श्री मदभागवत गीता से बड़ा गुरु आधुनिक युग में कोई हो नहीं सकता : ब्रह्मचारी

Khoji NCR
2020-12-20 11:41:43

धरती पर कोई ऐसा स्थान नहीं जो गीता से मुक्त हो : ब्रह्मचारी गीता जयंती पर भव्य गीता शोभा यात्रा ब्रह्मसरोवर परिक्रमा के साथ निकलेगी जयराम विद्यापीठ द्वारा 11 हजार दीपों के साथ होगा दीप दान कु

ुक्षेत्र, 20 दिसम्बर(सुदेश गोयल) : भगवान श्री कृष्ण के श्री मुख से उत्पन्न हुई पावन गीता से पूरे भारत वर्ष की भूमि उसके स्पर्श से ही धन्य हो गई है। कुरुक्षेत्र की भूमि तो पवित्र भूमि है जहां भगवान श्री कृष्ण ने पूरी सृष्टि को गीता के माध्यम से कर्म का संदेश दिया। जयराम संस्थाओं के परमाध्यक्ष ब्रह्मस्वरुप ब्रह्मचारी ने श्री जयराम गीता जयंती आयोजन कमेटी के सदस्यों से हरवर्ष की भांति इस वर्ष गीता जयंती महोत्सव के कार्यक्रमों की जानकारी लेने के उपरांत कहाकि विद्यापीठ के ट्रस्टियों, श्रद्धालुओं तथा सेवकों के लिए यह महान पर्व है जिसे कुरुक्षेत्र की भूमि पर पिछले चार दशक से अधिक समय से आयोजित किया जा रहा है। जयराम संस्थाओं के मीडिया प्रभारी राजेश सिंगला ने बताया कि ब्रह्मस्वरुप ब्रह्मचारी ने अपने संदेश में कहा है कि विद्यापीठ का गीता के संदेश को विश्वभर के जन जन तक पहुंचाने का संकल्प निरंतर जारी रहना चाहिए। उन्होंने अपने संदेश में कहा है कि भारतीय अध्यात्मिक दर्शन के अनुसार हर जीव में आत्मा होती है परन्तु मनुष्य के मन की चंचलता अधिक है तो उसमें बुद्धि की प्रबलता है। बुद्धि की प्रेरणा से मन जहां भटकाता है वहीं उस पर विवेक से नियंत्रण भी पाया जा सकता है। ब्रह्मचारी ने कहाकि इसके लिये यह जरूरी है कि ध्यान और भक्ति के द्वारा अपने आत्म तत्व को पहचाना जाये। इस प्रक्रिया को ही अध्यात्मिक ज्ञान कहा जाता है। अध्यात्म का सीधा अर्थ आत्मा ही है पर जब वह हमारे काम काज को प्रत्यक्ष प्रभावित करता है तब उसे अध्यात्म भी कहा जा सकता है। ब्रह्मचारी ने कहाकि अपने कर्मयज्ञ का स्वामी अध्यात्म को बनाने के लिये यह जरूरी है कि उसके स्वरूप का समझा जाये। यह द्रव्य यज्ञ से नहीं वरन् ज्ञान यज्ञ से ही संभव है। उन्होंने कहाकि गीता के संदेश में ऐसी शक्ति है कि धरती पर कोई ऐसा स्थान नहीं जो गीता से मुक्त हो। सिंगला ने विद्यापीठ हुई गीता जयंती आयोजन कमेटी की बैठक में ब्रह्मस्वरुप ब्रह्मचारी की प्रेरणा से लिए गए निर्णयों के बारे में अवगत करवाते हुए बताया कि जयराम विद्यापीठ में 19 दिसम्बर से चल रहे सामूहिक गीता पाठ एवं गीता यज्ञ अनुष्ठान का समापन 25 दिसम्बर को पूर्णाहुति के साथ होगा। उन्होंने बताया कि 25 दिसम्बर को सुबह 9.30 बजे से 11 बजे तक श्री जयराम शिक्षण संस्थान लाहौर माजरा (कुरुक्षेत्र), श्री मती केसरी देवी लोहिया जयराम पब्लिक स्कूल, सेठ नवरंग राय लोहिया जयराम कन्या महाविद्यालय, सेठ हरबंस राय लोहिया जयराम महिला पॉलटेक्निक कालेज, जयराम बी एड कालेज, जयराम संस्कृत महाविद्यालय कुरुक्षेत्र, जयराम संस्कृत स्कूल बेरी (रोहतक), जयराम संस्कृत महाविद्यालय हरिद्वार, देवेंद्र स्वरूप ब्रह्मचारी इंटरनैशनल स्कूल ऋषिकेश, वृद्धावन, दिल्ली व देश के विभिन्न राज्यों में स्थापित जयराम शिक्षण संस्थानों से 25 हजार से अधिक विद्यार्थी ऑनलाइन सामूहिक गीता श्लोकोच्चारण एवं गीता के महत्व पर व्याख्यान करेंगे। सिंगला ने बताया कि 25 दिसम्बर को सुबह 11 बजे से दोपहर 2 बजे तक आधुनिक जीवन में गीता का महत्व विषय पर अंतर्राष्ट्रीय वेबिनार में जयराम संस्थाओं के भारत, अमेरिका, आस्ट्रेलिया, कनाड़ा, जर्मनी, इंग्लैण्ड इत्यादि विभिन्न देशों में बैठे ट्रस्टी, श्रद्धालु एवं विद्वान जुड़ेंगे। उन्होंने बताया कि शिमला विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति पदमश्री प्रो. राजेंद्र मिश्र, राष्ट्रपति से सम्मानित पूर्व कुलपति (हरिद्वार) प्रो. महाबीर अग्रवाल, पदमश्री डा. रमाकान्त शुक्ल दिल्ली, डा. विक्रम कुमार ‘विवेकी’, वादरायण पुरुरस्कार प्राप्त संस्कृत विभाध्यक्ष उदयपुर नीरज शर्मा इत्यादि अंतर्राष्ट्रीय वेबिनार में अपने विशेष व्याख्यान देंगे। सिंगला ने बताया कि 25 दिसम्बर को शाम 4 बजे ब्रह्मसरोवर के चारों ओर परिक्रमा करते हुए भव्य गीता शोभा यात्रा निकाली जाएगी। उन्होंने बताया कि परमाध्यक्ष ब्रह्मस्वरुप ब्रह्मचारी के आशीर्वाद से गीता जयंती महोत्सव के समापन पर शाम को 5 बजे श्री जयराम विद्यापीठ के समक्ष 11 हजार दीपों के साथ दीप दान होगा एवं मंत्रोच्चारण के साथ गीता पूजन होगा। कार्यक्रमों के संबंध में विद्यापीठ में हुई गीता जयंती आयोजन कमेटी की बैठक में श्रवण गुप्ता, के के कौशिक एडवोकेट, कुलवंत सैनी, पवन गर्ग, राजेंद्र सिंघल, टेक सिंह लौहार माजरा, ईश्वर गुप्ता, सुरेंद्र गुप्ता, राजेश सिंगला, विनोद कुमार, डा. श्री कृष्ण शर्मा, यशपाल राणा, सुशील कंसल, रणबीर भारद्वाज, अशोक गर्ग, संगीता, संतोष यादव व जयराम महिला मंडल की कई सदस्य इत्यादि मौजूद थे।

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