कनाडा की एक अदालत ने कानून की पढ़ाई कर रहे एक सिख छात्र ने राजशाही की अनिवार्य शपथ को कोर्ट में चुनौती दी। हालांकि सिख छात्र प्रबजोत सिंह विरिंग की याचिका खारिज कर दी गई। प्रबजोत ने इस मामले म
ं पिछले साल अल्बर्टा के एडमांटन शहर और प्रांत की ला सोसायटी पर मुकदमा दायर किया था। मामले की सुनवाई क्वींस बेंच की अदालत में हुई थी। कनाडा में कानून की पढ़ाई कर रहे एक सिख छात्र ने राजशाही की अनिवार्य शपथ को एक कोर्ट में चुनौती दी। हालांकि कोर्ट ने सिख छात्र प्रबजोत सिंह विरिंग की याचिका खारिज कर दी। प्रबजोत ने इस मामले में पिछले साल अल्बर्टा के एडमांटन शहर और प्रांत की ला सोसायटी पर मुकदमा दायर किया था। अमृतधारी सिख प्रबजोत ने अपने मुकदमे में कहा था कि राजशाही के नाम की अनिवार्य शपथ लेना उसकी धार्मिक मान्यताओं के विपरीत होगा। अल्बर्टा में प्रांतीय कानून के अनुसार, वकीलों को राजा, उनके उत्तराधिकारियों और भावी राजाओं के प्रति वफादार होने और सच्ची निष्ठा रखने की शपथ लेनी होती है। प्रबजोत ने कहा, 'उसने पूरी तरह से शपथ ली है और खुद को अकाल पुरख सिख धर्म में परमात्मा को सौंप दिया है। किसी अन्य के प्रति वह ऐसी निष्ठा नहीं रख सकता है।' जिस समय प्रबजोत ने मुकदमा दायर किया था उस समय महारानी एलिजाबेथ द्वितीय ब्रिटेन की गद्दी पर थीं। पूरे फैसले में उनका संदर्भ दिया गया है। मामले की सुनवाई क्वींस बेंच की अदालत में हुई थी।
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