नई दिल्ली, हर साल 2 अप्रैल को दुनियाभर में विश्व ऑटिज़्म जागरूकता दिवस मनाया जाता है। इसका मकसद लोगों को ऑटिज़्म के बारे में जागरुक करना है और उन लोगों को सपोर्ट करना है जो इस विकार से जूझ रहे ह
ं। ऑटिज़्म से पीड़ित लोग दूसरों पर बहुत निर्भर होते हैं। इसलिए इस दिन, संयुक्त राष्ट्र ने लोगों से एक साथ आने और ऑटिस्टिक लोगों का समर्थन करने का आग्रह किया। संयुक्त राष्ट्र महासभा ने ऑटिज़्म से पीड़ित लोगों की आवश्यकता को उजागर करने के लिए 2 अप्रैल को विश्व ऑटिज़्म जागरूकता दिवस के रूप में घोषित किया। संयुक्त राष्ट्र महासभा के अनुसार, विश्व ऑटिज़्म दिवस का उद्देश्य "ऑटिस्टिक लोगों के जीवन की गुणवत्ता में सुधार करने में मदद करने की आवश्यकता पर प्रकाश डालना है ताकि वे समाज के अभिन्न अंग के रूप में पूर्ण और सार्थक जीवन जी सकें।" साल 2008 में, विकलांग लोगों के अधिकारों पर कन्वेंशन लागू हुआ, जिसमें सभी के लिए सार्वभौमिक मानवाधिकारों के मौलिक सिद्धांत पर ज़ोर दिया गया। ऑटिज़्म क्या है? ऑटिज़्म एक न्यूरोलॉजिकल स्थिति है, जो व्यक्ति में आजीवन रहती है। बच्चों में कम उम्र में ही यह स्थिति उजागर हो जाती है। यह ध्यान दिया जाना चाहिए कि ऑटिज़्म स्पेक्ट्रम शब्द कई विशेषताओं को संदर्भित करता है। जो बच्चा ऑटिज़्म से पीड़ित होता है, उसमें मुख्य तौर से सामाजिक दुर्बलता, बात करने में मुश्किल, प्रतिबंधित व्यवहार , व्यवहार में दोहराव और एक पैटर्न का दिखना शामिल है। आसान शब्दों में, ऑटिज़्म एक तंत्रिका संबंधी विकार है, जो किसी व्यक्ति की दूसरों के साथ संवाद करने की क्षमता को प्रभावित करता है। विकार बचपन में शुरू होता है और वयस्कता तक रहता है। इस साल विश्व ऑटिज़्म जागरूकता दिवस 2022 की थीम रखी गई है, " सभी के लिए क्वालिटी शिक्षा"। यह विषय इन बच्चों के लिए समावेशी शिक्षा पर प्रकाश डालेगा, जो भविष्य में उन्हें आगे आने वाले समय में स्थायी लक्ष्यों को प्राप्त करने में मदद करेगा।
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