उमेश गुप्ता सोहना,: सोहना इलाके में प्रकृति की उपासना का पर्व गौवर्धन का त्यौहार बहुत ही हर्षोल्लास, धूमधाम और उमंग के साथ मनाया गया। इस अवसर पर शहरी क्षेत्र में गर्मचश्मा श्री शिवकुंड स्थल,
्राचीन हनुमान बगीची, लोहियावाड़ा स्थित श्री दाऊ जी मंदिर, श्रीराम मंदिर, मृत्युंजय क्षेत्र श्री शनि मंदिर, सैनी भवन धर्मशाला, चुंगी एक स्थित लक्ष्मी मोड पर, साई मंदिर, भूरपाड़ा स्थित श्री भैरो मंदिर, शीतला माता मंदिर, देवी मंदिर तथा शिव कॉलोनी के शिवमंदिर में श्री शिवमंदिर सेवा समिति पंजीकृत के तत्वाधान और बाबू जती सिंगला के सानिध्य व अग्रवालसभा के उपाध्यक्ष रहे सेठ ताराचंद गर्ग, लाला नारायण दास अड़बरिया, बहाल सिंह खटाना, गौरव चुघ, देविन्द्र अग्रवाल, श्यामलाल बघेल, बीर सिंह खटाना, दिनेश गर्ग, राजेन्द्र कुमार, लक्ष्मण गर्ग, समय सिंह सौरोत, प्रेम सिंह बच्चस, देविन्द्र कुमार तायल, अशोक जैन, दीपक जैन उर्फ बल्लू आदि कार्यकर्ताओं के सहयोग से दिन भर बाजरा, कढ़ी, सब्जी, चावल का प्रसाद वितरित किया गया। प्रसाद लेने के लिए श्रद्धालुओं की लंबी लाईनें देखने को मिली। प्राचीन हनुमान बगीची में हनुमान मंदिर महंत भगवंतकिशोर व नवलकिशोर तथा सीमा शर्मा एडवोकेट की अगुवाई में कार्यकर्ताओं ने पहले पूरे विधि-विधानपूर्वक गौवर्धन पूजा की। फिर श्रमदान करते हुए प्रसाद वितरण किया। सुरक्षा समिति कार्यकर्ताओं ने भी हनुमान बगीची में गौवर्धन पूजा कर अन्नकूट प्रसाद वितरित किया। सैनी भवन धर्मशाला में भी पूरे विधिविधानपूर्वक श्री गौवर्धन पूजा उपरांत अन्नकूट प्रसाद वितरित किया गया। श्रमदान में सैनी सभा समाज के तमाम कार्यकर्ताओं का विशेष योगदान रहा। सोहनाढाणी गांव के नंबरदार जितेन्द्र सैनी व नंबरदारनी कविता सैनी के अनुसार गांव के मंदिर पर गौवर्धन पूजा की गई और तैयार किया गया अन्नकूट का प्रसाद श्रद्धालुओं के बीच वितरित किया गया। गांव रायसीना में भी मंदिर पर गौवर्धन पूजा और अन्नकूट का प्रसाद वितरित करने की जानकारी मिली है। इसके अलावा यहां पर क्षेत्र के विभिन्न मंदिरों तथा गांवों में भी जनसहयोग से अन्नकूट बनाकर कढ़ी, बाजरा, चावल, सब्जी आदि का प्रसाद वितरित कर लंगर चलाए गए। तत्पश्चात महिलाओं द्वारा गाय का गोबर एकत्रित कर मंगलगीत गाते हुए अपने-अपने घरों में लाए गए गोबर से गौवर्धन महाराज की मानव आकृति और गोवर्धन के चारों तरफ पशुधन के साथ-साथ बीच में श्री कृष्ण की आकृति बना कांस की सींकों, कपास तथा वृक्ष की पतली टहनियां लगाकर बनाए गए पर्वत पर परिजनों द्वारा सामूहिक रूप से एकत्रित हो गौवर्धन महाराज के पूजन के दौरान परिक्रमा करते वक्त ‘मानसी गंगा श्री हरि दे-गिरिवर की परिक्रमा दे’ का उदघोष करते हुए विधिवत पूजा-अर्चना की। प्राचीन कहावत के अनुसार द्वापर युग में अन्नकूटद्वारा देवराज इन्द्र के पूजन से इन्द्र में अभिमान आने पर श्री कृष्ण भगवान ने इन्द्र का अभिमान तोडऩे के लिए इन्द्र की बजाय गौवर्धन पर्वत की पूजा करवाने
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