दिमाग में मौजूद फीता कृमि से भी हो सकता है सिर दर्द और मिर्गी का दौरा: डॉ. ममगाईं

Khoji NCR
2021-09-11 11:28:02

कुरुक्षेत्र, 11सितम्बर ( सुदेश गोयल):अक्सर विद्यालयों में अध्यापक शरारती बच्चों को यह कहते है कि उनके दिमाग में कीड़ा है। क्या यह संभव है ?जी हां! ये उदगार जिला नागरिक अस्पताल के प्रधान चिकित्स

अधिकारी डॉ. शैलेंद्र ममगाईं शैली ने आज 'राष्ट्रीय कृमि मुक्ति कार्यक्रम' की पूर्व संध्या पर विशेष भेंट में व्यक्त किए। उन्होंने बताया कि विश्व प्रसिद्ध भारतीय टेनिस खिलाड़ी लिएंडर एड्रियन पेस के दिमाग में मौजूद फीता कृमि से बनी रसौली से सिर दर्द रहता था, जिसे ऑपरेशन के माध्यम से निकाला गया। वास्तव में पत्ता गोभी की अंदर की परतों में मौजूद फीता कृमि नामक कीड़ा पेट में जाकर कई बार उलटी दिशा में गति पकड़ता है और विभिन्न शिराओं के माध्यम से दिमाग में पहुंच जाता है;जहां वह सिर दर्द और दौरे का कारण बनता है। डॉ.ममगाईं ने बताया कि विश्व भर में 836 मिलियन से अधिक बच्चों को परजीवी मिट्टी- संचारित कृमि संक्रमण का जोखिम होता है। ग्रामीण इलाकों में एनीमिया की उच्च दर के साथ 6-59 माह की उम्र के लगभग 10 में से 7 बच्चे रक्ताल्पता से पीड़ित हैं। मल द्वारा दूषित मिट्टी के माध्यम से मनुष्यों में फैलने वाले कृमियों में गोल कृमि, वीप वार्म और अंकुश कृमि हैं। विश्व स्वास्थ संगठन के मुताबिक भारत में 1- 14 वर्ष की आयु वर्ग के 241 मिलियन बच्चों को मिट्टी संचारित कृमि संक्रमण का जोखिम है। डॉ. शैली ने बताया कि मिट्टी संचारित कृमि मनुष्य की आंत में रहते हैं और हर दिन हजारों अंडे पैदा करते हैं; जो संक्रमित व्यक्ति के मल में पारित हो जाते हैं और खुले में शौच करने से मिट्टी में फैल जाते हैं। इस प्रकार दूषित मिट्टी से संक्रमण फैलता है। डॉ.ममगाईं ने बताया कि कृमि निवारण के लिए दी जा रही गोली एल्बेंडाजोल की स्वीकार्यता पूरे विश्व में है और इस टेबलेट का कोई दुष्प्रभाव नहीं है। इसके अतिरिक्त किसी वजह से कोई बच्चा गोली लेना भूल जाता है तो वह मॉप अप सेशन के माध्यम से ले सकता है। डॉ. शैली ने कृमि निवारण के साथ-साथ बच्चों में साफ-सफाई के अभ्यास पर विशेष जोर दिया ताकि उन्हें कृमि समस्या का सामना न करना पड़े ।इसके अलावा खुले में शौच से मुक्ति के उपायों पर जोर देते हुए उन्होंने कहा कि ऐसे वातावरण का निर्माण किया जाए जिससे किसी भी समुदाय को ऐसी दिक्कतों का सामना न करना पड़े। मिट्टी संचारित कृमि संक्रमण रोकने के उपायों की चर्चा करते हुए डॉ. ममगाईं ने कहा कि इसके लिए जरूरी है कि साफ शौचालयों का उपयोग किया जाए ,बाहर शौच से परहेज किया जाए खाने से पहले और शौचालय के बाद हाथ धोया जाए, चप्पल और जूते पहने जाएं ,स्वच्छ एवं सुरक्षित पानी से फल और सब्जियां धोई जाएं और भली-भांति पकाया भोजन खाया जाए।

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