अमेरिका, आस्ट्रेलिया और ब्रिटेन के सुरक्षा गठबंधन में भारत-जापान नहीं होंगे शामिल, हिंद-प्रशांत में चीन को घेरना है मकसद

Khoji NCR
2021-09-23 08:52:25

वाशिंगटन, अमेरिका ने रणनीतिक इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में 21वीं सदी की चुनौतियों का सामना करने के लिए आस्ट्रेलिया और ब्रिटेन के साथ नई त्रिपक्षीय सुरक्षा साझेदारी में भारत या जापान को जोड़ने से

नकार किया है। 15 सितंबर को, अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन, आस्ट्रेलियाई प्रधान मंत्री स्काट मारिसन और ब्रिटिश प्रधान मंत्री बोरिस जानसन ने संयुक्त रूप से त्रिपक्षीय सुरक्षा गठबंधन AUKUS के गठन की घोषणा की, जिसके तहत आस्ट्रेलिया को पहली बार परमाणु-संचालित पनडुब्बियां मिलेंगी। व्हाइट हाउस के प्रेस सचिव जेन साकी ने बुधवार को समाचार कांफ्रेंस में संवाददाताओं से कहा, 'पिछले हफ्ते AUKUS की घोषणा एक संकेत के लिए नहीं थी, और मुझे लगता है कि यह संदेश राष्ट्रपति ने (फ्रांसीसी राष्ट्रपति इमैनुएल) मैक्रों को भी भेजा है, कि कोई और नहीं है जो हिंद-प्रशांत की सुरक्षा में शामिल हो।' साकी ने यह एक सवाल का जवाब में कहा, जिसमें पूछा गया था कि क्या भारत और जापान जैसे देश जिनके नेता इस सप्ताह पहले व्यक्तिगत रूप से क्वाड शिखर सम्मेलन के लिए वाशिंगटन में होंगे, उन्हें नए सुरक्षा गठबंधन का हिस्सा बनाया जाएगा। बता दें कि क्वाड में भारत, अमेरिका, जापान और आस्ट्रेलिया शामिल हैं। अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन 24 सितंबर को व्हाइट हाउस में पहले व्यक्तिगत रूप से क्वाड शिखर सम्मेलन की मेजबानी कर रहे हैं। पत्रकार ने पूछा, 'शुक्रवार को… आपके पास (क्वाड समिट के लिए) आस्ट्रेलियाई होंगे। लेकिन फिर आपके पास भारत और जापान भी हैं। क्या आप उनके लिए उसी तरह की सैन्य भूमिका की कल्पना करेंगे, जिसके लिए आपने अब आस्ट्रेलियाई लोगों के साथ परिभाषित किया है? साकी ने सवाल का जवाब देने से पहले अलग अंदाज में कहा, क्या AUKUS अब JAUKUS? या JAIAUKUS? बनेगा। बता दें कि इंडो-पैसिफिक में चीन का मुकाबला करने को बनाए गए त्रिपक्षीय सुरक्षा गठबंधन AUKUS, अमेरिका और यूके को पहली बार परमाणु-संचालित पनडुब्बियों को विकसित करने के लिए आस्ट्रेलिया को तकनीक प्रदान करने की अनुमति देगा। चीन ने त्रिपक्षीय गठबंधन की तीखी आलोचना करते हुए कहा है कि इस तरह के विशेष समूह का कोई भविष्य नहीं है और यह क्षेत्रीय स्थिरता को गंभीर रूप से कमजोर करेगा और हथियारों की होड़ को बढ़ाएगा और अंतरराष्ट्रीय अप्रसार प्रयासों को चोट पहुंचाएगा।

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