आज भाई दूज का त्योहार मनाया जाता है। यह दिन भाई-बहन के प्यार का प्रतीक है। इस त्यौहार के साथ ही दीपोत्सव का समापन हो जाता है। इस दिन भाई अपनी बहनों के घर जाते हैं और बहनें उन्हें टीका कर प्यार से
खाना खिलाती हैं। भाई दूज विक्रमी संवत नववर्ष का दूसरे दिन भी कहा जाता है। आइए जानते हैं भाई दूज का शुभ मुहूर्त, पूजन विधि, मंत्र इत्यादि। भाई दूज शुभ मुहूर्त: भाई दूज का शुभ मुहूर्त 1:10 बजे से शुरू होकर 3:18 बजे तक है। इस दिन की तिथि 16 नवंबर को सुबह 7:06 बजे शुरू होकर 17 नवंबर को 3:56 बजे तक होगी। भाई दूज का महत्व: रक्षाबंधन की तरह भाई दूज भी बेहद खास होता है। इस दिन बहनें अपने भाईयों के माथे पर तिलक लगाती हैं। साथ ही उनकी सुख-समृद्धि की कामना करती हैं। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इस दिन यमुना में डुबकी भी लगाई जाती है। इस दिन यमुना में स्नान का महत्व बहुत ज्यादा है। इस दिन भगवान चित्रगुप्त की पूजा का भी विधान है। मान्यता है कि इसी दिन पूरे जगत का लेखाजोखा रखने वाले भगवान चित्रगुप्त का जन्म हुआ था। इस दिन कलम दवात की पूजा की जाती है। भाई दूज पूजा सामग्री: आरती की थाली तिलक (लाल रंग) चावल के बिना टूटे दानें एक साबूत श्रीफल (नारियल) कलावा दूब घास मिठाई केले भाई दूज की पूजन विधि: इस दिन सुबह उठकर स्नान आदि से निवृत्त हो जाएं। फिर भाई-बहन दोनों मिलकर यम, चित्रगुप्त और यम के दूतों की पूजा करें। इन सभी को तथा सबको अर्घ्य दें। फिर बहन अपने भाई को घी और चावल का टीक लगाती है। इसके बाद भाई को सिंदूर, पान, सुपारी और सूखा नारियल यानी गोला दिया जाता है। इसके बाद बहन अपने भाई के हाथ में कलावा बांधती है और मुंह मीठा कराती है। इस दिन बहन अपने भाई की लंबी उम्र की कामना करती है।
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