आज चित्रगुप्त पूजा है। यह हर वर्ष कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि के दिन होता है। आज के दिन ही यम द्वितीया या भाई दूज भी होता है। चित्रगुप्त पूजा के दिन कलम दवात की पूजा करने का विधा
न है। देवताओं के लेखपाल चित्रगुप्त महाराज मनुष्यों के पाप-पुण्य का लेखा-जोखा रखते हैं। कार्तिक शुक्ल द्वितीया को नई कलम या लेखनी की पूजा चित्रगुप्त जी के प्रतिरूप के तौर पर होती है। कायस्थ या व्यापारी वर्ग के लिए चित्रगुप्त पूजा दिन से ही नववर्ष का अगाज माना जाता है। चित्रगुप्त पूजा मुहूर्त कार्तिक शुक्ल द्वितीया तिथि का प्रारंभ आज 16 नवंबर को सुबह 07:06 बजे से हो रहा है, जो 17 नवंबर को तड़के 03:56 बजे तक है। ऐसे में आप चित्रगुप्त पूजा 16 नवंबर को करें। इस दिन सर्वार्थ सिद्धि योग सुबह 06:45 से दोपहर 02:37 तक है। विजय मुहूर्त दोपहर 01:53 बजे से दोपहर 02:36 तक है। अभिजित मुहूर्त दिन में 11:44 बजे से दोपहर 12:27 बजे तक है। आप इन मुहूर्त में चित्रगुप्त पूजा कर सकते हैं। चित्रगुप्त जी ऐसे हुए कायस्थ पौराणिक कथाओं के अनुसार, सृष्टि के रचानाकार ब्रह्मा जी ने चित्रगुप्त जी को उत्पन्न किया था। उनकी काया से उत्पन्न होने के कारण चित्रगुप्त जी कायस्थ भी कहे जाते हैं। उनका विवाह यमी से हुआ है, इस वजह से वे यम के बहनोई भी कहे जाते हैं। यम और यमी सूर्य देवह की जुड़वा संतान हैं। यमी ही बाद में यमुना के स्वरुप में पृथ्वी पर आ गईं। गईं। चित्रगुप्त पूजा विधि भाई दूज के दिन शुभ मुहूर्त में एक चौकी पर चित्रगुप्त महाराज की तस्वीर स्थापित करें। उनको अक्षत्, फूल, मिठाई, फल आदि चढ़ा दें। अब एक नई कलम उनको अर्पित करें तथा कलम-दवात की पूजा करें। अब सफेद कागज पर श्री गणेशाय नम: और 11 बार ओम चित्रगुप्ताय नमः लिख लें। अब चित्रगुप्त जी से विद्या, बुद्धि तथा लेखन का अशीर्वाद लें।
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