पंजाब के प्रगतिशील किसान की दो टूक- धरनों की बजाए नए आइडिया पर काम करें, सुधरेंगे हालात

Khoji NCR
2020-12-11 07:45:08

आए दिन सरकारी नीतियों को लेकर किसान धरने देने की बजाए नए-नए आइडियापर काम करते तो आज उनकी यह स्थिति न होती। यह कहना है पंजाब के मोहाली जिले के झंझेड़ी के प्रगतिशील किसान गुरप्रकाश का। वह कहते ह

ं, किसान बेवजह आंदोलन करने के बजाय खेती के नए तरीके अपनाएं और कृषि कानूनों का लाभ उठाएं। अपने खेत में गुड़ बनाने के लिए गन्ने को साफ करवाते हुए गुरप्रकाश ने नए कृषि कानूनों पर खुलकर अपनी राय रखी। उन्होंने कहा, हमें ये भी सोचना चाहिए कि सरकार नए कानून क्यों लेकर आई है। मैंने पता किया तो पता चला कि गोदाम अनाज से पटे हुए हैं और हर साल तीन से चार सौ लाख टन अनाज और आ जाता है आखिर इतने अनाज का करना क्या है। वह कहत हैं, हालत यह हैं कि हम 70 हजार करोड़ की दालें बाहर से मंगवाते हैं और 75 हजार करोड़ का लोगों को बीमार करने वाला पॉम ऑयल बाहर से मंगवाते हैँ । क्या ये चीजें हम खुद नहीं उगा सकते। अगर धरने ही देने हैं तो सरकार को इन चीजों पर सहायता देने के लिए धरने दो ताकि हम खुद भी आत्म निर्भर बन सकें और देश को भी बनाएं। गुरप्रकाश मोहाली फतेहगढ़ साहिब रोड पर अपने नौ एकड़ में आर्गेनिक खेती करते हैं। यह काम उन्होंने पांच साल पहले ही शुरू किया। इसमें सबसे बड़ी दिक्कत मार्केटिंग की आई, लेकिन उन्होंने इस पर सरकार से न्यूनतम समर्थन मूल्य मांगने की बजाए अपने तौर पर मित्रों के साथ मिलकर बाजार बनाया। वह कहते हैं, सुखना लेक के पास रोड साइड पर बनाए इस बाजार में मात्र 6 -7 लोगों ने ही यह काम शुरू किया। आज यहां 20 के करीब किसान आ रहे हैं और हमारे पास एक हजार के लगभग ग्राहकों के व्हाट्सअप ग्रुप में नंबर हैं। हर हफ्ते हमारी आमदनी अब 12 हजार तक पहुंच चुकी है जो कभी मात्र 500 रुपये थी। गुरप्रकाश बताते हैं कि सबसे पहले किसानों को अपने घर की, अपने गांव की जरूरतों को पूरा करने के लिए हर चीज उगाएं। सरसों, मूंगफली का तेल हम अपना पैदा क्यों नहीं कर सकते। गुड़ बनाकर मीठे की जरूरत पूरी क्यों नहीं की जा सकती और क्यों इसके लिए बाजार पर निर्भर हैं। कानून चाहे नए हों या पुराने, इसको देखने की जरूरत केवल तब है अगर हमने अपने आप को बाजार या सरकार पर निर्भर कर लिया है। उन्होंने बताया कि हमारा मुलठी वाला गुड़ 120 रुपये किलो में लोग खुशी-खुशी ले रहे हैं। उन्हें पता है कि यह आर्गेनिक तरीके से उगाया हुआ है। गुरप्रकाश इन दिनों गुड़ की टॉफी बनाने की कोशिश में लगे हैं। इसमें वह आयुर्वेद के माहिरों से सहायता ले रहे हैं कि इसमें वे क्या-क्या कितना शामिल कर सकते हैं ताकि बच्चों के लिए यह स्वास्थ्यवर्द्धक हो। यह भी पढ़ें: Agriculture Laws: कृषि कानूनों पर शऱद पवार के बाद हरियाणा के पूर्व सीएम हुड्डा कठघरे में वह कहते हैं, क्या आम किसान आज क्वालिटी पर काम कर रहे हैं। उन्‍होंने तो ज्यादा से ज्यादा पैदावार के चक्कर में अपनी जमीन का सत्यानाश कर लिया है। उन्‍होंने कीटनाशक दवाओं का उपयोग करके अपने और दूसरों के शरीर को बीमारियो

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