अभी तक चुनाव आयोग के पास नहीं है ऐसे नेताओं, राजनीतिक दलों पर शिकंजा कसने का अधिकार -एक आरटीआई में चुनाव आयोग ने खुद दी है यह जानकारी सोहना अशोक गर्ग हरियाणा प्रदेश कांग्रेस के पूर्व प्रवक्ता
अशोक बुवानीवाला ने कहा है कि चुनावों में झूठे वायदे करने वाले नेताओं पर शिकंजा कसने, कार्रवाई करने का अधिक चुनाव आयोग को मिलना चाहिए। अभी तक आयोग के पास सिर्फ आदर्श आचार संहिता लागू करने के ऐसा कोई अधिकार नहीं है, जिससे कि वह नेताओं द्वारा किये गये वायदों को पूरा करवाने में गाइडलाइन जारी कर सके। आरटीआई कार्यकर्ता संदीप कुमार गोयल को चुनाव आयोग द्वारा जानकारी उपलब्ध कराई गई है कि चुनाव आयोग के पास ऐसी कोई शक्ति नहीं है, संवैधानिक अधिकार नहीं है, जिससे कि नेताओं द्वारा चुनावों में किये जाने वाले वायदों को पूरा कराने के लिए हस्तक्षेप किया जाए। इस पर अशोक बुवानीवाला ने कहा है कि झुठे वायदे करने वाले नेताओं पर शिकंजा करने का अधिकार चुनाव आयोग को मिलना चाहिए। आरटीआई कार्यकर्ता संदीप कुमार गोयल द्वारा सुप्रीमकोर्ट में भी चुनाव आयोग के जवाब को दाखिल किया गया है।चीफ जस्टिस को संबोधित पत्र में कहा गया है कि चुनाव आयोग नेताओं के झूठे वायदों को लेकर कुछ नहीं कर सकता। इसलिए अदालत इस अपील पर सुनवाई करके दिशा-निर्देश जारी करे। क्योंकि चुनावों में जनता के बीच नेता और राजनीतिक दल इतने वायदे करके चले जाते हैं। जनता उन पर विश्वास करके उन्हें वोट देती है। चुनाव जीतने के बाद उन वायदों पर से धूल तक नहीं झाड़ी जाती और अपने विकास की उम्मीद में वोट देने वाली जनता नेताओं को ताकती रह जाती है। अशोक बुवानीवाला ने कहा कि नेताओं के झूठे वायदों पर लगाम लगनी चाहिए। कोई ऐसी अथॉरिटी जरूर बने, जो कि जनता के बीच नेताओं द्वारा किए गए वायदों पर समय-समय पर संज्ञान लेकर उन्हें पूरा करवाने में सेतु का काम करे। क्योंकि अगर चुनावों में नेताओं को झूठ बोलने, झूठे वायदे करने की छूट मिलती रही तो राजनीतिक दलों और नेताओं को और बल मिलेगा। आरटीआई में इन सवालों के पूछे गये जवाब सामाजिक कार्यकर्ता संदीप कुमार गोयल ने चुनाव आयोग से आरटीआई में पूछा था कि क्या कोई भी राजनीतिक दल सरकार के पैसे से वोट खरीद सकता है। यदि हां तो इस सम्बन्ध में जो भी नियम व कानून है। क्या कोई भी राजनीतिक दल चुनाव से पहले या चुनाव के दौरान सरकारी पैसे से मुफ्त बिजली पानी या किसी अन्य वस्तु का मतदाता को मुफ्त देने का ऐलान कर सकता है। क्या कोई भी राजनीतिक दल चुनाव के दौरान सरकारी पैसे से र्क माफी का ऐलान कर सकता है। क्या यह आदर्श चुनाव आचार संहिता का उल्लंघन नहीं है। क्या कोई भी राजनीतिक दल चुनाव के दौरान या पहले मतदाता को कुछ भी मुफ्त देने का ऐलान कर सकता है। इन सबकी सर्टिफाइड कॉपी उपलब्ध करवाने की मांग की गई। इसके साथ ही जवाब मांगा गया कि अगर कोई नेता या राजनीतिक दल झूठे वायदे जनता से करता है तो चुनाव आयोग की ओर से ऐसा करने वालों पर क्या कार्यवाही हो सकती है। साथ ही एक जनवरी 2006 से 31 मार्च 2021 तक कितने नेताओं पर कार्रवाई आयोग नहीं की, इसका ब्यौरा दिया जाए।
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