इस वर्ष करवा चौथ में 70 सालों बाद बन रहा है शुभ संयोग : शुक्ला।

Khoji NCR
2021-10-21 10:25:50

खोजी/सुभाष कोहली कालका। इस वर्ष 24 अक्टूबर 2021 (रविवार) को रोहिणी नक्षत्र और मंगल का योग बहुत ही सौभाग्य सूचक है, जो की यह योग 70 सालों बाद बन रहा है। यह करवा चौथ का व्रत हर वर्ष कार्तिक माह के कृष्ण प

्ष की चतुर्थी तिथि को किया जाता है। इस दिन सुहागिन महिलाएं सूर्योदय से पूर्व उठकर स्नान कर के सरगी आदि जो सास द्वारा दी जाती है खाकर व्रत का प्रारम्भ करती हैं। सारा दिन निर्जल व्रत करती हैं। शाम के समय गौरी गणेश शिव कार्तिकेय सहित विधि विधान से करवे की पूजा करती हैं। लेकिन महिलाएं इस व्रत में सींक की पूजा करना न भूलें। इस सींक में ही सबसे बड़ी शक्ति होती है। सावित्री इसी सींक की शक्ति से यमराज से अपने पति को वापस ले कर आईं थी। जब इंद्र का पुत्र जयंत कौआ बनकर सीता जी के पैर में चोंच मारा था, तब राम जी ने भी ऐसे ही तिनका को ब्रम्हास्त्र की भांति चलाया था। सीता जी भी इसी सींक को आगे करके रावण से बात करती थी, तृण धरि ओट कहत वैदेही। स्त्रियों का सबसे बड़ा हथियार सींक है और कर्क चतुर्थी की कथा सुनती हैं। फिर रात्रि में चंद्रोदय के बाद चन्द्रमा की पूजा करके करवे से चन्द्रमा को अर्घ देती हैं व पति की भी पूजा करके पति के दीर्घायु शौभाग्य शाली होने की कामना करते हुए चन्द्रमा को एवम पति का छन्नी से मुंह देखती हैं। पति उसी समय पत्नी को आशीर्वाद के रूप में कुछ गिफ्ट भी देता है और अपने हाथ से पत्नी को पानी पिलाकर व्रत खुलवाता है। इस व्रत का महत्व यह है कि जिस प्रकार चार दिन पहले अस्विन मास की बीती हुई शरद पूर्णिमा को चन्द्रमा के औषधीय गुण लेने के लिए खीर छत में रखी जाती है उसी प्रकार करवा चौथ के दिन का चन्द्रमा संकट मोचन चन्द्रमा होता है। इस दिन की चन्द्र किरणें मनोरथ सिद्ध करने वाली होती है। इस दिन आप जैसा सोचोगे वैसा होगा। इस दिन महिलाओं को 16 सिंगार करके रहना चाहिए। अच्छी बात! परोपकार की बात! सबके भले की बात! सोचनी चाहिए। आज के दिन भूखे रहने से संकल्प शक्ति! इच्छा शक्ति! प्रबल हो जाती है! और करवा चौथ को आप जो! जैसा! जिसके लिए! जैसा सोचेंगे! वह मन के स्वामी चन्द्रमा के प्रबल होने के कारण आपके मनोरथ सिद्ध होते हैं। आप पति की दीर्घायु के साथ-साथ अपने मकान वाहन सन्तान स्वास्थ्य के बारे में भी सोच सकते हैं, जिसे चन्द्र देव पूर्ण करते हैं। अंतरराष्ट्रीय अद्भुत ज्योतिष कार्यालय के अनुसार इस वर्ष गौरी, गणेश, कार्तिकेय और करवे के पूजन का शुभ मुहूर्त शाम 6 बजकर 55 मिनट से रात्रि 8 बजकर 51 मिनट तक रहेगा।

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