युवाओं की आज के समय में विज्ञान के प्रति कितनी रुचि है, इसी पर देश का भविष्य निर्भर करता है। युवाओं के साथ-साथ समाज के हर वर्ग के दिलोदिमाग में विज्ञान के प्रति ज्यादा से ज्यादा रुचि जागृत करने
करने के लिए हर साल 28 फरवरी को राष्ट्रीय विज्ञान दिवस मनाया जाता है। इस दिवस के जरिए बच्चों को विज्ञान को बतौर करियर चुनने के लिए प्रोत्साहित किया जाता है जिससे देश की आने वाली पीढ़ी विज्ञान के क्षेत्र में अपना योगदान दे सके और देश प्रगति के मार्ग पर निरंतर आगे बढ़ता रहे। राष्ट्रीय विज्ञान दिवस का इतिहास विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी संचार के लिए राष्ट्रीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी परिषद द्वारा भारत में 28 फरवरी को राष्ट्रीय विज्ञान दिवस के रूप में नामित करने के लिए वर्ष 1986 में भारत सरकार को कहा गया था और सरकार द्वारा इसे स्वीकृति प्रदान किए जाने के बाद से 28 फरवरी 1987 से हर साल राष्ट्रीय विज्ञान दिवस मनाया जाता रहा है। यह दिन भारत के महान वैज्ञानिक भौतिक शास्त्री सर सीवी रमन की खोज 'रमन इफैक्ट' को सदैव याद रखने और विश्व पटल पर विज्ञान के क्षेत्र में भारत का नाम रौशन करने वाले वैज्ञानिक सीवी रमन को सम्मान देने के लिए इनकी स्मृति में मनाया जाता है। इस दिवस का सबसे बड़ा उद्देश्य लोगों को हमारे दैनिक जीवन में विभिन्न वैज्ञानिक आविष्कारों की महत्ता से परिचित कराना होता है, इसके अलावा वैज्ञानिक सोच रखने वाले लोगों को अवसर उपलब्ध कराना तथा उन्हें उनके कार्यों के लिए प्रोत्साहित करना भी अहम उद्देश्य है। विज्ञान के विकास के लिए नई तकनीकों को लागू कर विज्ञान और प्रौद्योगिकी को लोकप्रिय बनाने का उद्देश्य इस दिवस के आयोजन में निहित हैं। विकास की राह पर तेजी से आगे बढ़ने के लिए वैज्ञानिक सोच का प्रसार अत्यावश्यक है। राष्ट्रीय विज्ञान दिवस जैसे आयोजन निश्चित रूप से वैज्ञानिक दृष्टिकोण के प्रसार में सहायक सिद्ध हो सकते हैं।
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