सोहना,(उमेश गुप्ता): यहां पर गांव बंधवाड़ी अनाथआश्रम में बुजुर्गों की देखभाल करने के लिए चलाए जा रहे अनाथ व बुजुर्ग आश्रम में आर्थिक तंगी यहां रह रहे बुजुर्गों पर भारी पड़ रही है। हालात ऐसे बन
ए है कि आर्थिक तंगी की वजह से आश्रम में अनाथ व बुुजुर्गों की देखभाल में लगे कर्मचारियों को आठ महीन से वेतन नही मिला है लेकिन दान में आने वाले अनाज व खाद्य सामग्री की कमी के चलते इस अनाथ व वृद्धाश्रम में रहने वाले 750 वृद्धों को मिलने वाली सुविधाएं भी कम हो गई है। इस आश्रम में रह रहे अनाथ व बुजुर्गों की देखरेख, अल्पाहार और भोजन से लेकर दवा तक पर रोजाना करीब 5 लाख रुपए खर्चा आ रहा है। सरकार की तरफ से बंधवाड़ी अनाथआश्रम को किसी भी तरह का कोई आर्थिक सहयोग नही मिलता है। यह आश्रम केवल दानियों के सहयोग से चल रहा है। इस आश्रम में बेसहारा महिला-पुरूष के साथ-साथ बुजुर्ग पल रहे है। ऐसे लोगों की तादाद भी काफी है, जिनके परिजनों ने किसी भी गंभीर बीमारी के कारण उन्हे छोड़ दिया है या दिव्यांग होने पर जो लोग तेज धूप, आंधी, बारिश में सड़क किनारे पड़े रहते थे, उन्हे इस आश्रम में सहारा दिया गया है तो कई ऐसे वृद्ध भी आश्रम में रह रहे है, जिनके बच्चे अपने माता-पिता को अनाथआश्रम में छोड़ गए। पुलिस प्रशासन भी मानसिक रूप से बीमार और विक्षिप्त लोगों को यहां पर छोड़कर जाती है लेकिन कोरोना महामारी की दूसरी लहर के बाद दानदाताओं की संख्या में कमी आ गई है। इससे आश्रम में रहने वाले 750 बुजुर्गों को मिलने वाली सुविधाएं कम हो गई है। आर्थिक तंगी की वजह से खाद्य पदार्थों की दिक्कत शुरू हो गई है। आश्रम में आटा, चावल, दाल, चीनी, दूध और सब्जियों की कमी हो गई है। ऐसे हालातों को देख परेशान होकर आश्रम संस्थापक कर्मयोगी रवि कालड़ा ने सोशल मीडिया पर मदद की गुहार लगाई है। कर्मयोगी रवि कालड़ा की माने तो आश्रम में बुजुर्गों की देखभाल के लिए 200 कर्मचारी लगे हुए है। इसमें डाक्टर से लेकर साफ-सफाई समेत अन्य काम देखने वाले कर्मचारी शामिल है। आर्थिक तंगी की वजह से इन कर्मचारियों को आठ महीने से वेतन नही मिला है। इसके बावजूद कर्मचारियों ने बुजुर्गों की सेवा को नही छोड़ा। वे अपने खर्चे पर आश्रम में काम कर रहे है। बताया जा रहा है कि पांच लाख रुपए रोजाना आश्रम पर खाने से लेकर दवाई में खर्च आता है। अनाथआश्रम में रहने वाले प्रवीण कुमार, राजकुमार, जितेन्द्र कुमार, करूणा मेहरा, राधा, सुलेखा, हीरा आदि ने बताया कि हमें किसी चीज की कमी नही है। संस्था की ओर से सभी प्रकार की सुविधाएं मिलती है। संस्था के पास वित्तीय दिक्कत है। इसके बावजूद वरिष्ठ नागरिकों को कमी नही आने दे रहे है। किसी ने उनको सहारा नही दिया। आश्रम में रहकर ईश्वर से प्रार्थना करते है कि जो दिक्कत आ रही है, वह जल्द दूर हो जाए। अर्थ सेवियर फाउडेंशन की ओर से गांव गांव बंधवाड़ी में अनाथआश्रम चलाया जा रहा है। यहां पर उन बेसहाराओं महिला-पुरूषों को रखा गया है, जो किसी बीमारी से ग्रस्त होने के बाद परिजनों द्वारा छोड़ दिए गए है या दिव्यांग होने पर सड़कों पर पड़े रहते थे। उनको इस आश्रम में रखा गया है। कई ऐसे बुजुर्ग भी आश्रम में रह रहे है, जिनके बच्चे अपने माता-पिता इस आश्रम में छोड़ गए। पुलिस भी मानसिक रूप से बीमार लोगों को यहां पर छोड़कर जाती है। बंधवाड़ी अनाथआश्रम के संचालक कर्मयोगी रवि कालड़ा का कहना है कि आश्रम में रहने वाले 750 बुजुर्ग और दिव्यांगों की हालत दयनीय होती जा रही है। दान में आने वाले अनाज की कमी हो गई है। लोगों से मदद की गुहार लगाई है। सरकार की ओर से कोई सहयोग नही मिलता है। आश्रम के कर्मचारियों को भी वेतन देना मुश्किल हो गया है। फिर भी बुजुर्गों की सेवा में लगे है।
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