हिसाब से भारत का पलड़ा मजबूत नजर आ रहा है क्योंकि उनके पास कई ऐसे खिलाड़ी हैं जो अपना खेल जानते हैं कि उन्हें क्या और कैसे करना है। जबकि युवा खिलाड़ियों को भी पता है कई सीनियर खिलाड़ी इंग्लैंड में हैं तो वे इस मौके का जमकर फायदा उठाएंगे। वहीं श्रीलंका क्रिकेट अभी भी अपनी राह तलाश रहा है इसलिए मेरे हिसाब से भारत की टीम ज्यादा मजबूत नजर आ रही है।
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