काबुल के बजाय दोहा में खुला नया अमेरिकी दूतावास, विदेश मंत्री ने दी जानकारी

Khoji NCR
2021-08-31 09:19:42

वाशिंगटन अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन ने काबुल से अमेरिकी दूतावास को पूरी तरह से बंद करने के साथ ही उसे कतर के दोहा में स्थापित करने की घोषणा की है। विदेश मंत्री ने यह स्पष्ट कर दिया कि

ालिबान को अपनी अंतरराष्ट्रीय वैधता अर्जित करनी होगी। मानवीय आधार पर अमेरिका अफगानिस्तान के लोगों की सहायता करता रहेगा। अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन ने मंगलवार को राष्ट्र को संबोधित करते हुए कहा कि बाकी बचे अमेरिकी नागरिकों और अफगानों को अफगानिस्तान से सुरक्षित बाहर निकालने के लिए अमेरिका अपने प्रयास जारी रखेगा। अब इस युद्धग्रस्त देश से अपनी सुरक्षित निकासी के लिए इन लोगों को क्रूर आतंकी संगठन तालिबान पर निर्भर रहना पड़ेगा। ब्लिंकन ने कहा कि अफगानिस्तान में सैन्य अभियान पूरा हो गया है और नए कूटनीतिक अभियान की शुरुआत हुई है। फिलहाल हमने अपनी कूटनीतिक मौजूदगी काबुल में स्थगित कर अपने दूतावास को वहां पर पूरी तरह से बंद कर दिया है। इसके बदले अमेरिकी दूतावास को कतर के दोहा में स्थानांतरित कर दिया है। अफगानिस्तान में जारी अस्थिरता को देखते हुए अमेरिकी सरकार को यह कदम उठाना पड़ा है। इस फैसले को जल्द ही कांग्रेस में औपचारिक रूप से अधिसूचित किया जाएगा। फिलहाल हम दोहा से ही अफगानिस्तान के साथ अपने कूटनीतिक संबंधों को अंजाम देंगे। अफगानिस्तान के अस्थिर हालात पर ब्लिंकन ने कहा कि तालिबान को अपनी अंतरराष्ट्रीय वैधता अर्जित करनी होगी। इसे हासिल करने के लिए उन्हें यात्रा की आजादी, आतंकवाद के खिलाफ मुहिम, अफगानी लोगों के मूलभूत अधिकारों का आदर करने जैसे जटिल अभियानों को अंजाम देना होगा। साथ ही अफगानी महिलाओं और अल्पसंख्यकों को उनके पूरे अधिकार दें। उनकी बनाई सरकार में सभी की भागीदारी हो। ब्लिंकन ने कहा कि इन सभी शर्तो का पालन करके ही अमेरिका तालिबान के नेतृत्व वाली सरकार को आंकेगा। वह देखेगा कि तालिबान सरकार ने अपने किए वादों को कितनी प्रतिबद्धता के साथ पूरा किया है। उन्होंने कहा कि तालिबान सरकार को अफगानिस्तान में केवल देश हित पर काम करना है। उन्होंने कहा कि अमेरिकी नागरिक मार्क फ्रेरिच्स की सुरक्षित वापसी समेत तालिबान को इन हितों को साधना होगा। मार्क को तालिबान ने पिछले साल बंधक बना लिया था। उन्होंने कहा कि हम नई अफगान सरकार के साथ तभी काम करेंगे जब वह अपनी प्रतिबद्धता को सिद्ध करेंगे। लेकिन हम केवल भरोसे के बिनाह पर ऐसा नहीं करेंगे। अमेरिका का हर कदम इस बात से तय नहीं होगा कि तालिबान क्या कहता है बल्कि इससे तय होगा कि वह करता क्या है।

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