पाकिस्‍तान के सीनियर जर्नलिस्‍ट हामिद मीर ने खोली पीएम इमरान खान और सेना की पोल, कहा- देश में नाम के लिए है लोकतंत्र

Khoji NCR
2021-08-10 08:07:47

इस्‍लामाबाद । पाकिस्‍तान के बेहद चर्चित और वरिष्‍ठ पत्रकार हामिद मीर ने कहा है कि उनके देश में केवल नाम मात्र के लिए ही लोकतंत्र है। बीबीसी के साथ हुए एक इंटरव्‍यू में उन्‍होंने कहा कि देश मे

लोकतंत्र है, लेकिन नहीं है। पाकिस्‍तान में संविधान भी है, लेकिन नहीं है, और वो इस सेंसरशिप का जीता-जागता उदाहरण खुद हैं। इस इंटरव्‍यू में उन्‍होंने न सिर्फ पाकिस्‍तान की खुफिया एजेंसी की पोल-पट्टी खोली है बल्कि सेना की राजनीतिक ताकत को बताया है। उन्‍होंने कहा है कि देश में सेना ही सबकुछ है, पीएम तो केवल नाम के लिए है। डान अखबार ने बताया है कि मीर को एक बार अगवा तक कर लिया गया था। इसके अलावाा वो दो बार जानलेवा हमलों में भी बचे हैं। उनके एक कार्यक्रम को capital talk show सरकार ने ऑफ एयर कर दिया था। एक अन्‍य पत्रकार पर हुए हमले के बाद जब उन्‍होंने पाकिस्‍तान सेना की आलोचना की थी तब उन्‍हें भी ऑफ एयर कर दिया गया था। बीबीसी के शो हार्ड टाक के होस्‍ट स्टिफन सकर के साथ हुई बातचीज में उन्‍होंने कहा कि पाकिस्‍तान के पत्रकार वहां पर कानून का राज चाहते हैं। यदि कोई पत्रकार इस बाबत किसी सवाल का जवाब चाहता है तो उसकी आवाज को दबाना नहीं चाहिए। । ये पूछे जाने पर कि क्‍या पत्रकारों पर हुए हमले में पाकिस्‍तान की खुफिया एजेंसी का भी हाथ है मीर ने कहा कि इसके दस्‍तावेजी सबूत मौजूद हैं कि स्‍टेट एजेंसी और पाकिस्‍तान की खुफिया एजेंसियों पर पत्रकारों पर हमले करवाने और उन्‍हें अगवा कराने के आरोप बार बार लगते रहे हैं। उनके खिलाफ भी सरकार और सेना की तरफ से कई मामले दर्ज करवाए गए हैं, जिसके लिए वो पूरी जिंदगी जेल में सड़ने को भी तैयार हैं। ऐसा इसलिए क्‍योंकि यदि वो ऐसा करते हैं और उन्‍हें सजा होती है तो कम से कम इससे पूरी दुनिया को इस बारे में पता तो चल जाएगा कि आखिर पाकिस्‍तान में हो क्‍या रहा है। पूरी दुनिया इस बात को जानती है कि यहां पर क्‍या हो रहा है, क्‍योंकि वो यहां की सेंसरशिप के जीते-जागते उदाहरण हैं। इस इंटरव्‍यू में उनसे पूछा गया कि पाकिस्‍तान मीडिया पर लगी पाबंदियों और उनके शो को बंद करने के पीछे इमरान खान कितने जिम्‍मेदार हैं। इस सवाल के जवाब में मीर ने कहा कि उन पर बैन लगाने के लिए इमरान खान सीधेतौर पर जिम्‍मेदार नहीं हैं। वो ये भी नहीं मानते हैं कि इमरान ऐसा कर सकते हैं। उनके मुताबिक देश के पूर्व के प्रधानमंत्रियों की ही तरह इमरान खान भी कोई ताकतवर पीएम नहीं हैं। वो खुद मजबूर हैं इसलिए वो मेरी मदद नहीं कर सकते हैं। इंटरव्‍यू में उन्‍होंने कहा कि पाकिस्‍तान में हमेशा से ही प्रेस की आजादी को लेकर सरकार की आलोचना होती रही हैं। जून में तीन इंटरनेशनल राइट्स ग्रुप ने अपने एक संयुक्‍त बयान में पाकिस्‍तान में प्रेस पर लगी पाबंदी पर गहरी चिंता व्‍यक्‍त की थी। इस बयान में सरकार की भी कड़ी आलोचना की गई थी। ह्यूमन राइट वाच, एमनेस्‍टी इंटरनेशनल और इंटरनेशनल कमीशन आफ ज्‍यूरिस्‍ट्स ने कहा था कि इसके खिलाफ दोषियों को सजा दी जानी चाहिए।

Comments


Upcoming News