इस्लामाबाद, । अफगानिस्तान के मसले पर पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने रविवार को सऊदी अरब और कतर समेत खाड़ी के नेताओं के साथ फोन पर बातचीत की। पाकिस्तान ने अफगानिस्तान के पड़ोसी देशों क
े प्रतिनिधियों की एक वर्चुअल बैठक भी आयोजित की। जबकि, अफगानिस्तान से निकलने के हफ्ते भर बाद अमेरिका के दो शीर्ष नेता तालिबान से निपटने और फंसे हुए लोगों को बाहर निकलाने के लिए मित्र देशों के साथ गठबंधन बनाने के इरादे से विदेश दौरे पर निकले हैं। अफगानिस्तान के ताजा हालात पर चर्चा पाकिस्तान के प्रधानमंत्री कार्यालय की तरफ से जारी बयान में कहा गया है कि इमरान खान ने सऊदी अरब के क्राउन प्रिंस मुहम्मद बिन सलमान और दो अन्य नेताओं के साथ अफगानिस्तान के ताजा हालात पर चर्चा की। इमरान ने पाकिस्तान के साथ ही क्षेत्रीय स्थिरता के लिए अफगानिस्तान में शांति स्थान पर जोर दिया। इमरान ने संयुक्त अरब अमीरात के क्राउन प्रिंस मुहम्मद बिन जायद से भी फोन पर बातचीत की। उनकी कतर के अमीर शेख तमीम बिन हमद अल थानी के साथ भी वार्ता हुई। इन देशों ने लिया हिस्सा पाकिस्तान के विदेश कार्यालय ने एक बयान में कहा कि अफगानिस्तान के लिए पाकिस्तान के विशेष प्रतिनिधि मोहम्मद सादिक की अध्यक्षता में हुई पड़ोसी देशों की बैठक में चीन, ईरान, ताजिकिस्तान, तुर्कमेनिस्तान और उज्बेकिस्तान के प्रतिनिधियों ने भाग लिया। बैठक के दौरान प्रतिनिधियों ने सहमति जताई कि क्षेत्र की सुरक्षा और स्थिरता के लिए युद्धग्रस्त देश में शांति महत्वपूर्ण है। सहयोगियों को निकालने में जुटा अमेरिका काबुल से निकलने के बाद अमेरिका अफगानिस्तान में फंसे अमेरिकियों और सहयोगी अफगान को निकालने की कोशिशों में जुटा है। वह चाहता है कि इसको लेकर तालिबान अपने वादे पर कायम रहे। इसके लिए वह जर्मनी और खाड़ी के अपने मित्र देशों के साथ एक संयुक्त मोर्चा बनाने की कोशिशों में जुटा है। इसके लिए अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन और रक्षा मंत्री लायड आस्टिन रविवार को विदेश दौरे पर निकले। ब्लिंकन कतर के साथ जर्मनी की यात्रा पर होंगे तो आस्टिन सऊदी अरब, कतर, बहरीन और कुवैत की यात्रा करेंगे। निकासी पर तालिबान से बातचीत करना चाहता है जर्मनी जर्मनी की चांसलर एंजिला मर्केल ने रविवार को कहा कि अफगानिस्तान में जर्मनी के लिए काम करने वाले लोगों को सुरक्षित निकालने के तौर तरीकों को लेकर उनका देश तालिबान के साथ बातचीत करना चाहता है। उन्होंने इसे एक अच्छा संकेत बताया कि काबुल एयरपोर्ट से दोबारा निकासी उड़ाने शुरू हो सकती हैं।
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