शुक्रवार को जुड़ी पंचायत। सोमवार क़ो होगा महापंचायत का ऐलान। सोहना अशोक गर्ग सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर वन विभाग द्वारा वन क्षेत्र की भूमि से अवैध कब्जा हटवाए जाने के लिए शुरू की गयी पहलका स्
ानीय लोगों ने विरोध जताया। शहर के लोग वन विभाग की कार्यवाही से संतुष्ट नही दिखे। वन विभाग के ख़िलाफ़ विरोध को लेकर शुक्रवार को शहर के ठाकुरवाडा मोहल्ले की चौपाल पर शहरवासियों की पंचायत का जुड़ी। पंचायत में वन विभाग के ख़िलाफ़ आर पार की लड़ाई लड़ने का सर्वसम्मति से निर्णय लिया गया।फ़ैसला लिया गया कि सोमवार को व्यापार मंडल के तत्वावधान में पंचायत होगी जिसने वन विभाग के ख़िलाफ़रणनीति तैयार की जाएगी तथा महापंचायत की रूप रेखा बनायी जाएगी। पंचायत में मौजूद शहर के कई वार्ड के लोगों ने वन विभाग द्वारा जारी किए नोटिस व सर्वे का विरोध जताया। लोगों ने वन विभाग द्वारा की जा रही कार्यशैली पर सवाल उठाए। अपना घरोंदा उजड़ते देख लोगों में विधायक संजय सिंह को ज्ञापन सौंपकर न्याय की गुहार लगायी। तीन अगस्त से कम विभाग द्वारावन क्षेत्र की भूमि के सर्वे का कार्य शुरू है। विभाग के कर्मचारियों ने शहर की पीर कालोनी,पहाड़ कालोनी, गूजरघाटी, देवीलाल रोड,आइटीआइकालोनी,ठाकुरवाडा में पहुँचकर सर्वे किया तथा क़रीब 500 लोगों को नोटिस दिए ओर कई कालोनी में निशान देही की। ड्रोन के द्वारा सर्वे का कार्य किया जा रहा हैं। वन विभाग ने यह कार्यवाही माननीय सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर शुरू की हैं। वन विभाग ने सोहना, रायसीना, भोंडसी अभयपुर, ग़ैरतपूरबास, सहित वन विभाग के अंतर्गत भूमि में किए गए क़ब्ज़े को हटाने के लिए नोटिस जारी किए।अधिकारियों की माने तो सोहना , व दमदमा सहित अरावली की तलहटी से लगते कई गाँवों में वन विभाग की हज़ारों एकड़ भूमि पर लोगों ने क़ब्ज़ा है। इन कालोनियों का किया गया हैं सर्वे। वन विभाग ने शहर की आईटीआई कालोनी, पहाड़ कालोनी, पीर कालोनी, गूजर घाटी, देवीलाल रोड, ठाकुरवाड़ा सहित कई स्थानों पर बने आवासों का सर्वे कर लिया है। सर्वे टीम सन 1900 पंजाब भू अधिनियम ऐक्ट ( पी एल पी ए)द्वारा जारी नोटिफिकेशन के आधार पर सर्वे कर रही है। सर्वे ड्रोन के द्वारा किया गया हैं।विभाग अपने नक्शे में दर्ज किला नम्बर, मुस्ततिल नम्बर को आधार बना रही है। अंग्रेजों का कानून लागू। अंग्रेजी हकूमत ने सन 1900 में पीएलपीए कानून बनाया था। जिसको आज तक भी बदला नहीं गया है। तीन साल पहले प्रदेश सरकार ने इस क़ानून में संशोधन के लिए माननीय सुप्रीम कोर्ट में पैरवी की मगर शीर्ष अदालत ने इस मामले पर अभी रोक लगा रखी हैं।जिसमें पंचायतों ने अपनी भूमि को वन विभाग को दे दिया था। वर्ष 1995 में जिसकी अवधि समाप्त हो गई थी। किन्तु एक अदालती केस के माध्यम से उक्त भूमि वर्ष 2004 में पुनः वन विभाग के अधीन आ गई थी। जिसको फारेस्ट लैंड घोषित कर दिया। क्या कहते हैं अधिकारी वन विभाग के रेंज अधिकारी अनिल कुमार बताते हैं कि उक्त कार्यवाही माननीय सुप्रीम कोर्ट के आदेशों की पालना में कई गई है।सोहना में1257 ऐकड भूमि वन विभाग की है जिसपर दो तरहसे लोगों का क़ब्ज़ा है एक वे लोग हैं जिनके पास राजस्व विभाग के मुताबिक़ मालिकाना हक के काग़ज़ात हैं दूसरे वे लोग हैं जिनके पास कोई मालिकाना हक़ का कोई दस्तावेज नही है ऐसे तमाम लोगों से वन विभाग की भूमि से क़ब्ज़ा हटवाया जाएगा। एक सप्ताह कानोटिस भेजा गया है। तथा सर्वे के काम में पूरी तरह पारदर्शिता बरती गयी हैं। टैंकर अधिकारी अनिल कुमार।
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