चंडीगढ़। कृषि सुधार कानूनों को लेकर किसान संगठनों का संघर्ष जारी है। इन कानूनों को रद करने के अलावा किसान संगठनों की एक मांग यह भी है कि पूर्व में रेलवे द्वारा दर्ज एफआइआर को रद किया जाए। किसा
न संगठनों की इस मांग को लेकर पंजाब सरकार की स्थिति खासी असहज है। सरकार के पास इस बात की कोई जानकारी ही नहीं है कि रेलवे ने कितने एफआइआर किसानों पर दर्ज किए हैं। रेल मंत्रालय पंजाब सरकार से यह जानकारी साझा भी नहीं कर रहा है। भारतीय किसान यूनियन डकौदा के जनरल सेक्रेटरी जगमोहन सिंह का कहना है, पूर्व में रेलवे ने किसानों पर पर्चे दर्ज किए हैं। इन पर्चों को रद करना चाहिए। किसान संगठनों ने इस संबंध में पंजाब सरकार द्वारा मंत्रियों की गठित की गई कमेटी को भी अवगत करवाया है। अहम पहलू यह है कि गृह विभाग ने इस संबंध में दो बार गृह मंत्रालय को पत्र लिखा है, लेकिन मंत्रालय की तरफ से कोई जवाब नहीं दिया जा रहा है। वहीं, पंजाब सरकार की परेशानी यह है कि न तो उसके पास यह जानकारी है कि जीआरपी ने कितने किसानों पर पर्चे दर्ज किए हैंं और न ही पंजाब सरकार के पास कानूनी रूप से यह अधिकार है कि वह रेलवे द्वारा दर्ज किए गए पर्चों को रद कर सके। वहीं, किसान संगठनों द्वारा राज्य सरकार पर यह दबाव लगातार बनाया जा रहा है।गृह विभाग के एक उच्चाधिकारी बताते हैं, मामला रेल मंत्रालय का है, इसलिए वह केवल मंत्रालय से जानकारी मांग सकते हैं, लेकिन मंत्रालय जानकारी दे नहीं रहा है। कृषि सुधार कानूनों के खिलाफ किसान संगठनों के प्रदर्शन के कारण 47 दिन से पंजाब में रेलगाडिय़ां नहीं चल रही हैं। 22 दिन पहले किसान संगठनों ने भले ही रेल ट्रैक खाली कर दिए थे, लेकिन किसान संगठनों की शर्त थी कि वह यात्री गाड़ी को नहीं चलने देंगे। इस कारण रेल मंत्रालय ने गाड़ियोंं का परिचालन बंद कर रखा है।
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