एग्जाम और पढ़ाई का बढ़ता दबाव बना रहा बच्चों को डिप्रेशन का शिकार, ऐसे करें इसे हैंडल

Khoji NCR
2021-09-06 07:47:13

कई जगहों पर कोविड-19 के मामले कम हैं ऐसे में उन जगहों पर स्कूल, कॉलेज और कोचिंग संस्थान खुल चुके हैं। जिससे कुछ बच्चे जहां एक्साइटेड हैं तो वहीं कुछ बहुत ज्यादा प्रेशर में। जो बच्चे कंप्टीशन की

ैयारियों में लगे थे इसमें उनकी संख्या ज्यादा है क्योंकि कोरोना के चलते वह कोचिंग से दूर ही रहे। घर पर सेल्फ स्टडी ही कर रहे थे। ऐसे में अच्छा स्कोर करने, मां-बाप की उम्मीदों पर खरा उतरने की सोच-सोच कर वो बहुत ज्यादा दबाव में हैं। एग्जाम की तारीख का ऐलान होते ही बच्चों में प्रेशर बढ़ जाता है और तमाम तरह की बातें सोच-सोचकर डिप्रेशन। ऐसे में पेरेंट्स की जिम्मेदारी बनती है कि वो बच्चों की इस स्थिति को समझें। उनपर डांटने, चिल्लाने की जगह उनका सपोर्ट करें। क्योंकि यहां पेरेंट्स की किसी भी तरह की लापरवाही और दबाव बच्चों के लिए खतरनाक साबित हो सकती है। - खेलने और घूमने-फिरने में रुचि न होना। - सोशल डिस्टेंसिंग - चिड़चिड़ापन - नींद न आना या देर तक सोते ही रहना - बहुत ज्यादा टेंशन लेना और निगेटिव सोचते रहना। - परफॉर्मेंस में कमी आना - सिरदर्द - दबाव में होने की प्रवृत्ति - किसी भी कार्य को पूरा करने में असमर्थता महसूस करना। व्यवहार में चेंज पर रखें नजर बच्चों के बिहेवियर में अचानक आए बदलाव व दूसरी एक्टिविटीज में होने वाले कई बदलावों को नोटिस करें क्योंकि यही तनाव में रहने का पहला स्टेज है। वैसे ज्यादातर छात्र इस सिचुएशन से वाकिफ होते हैं लेकिन वो ये बात न तो पेरेंट्स से कर पाते हैं न किसी और से। तो इसी सिचुएशन में मां-बाप को ही पहल करनी चाहिए। उनकी एक्टिविटीज़ पर नजर रखें और अगर लगे कि बच्चा तनाव से जूझ रहा है तो उससे बातचीत करें और जरूरत पड़ने पर उसकी काउंसलिंग भी कराएं।

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