अमेरिका और भारत से निपटने की क्‍या है ड्रैगन की बड़ी तैयारी, क्‍या 2030 तक चीन बनेगा महाशक्ति!

Khoji NCR
2021-11-06 11:03:53

नई दिल्‍ली आनलाइन डेस्‍क। अमेरिकी रक्षा विभाग की एक र‍िपोर्ट में जो भी कहा गया है वह भारत और अमेरिका के लिए काफी गंभीर है। दोनों देशों के लिए यह चिंता का सबब बन सकता है। इस रिपोर्ट में ड्रैगन न

अमेरिका को भारत-चीन सीमा मामले में दखल नहीं देने की सख्‍त चेतावनी दी है। इसके साथ पेंटागन की इस रिपोर्ट में यह खुलासा किया गया है कि 2030 तक चीन के पास 1,000 परमाणु हथियार होंगे। इसमें कहा गया है कि एलएसी पर ड्रैगन ने फाइबर आप्टिक नेटवर्क बिछाया है। आइए जानते हैं पेंटागन की इस रिपोर्ट के बारे में। आखिर इस रिपोर्ट में ऐसा क्‍या है जो भारत और अमेरिका दोनों के लिए चिंता का सबब है। पेंटागन की इस रिपोर्ट में कहा गया है कि चीन पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर अपना दावा मजबूत करने के मकसद से आक्रामक तेवर दिखा रहा है। अमेरिकी रक्षा विभाग ने 'मिलिटरी एंड सिक्योरिटी डेवलपमेंट इनवाल्विंग द पीपुल्स रिपब्लिक आफ चाइना' नाम से यह रिपोर्ट जारी की है। रिपोर्ट में कहा गया है लद्दाख में स्टैंडआफ अमेरिका और भारत के गहराते संबंधों को रोकने की चीनी चाल है। इसमें कहा गया है कि 2020 में सीमा पर हुए गतिरोध के बाद चीनी सेना ने एलएसी पर अपनी पकड़ और मजबूत कर ली है। झड़प के बाद चीन ने भारतीय सीमा पर फाइबर आप्टिकल नेटवर्क का जाल बिछा लिया है। यह चीन सेना के साथ तेजी से कम्युनिकेट करने में बहुत उपयोगी है। इसका लक्ष्‍य कम्युनिकेशन को तेज करना था और विदेशी घुसपैठ को लेकर अलर्ट रहना है। इस रिपोर्ट में दावा किया गया है कि पीपुल्स लिबरेशन आर्मी के पास करीब 9.75 लाख सक्रिय सैनिक हैं। चीन ने पिछले कुछ वर्षों में हथियार और साजो सामान बढ़ाने में भी तेजी दिखाई है। रिपोर्ट में पेंटागन ने चीन को अमेरिका के लिए गंभीर चुनौती बताया है। इस रिपोर्ट में कहा गया है कि चीन ने अपनी सेना में वेस्टर्न थियेटर कमांड को भारत के साथ झड़प की आशंका के चलते ही तैयार किया है। देशों के बीच सीमा गतिरोध खत्म करने के लिए कूटनीतिक तरीके कारगर होते नजर नहीं आ रहे हैं। इसका एक बड़ा कारण यह है कि भारत और चीन दोनों ही सीमा पर मिलने वाले फायदे को कम नहीं करना चाहते हैं। चीनी हाइपरसोनिक हथियार परीक्षण का जिक्र नहीं अमेरिकी रक्षा विभाग की यह रिपोर्ट दिसंबर 2020 तक जुटाई की गई जानकारियों पर आधारित है। खास बात यह है कि इसमें चीनी हाइपरसोनिक हथियार परीक्षण का कोई जिक्र नहीं है। इस परीक्षण पर अमेरिकी जनरल मार्क मीले ने अक्टूबर में चिंता जाहिर की थी। मीले ने कहा था कि चीन का यह कदम चिंता में डालने वाला कदम है। हालांकि, पेंटागन की इस रिपोर्ट में चीन की DF-17 मध्यम दूरी की बैलिस्टिक मिसाइल का उल्‍लेख है, जो कि हाइपरसोनिक ग्लाइड ह्वीकल से लैस है। 2030 तक 1000 तक पहुंच जाएगी परमाणु हथियारों की संख्या इस रिपोर्ट में दावा किया गया है कि चीन अपनी परमाणु ताकत में काफी तेजी से इजाफा कर रहा है। पेंटागन की रिपोर्ट में यह कहा गया है कि अमेरिका के अनुमानों से अधिक चीन अपने परमाणु भंडार बढ़ा रहा है। इसमें कहा गया है कि छह वर्ष के भीतर चीनी परमाणु हथियारों की संख्या बढ़कर एक हजार हो सकती है। यह वर्ष 2030 तक 1000 से भी ऊपर पहुंच जाएगी। इस रिपोर्ट में इस बात का जिक्र नहीं है कि मौजूदा समय में चीन के पास कितने परमाणु बम हैं। हालांकि, एक वर्ष पूर्व पेंटागन ने कहा था कि चीन के पास करीब 200 परमाणु हथ‍ियार हैं। इसमें यह दावा किया गया था कि इस दशक के अंत तक दोगुना होने की संभावना है। चीनी सेना को युद्ध के सभी क्षेत्रों में अमेरिका को चुनौती देने की इच्छा पेंटागन की यह रिपोर्ट पीपुल्स लिबरेशन आर्मी को लेकर अमेरिका की चिंताओं को उजागर करती है। चीनी सेना युद्ध के सभी क्षेत्रों में अमेरिका को चुनौती देने की इच्छा रखती है। वहीं ताइवान को लेकर चीन के रवैये पर भी अमेरिकी अधिकारियों ने चिंता जताई है। इस रिपोर्ट में ड्रैगन से खुले तौर पर संघर्ष का सुझाव नहीं दिया गया है।

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