डिमेंशिया के 5 ऐसे शुरुआती संकेत, जिन्हें न करें नज़रअंदाज़

Khoji NCR
2021-08-31 09:09:39

नई दिल्ली, कभी-कभार भूल जाना सभी उम्र के लोगों में सामान्य बात है। हम सभी की ज़िंदगी में ऐसे दिन आते हैं जब हमें याद नहीं आता कि पर्स कहां रख दिया या गाड़ी की चाबी कहां है या फिर सालों बाद मिले कि

ी पुराने सहकर्मी का नाम याद करने में दिक्कत हो रही हो। ऐसा इसलिए होता है क्योंकि हमारा दिमाग़ दिन भर की एक्टिविटी में लगा रहता है और इसलिए हम छोटी या कम महत्व वाली चीज़ों को याद रखने से चूक जाते हैं। यह समस्या तब गंभीर हो जाती है, जब यह हमारे रोज़ाना के कामों में दख़ल देना शुरू कर देती है। उम्र के साथ, हमारी मानसिक स्वास्थ्य स्थिति पर भी असर पड़ना शुरू हो जाता है, जिसे डिमेंशिया कहा जाता है। यह एक विशिष्ट बीमारी नहीं है, बल्कि कम से कम दो मस्तिष्क कार्यों, जैसे स्मृति हानि और निर्णय की हानि की विशेषता वाली स्थितियों का एक समूह है। अध्ययनों से पता चलता है कि डिमेंशिया की शुरुआत से पहले, कुछ चेतावनी के संकेत दिखते हैं। हालांकि, दिमाग़ से जुड़ी इस बीमारी का कोई इलाज नहीं है, न ही इससे बचाव संभाव है। अगर इलाज समय से शुरू कर दिया जाए, तो आप इसे बेहतर तरीके से मैनेज कर पाएंगे। तो आइए जानें डिमेंशिया के 5 शुरुआती संकेतों के बारे में। बातचीत का पता लगाने में असमर्थता ऑक्सफोर्ड के शोधकर्ताओं द्वारा किए गए एक नए अध्ययन के अनुसार, आसपास के शोर में बात का पता लगाने में असमर्थता भी डिमेंशिया के जोखिम का संकेत है। बात करने पर सामने वाले को बात का पता न चलना आमतौर पर सुनने की शक्ति से जोड़ा जाता है, लेकिन ऑक्सफोर्ड के शोधकर्ताओं ने इसे डिमेंशिया से भी जोड़ा है। शोधकर्ताओं के अनुसार, आसपास के शोर के बीच जिन लोगों को बात समझने में परेशानी होती है, आगे चलकर उनमें डिमेंशिया का ख़तरा भी बढ़ जाता है। भूलने की आदत भूलने की आदत डिमेंशिया का शुरुआती लक्षण है। डिमेंशिया जैसी स्थिति के विकसित होने के कगार पर एक व्यक्ति को अक्सर चीज़ों को याद करने में मुश्किल होती है। वे चीज़ों को याद रखने के लिए अपने परिवार और दोस्तों पर निर्भर करते हैं। जो लोग कभी-कभी चीज़ें भूल जाते हैं, लेकिन फिर उन्हें याद आ जाता है, तो यह डिमेंशिया का लक्षण नहीं है। ये सिर्फ उम्र से जुड़ी एक समस्या है। मूड में बदलाव बार-बार मूड बदलना एक ऐसा संकेत है जिससे आप डिमेंशिया के लक्षणों को आसानी से पहचान सकते हैं। कभी-कभी आप बेहद खुश होते हैं और दूसरे ही पल गंभीर महसूस करने लगते हैं। व्यक्तित्व में धीरे-धीरे बदलाव आने लगता है, जो काफी साफ होता है। अवसाद से पीड़ित लोगों में भी इस स्थिति के विकसित होने का ख़तरा होता है। डिमेंशिया में जो काम रोज़ करते आएं हैं, जैसे चाय बनाना या फिर कंप्यूटर चलाने जैसे काम भी मुश्किल हो जाते हैं। यह कुछ ऐसे काम हैं, जो आप बरसों से करते आए हैं, लेकिन फिर भी आपको इन्हें करने में मुश्किल आ रही है। आप ये दिक्कत घर या ऑफिस में महसूस कर सकते हैं। बातचीत करने में दिक्कत या सही शब्द खोजने में संघर्ष डिमेंशिया वाले लोगों को बातचीत में शामिल होने में या अपने विचारों को शब्दों में पिरोने में मुश्किल हो सकती है। वे भूल सकते हैं कि वे किस बारे में बात कर रहे थे या दूसरे व्यक्ति ने क्या कहा है। ऐसे व्यक्ति के साथ बातचीत करना मुश्किल हो सकता है, और अपनी बात को ख़त्म करने में ज़्यादा समय लग सकता है। कई लोग शब्दों की सही स्पेलिंग नहीं लिख पाते हैं या व्याकरण संबंधी गलतियां करते हैं या उनकी लिखावट पढ़ने में नहीं आती है।

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