नेता जी कुछ और दिन होते तो देश की दशा-दिशा कुछ और होती : परमहंस द्विवेदी।

Khoji NCR
2022-01-25 13:57:13

खोजी/नीलम कौर कालका। ग्राम पंचायत खोखरा, बूथ नं - 3 में भारतीय जनता पार्टी पूर्वांचल प्रकोष्ठ के द्वारा नेताजी सुभाष चंद्र बोस जी के 125 वीं जयंती पर आजादी का अमृत महोत्सव आजाद हिंद फौज के वीरो व

ेताजी सुभाष चंद्र बोस को उनके चित्र पर पुष्पांजलि करके भावभीनी श्रद्धांजलि दी। इस कार्यक्रम में आदर सहित तिरंगा फहराकर राष्ट्रगान के साथ सुभाष चंद्र बोस अमर रहे के नारों से पूरा प्रांगण गूंज उठा। नेताजी सुभाष चंद्र बोस के जीवनी के बारे में परमहंस द्विवेदी (प्रदेश सह प्रमुख आईटी) ने सभी उपस्थित सदस्य और पदाधिकारियों को बताया। इस कार्यक्रम में गीतों का सामूहिक गायन किया गया जैसे सुभाष जी सुभाष जी वह "जान-ए-हिंद" आ गए। वंदे मातरम गाने के साथ जय हिंद सेल्यूट करते हुए सभी उपस्थित लोगों ने सुभाष चंद्र बोस को श्रद्धा सुमन अर्पित किया। इस अवसर पर प्रदेश सह प्रमुख आईटी भाजपा पूर्वांचल प्रकोष्ठ हरियाणा व पालक खोखरा परमहंस द्विवेदी, बूथ अध्यक्ष रघुवीर सिंह पूर्व सरपंच, बूथ समिति महामंत्री जिला कार्यकारिणी सदस्य भाजपा पूर्वांचल प्रकोष्ठ पंचकुला अमरेंद्र वर्मा के साथ-साथ सैकड़ों लोगों ने भाग लिया और राष्ट के प्रति समर्पण का आश्वासन दिया। प्रमुख स्वतंत्रता सेनानी नेताजी सुभाष चंद्र बोस की जयंती हर साल 23 जनवरी को मनाई जाती है। इस साल भारत सरकार ने गणतंत्र दिवस का पर्व 26 जनवरी के बजाए 23 जनवरी से मनाने का फैसला लिया है। अब से हर साल सुभाष चंद्र बोस की जयंती से गणतंत्र दिवस पर्व का आगाज होगा। सुभाष चंद्र बोस का जन्म 23 जनवरी 1897 को ओडिशा राज्य के कटक में एक संपन्न बंगाली परिवार में हुआ था। सुभाष चंद्र बोस के 7 भाई और 6 बहनें थी। अपने माता-पिता के 14 बच्चों में वह 9 वीं संतान थे। उनके पिता का नाम जानकीनाथ बोस और माता का नाम प्रभावती देवी था। सुभाष चंद्र बोस ने अपनी शुरुआती शिक्षा कटक के रेवेंशॉव कॉलेजिएट स्कूल से पूरी की। आगे की पढ़ाई के लिए 1913 में कलकत्ता के प्रेसीडेंसी कॉलेज में दाखिला लिया। यहां से साल 1915 में उन्होंने इंटरमीडिएट की परीक्षा प्रथम श्रेणी में पास की। ये किसी बड़ी उपलब्धि से कम नहीं था कि अंग्रेजों के शासन में जब भारतीयों के लिए किसी परीक्षा में पास होना तक मुश्किल होता था, तब नेताजी ने भारतीय प्रशासनिक सेवा की परीक्षा में चौथा स्थान हासिल किया। उन्होंने पद संभाला लेकिन भारत की स्थिति और आजादी के लिए सब छोड़कर स्वदेश वापसी की और भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस से जुड़ गए। देश की आजादी के लिए सुभाष चंद्र बोस ने 21 अक्टूबर 1943 को आजाद हिंद सरकार की स्थापना की और आजाद हिंद फौज का गठन किया। साथ ही उन्होंने आजाद हिंद बैंक की भी स्थापना की। दुनिया के दस देशों ने उनकी सरकार, फौज और बैंक को अपना समर्थन दिया था। इन दस देशों में बर्मा, क्रोसिया, जर्मनी, नानकिंग (वर्तमान चीन), इटली, थाईलैंड, मंचूको, फिलीपींस और आयरलैंड का नाम शामिल हैं। इन देशों ने आजाद हिंद बैंक की करेंसी को भी मान्यता दी थी। फौज के गठन के बाद नेताजी सबसे पहले बर्मा पहुंचे, जो अब म्यांमार हो चुका है। यहां पर उन्होंने नारा दिया था, 'तुम मुझे खून दो, मैं तुम्हें आजादी दूंगा' और अंततः देश आजादी की ओर था।

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