जेनेवा, संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार के कार्यवाहक उच्चायुक्त (UNHC for Human Rights) ने सोमवार को कहा कि रूस ने अब यूक्रेन में युद्ध के खिलाफ आवाज उठाने वाले लोगों को डराना शुरू कर दिया है। कार्यवाहक उच्चाय
ुक्त नाडा अल नाशिफ ने कहा कि यूक्रेन में युद्ध के विरोध में आवाज उठाने वाले लोगों के खिलाफ धमकी, प्रतिबंधात्मक उपाय और प्रतिबंध जैसे कदम उठाए जा रहे हैं, जो संवैधानिक रूप से गारंटीकृत मौलिक स्वतंत्रता को कमजोर करते हैं। लोगों को डरा रहा रूस संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार के कार्यवाहक उच्चायुक्त ने जिनेवा में मानवाधिकार परिषद के उद्घाटन के अवसर पर कहा, 'रूसी संघ में यूक्रेन में युद्ध के विरोध में आवाज उठाने वाले लोगों के खिलाफ धमकी, प्रतिबंधात्मक उपाय और प्रतिबंध संवैधानिक रूप से गारंटीकृत मौलिक स्वतंत्रता को कमजोर करते हैं और इसमें अभिव्यक्ति और संघ के अधिकार भी शामिल हैं।' उन्होंने कहा कि मास्को पत्रकारों पर दबाव डालकर, इंटरनेट को रोककर और सेंसरशिप के अन्य रूपों के माध्यम से सूचना तक पहुंचने के अधिकार का उल्लंघन कर रहा है। रूस ने नहीं की टिप्पणी जिनेवा में रूस के राजनयिक मिशन ने टिप्पणी के अनुरोध का तुरंत जवाब नहीं दिया। बता दें कि मास्को ने इस साल सशस्त्र बलों को बदनाम करने, फर्जी सूचना फैलाने या गैर-स्वीकृत सार्वजनिक कार्रवाई का आह्वान करने वालों को दंडित करने के लिए मजबूत कानून बनाए हैं। वहीं, गैर-सरकारी संगठन राज्यों से रूस में कथित मानवाधिकार उल्लंघनों की जांच के लिए एक स्वतंत्र विशेषज्ञ बनाने के लिए परिषद की महीने भर चलने वाली बैठक में एक प्रस्ताव को अपनाने का आह्वान कर रहे हैं। मानवाधिकार परिषद से रूस निलंबित पिछले हफ्ते एक रूसी अदालत ने रूस के कुछ स्वतंत्र समाचार आउटलेट्स में से एक, नोवाया गज़ेटा का लाइसेंस छीन लिया था। इसके साथ ही संयुक्त राष्ट्र महासभा ने 24 फरवरी को यूक्रेन पर आक्रमण करने के कारण अप्रैल में रूस को 47 सदस्यीय मानवाधिकार परिषद के सदस्य के रूप में निलंबित कर दिया था। रूस ने यूक्रेन में नागरिकों को निशाना बनाने से इनकार किया है और कहा कि वह एक विशेष सैन्य अभियान चला रहा है, जिसका उद्देश्य यूक्रेन के सैन्य बुनियादी ढांचे को नष्ट करना है। यूक्रेन और सहयोगियों का कहना है कि मास्को ने बिना उकसावे के आक्रमण किया।
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