स्ट्रीट लाइट टेडर की जांच को बनाई कमेटी भी कर दी है भंग -तबादले से तत्काल पहले मुख्य सचिव एसएन राय ने सरकार के निर्देश पर किया यह काम स्ट्रीट लाइट लगाने को बड़ी कंपनियों को टेंडर देने के लिए शर
तें की कड़ी सरकार ने 1150 करोड़ रुपये आंके, अब 900 करोड़ में जारी किया टेंडर सोहना अशोक गर्ग हरियाणा में स्ट्रीट लाइट टेंडर को लेकर एक बार फिर से विवाद खड़ा हो गया है। विवाद इस बात का है कि इस मामले की जांच को सरकार ने पहले तो 9 सदस्यीय कमेटी गठित की थी, जिसे आनन-फानन में भंग करके सीधे टेंडर प्रक्रिया ही शुरू कर दी गई। सवाल इस पर भी खड़े होते हैं कि अपने तबादले से तुरंत पहले मुख्य सचिव एसएन राय ने कमेटी को भंग करते हुए यह काम किया है। यह सरकार के दबाव में किया गया है। यह कहना है राष्ट्रीय जन उद्योग व्यापार संगठन के कार्यकारी अध्यक्ष अशोक बुवानीवाला का। शुरू से ही इस टेंडर प्रक्रिया को वे बारीकी से देख रहे हैं। पहले भी अशोक बुवानीवाला ने सरकार की मंशा पर सवाल उठाए थे। अब एक बार फिर से उन्होंने स्ट्रीट लाइट टेंडर मामले में सरकार को घेरा है। उन्होंने कहा कि 600 करोड़ रुपये में होने वाले काम को सरकार इससे करीब दुुगुने में साढ़े करोड़ रुपये में बड़ी कंपनियों को देने की शुरू से ही तैयारी में थी। यह भी बड़ा घोटाला है। इस साल 22 जून को टेंडर प्रक्रिया पूरी की जा चुकी थी। विवाद होने के बाद इसकी फाइनेंशियल एवं टेक्नीकल जांच लिए 9 सदस्यीय कमेटी गठित की गई। इससे पहले कि कमेटी अपनी रिपोर्ट में कुछ साफ कर पाती, सरकार के इशारे पर कमेटी को ही भंग कर दिया गया। मुख्य सचिव एसएन राय के तबादले से ठीक पहले स्ट्रीट लाइट टेंडर बड़ी कंपनियों को आवंटित कर दिये गये। हालांकि सरकार ने इस काम के लिए के लिए टेंडर लेने वाली कंपनियों का 1150 करोड़ रुपये टर्नओवर की शर्त रखी थी। अब तीन बड़ी कंपनियों को यह टेंडर को 900 करोड़ रुपये में दिया गया है। विधायकों ने विधानसभा में भी उठाया मुद्दा इस मामले को हरियाणा विधानसभा में तोशाम से विधायक व पुर्व मंत्री किरण चौधरी और फरीदाबाद से विधायक नीरज शर्मा प्रमुखता से उठा चुके हैं। वहां भी सरकार जिम्मेदारी से बचती नजर आई। अशोक बुवानीवाला ने कहा कि ईमानदारी का नाम लेकर सरकार किस तरह से जनता का पैसा पूंजीपतियों पर लुटा रही है, यह स्ट्रीट लाइट के टेंडर से पता चलता है। इस टेंडर में मुख्य रूप से बजाज और सूर्या कंपनियां ही अग्रणी हैं। छोटी इकाइयों का लाभ देने की सिर्फ बातें होती हैं, असली लाभ बड़ी कंपनियों को सरकार पहुंचा रही है। अशोक बुवानीवाला ने कहा कि सरकार ने बड़ी कंपनियों के हिसाब से इसका टर्नओवर निर्धारित किया है। ऐसे में छोटी एमएसएसई कंपनियां अपने आप ही दौड़ से बाहर हो जाती हैं। सरकार ने मैंटेनेंस राशि भी बढ़ाई अशोक बुवानीवाला ने यह भी कहा कि स्ट्रीट लाइट लगाने के साथ उनकी मैंटेनेंस राशि भी बढ़ाई है। अन्य राज्यों जम्मू-कश्मीर में 330 रुपए मासिक प्रति लाइट मैंटेनेंस, यूपी में 290 रुपये, उत्तराखंड में 300 रुपये, हरियाणा के गुरुग्राम में मा 226 रुपये प्रति लाइट मासिक मैंटनेंस राशि ली जाती है। अब नये टेंडर में सरकार ने यह राशि 500 रुपये फिक्स कर दी है। इससे कम राशि मंजूर ही नहीं की गई। यानी मैंटेनेंस का रेट भी दुगुने के बराबर रख दिया गया। कम राशि में यह काम पहले से केंद्र सरकार की कंपनियां कर भी रही हैं। उन्होंने कहा कि देश का 70 प्रतिशत आर्थिक फायदा एमएसएमई से होता है। इससे देश की आर्थिक स्थिति मजबूत होती है। मोदी सरकार एक तरफ तो इन्हें बढ़ावा देने की बात कह रही है, वहीं मनोहर सरकार इसे कमजोर कर रही है। नियमों में सरकार द्वारा एमएसएमई को काम में 25 फीसदी छूट है।
Comments