सोहना,(उमेश गुप्ता): सोहना शहर में पलवल रोड़ पर मृत्युजंय क्षेत्र में स्थित श्री संकटमोचन शनि मंदिर प्रांगण में आषाढ़ पूर्णिमा के उपलक्ष्य में 22 जुलाई को भजन-कीर्तन और 23 जुलाई को विशाल भंडारे
ा आयोजन होगा। इस मौके पर गुरू पूर्णिमा पर्व बहुत ही हषोल्लास और धूमधाम के साथ मनाया जाएगा। श्रद्धालु भक्त व समाजसेवी मुकेश राजपाल ने बताया कि महंत श्री मुख्त्यारपुरी जी महाराज के सानिध्य तथा पुजारी रणबीर शर्मा की देखरेख में 22 जुलाई को प्रात: सर्वप्रथम गुरू पूजा होगी। तत्पश्चात भजन, कीर्तन, हवन-यज्ञ, सत्संग आयोजित होगा। तत्पश्चात अगले दिन 23 जुलाई को भंडारा चलाया जाएगा। उन्होंने बताया कि कार्यक्रम आयोजन को लेकर श्रद्धालुओं में खासा उत्साह बना हुआ है। इस धार्मिक उत्सव में कार्यकर्ता सपरिवार बढ़ चढ़कर हिस्सा ले रहे है। शहीद के सम्मान में की गई घोषणाएं हुई हवा-हवाई सरकार कर रही अमर शहीद कंवरपाल सिंह की अनदेखी-लोगों में फैला रोष सोहना,(उमेश गुप्ता): सोहना शहर में राजपूत मोहल्ले के निवासी और भारतीय सेना की 38एम रेजीमेंट में सूबेदार के पद पर तैनात कंवरपाल सिंह तोमर 26 मई, 2007 को श्रीनगर के कुपवाड़ा में आतंकवादियों से मुकाबला करते वक्त आतंकवादियों की बिछाई गई बारूदी सुरंग से हुए भयंकर विस्फोट की चपेट में आने पर वीरगति को प्राप्त हुए थे। जिनकी शहादत को आज चौदह साल हो गए है लेकिन सरकार ने शहीद कंवरपाल के सम्मान में जो घोषणाएं की, वह घोषणाएं आज तक पूरी नही की गई है। जिससे सर्वजातीय समाज के लोगों में रोष फैल रहा है। लोगों का कहना है कि केन्द्र व प्रदेश सरकार शहीदों की शहादत पर शहीदों व उनके परिवारों को सम्मान देने के लंबे-चौडे वादे करती है। घोषणाएं की जाती है लेकिन बाद में सरकार अपनी की गई घोषणाओं को खुद ही भुला देती है। या तो सरकार घोषणा ना करे और घोषणा करती है तो उसे एक निर्धारित समयावधि के भीतर लागू करके दिखाए। शहीद के पुत्र अमित तोमर बताते है कि उनके पिता के शहीद होने पर उस वक्त मौजूद नेताओं ने उनके पिता अमर शहीद कंवरपाल सिंह की याद को चिरस्थाई बनाए रखने के लिए स्मारक बनाने समेत ढेरों वादे किए लेकिन उनमें से किया गया कोई भी वादा अभी तक पूरा नही हो पाया है। शासन-प्रशासन की बेरूखी को देख उन्होने अब अपने खर्चे पर ही अपने पिता व अमर शहीद कंवरपाल सिंह की स्मृति में भव्य स्मारक का पुर्ननिर्माण और सौंदर्यकरण कराए जाने का निर्णय लिया है लेकिन अपने दिल के दर्द को जुबा पर लाते हुए उन्होने साफ कहा कि शहीद देश की अमूल्य धरोहर है। शासन-प्रशासन को शहीदों की शहादत से खिलवाड़ नही करना चाहिए और ना ही राजनीति करनी चाहिए। किसी भी शहीद की शहादत पर सरकार यदि कोई ऐलान करे तो उसे जरूर पूरा करना चाहिए। अन्यथा सरकार की की गई घोषणाएं धरातल पर लागू ना होने से ना केवल उपहास का पात्र बनती है बल्कि आम जनमानस के बीच सरकार की छवि धूमिल होती है। शहीद कंवरपाल तोमर के पुत्र अमित तोमर का कहना है कि उन्होने कई बार अपने पिता अमर शहीद कंवरपाल तोमर की याद को चिरस्थाई बनाए रखने के लिए नगरपरिषद, सैनिक बोर्ड समेत शासन-प्रशासन को गुहार लगाई लेकिन उनकी आवाज नक्कारखाने में तूती की मानिंद दबकर रह गई। सर्वजातीय समाज के स्थानीय जागरूक लोगों का कहना है कि एक और सरकार विजय दिवस, शहीदी दिवस और अन्य कार्यक्रमों का आयोजन करके शहीदों की शहादत को नमन करने के नाम पर करोड़ों रुपए खर्च कर उन्हे सम्मान देने का दावा करते नही थकती तो दूसरी ओर सोहना शहर के प्रथम शहीद कंवरपाल सिंह की शहादत के बाद सरकार की तरफ से किए गए वादे आज तक पूरे नही हो पाए है। चौदह वर्ष बीतने को है लेकिन सरकार आज तक अपने खर्चे पर उनकी स्मृति में यहां शहीद स्मारक का निर्माण तक नही करा पाई है। हालात ये है कि सरकार की बरती जा रही लापरवाही व अनदेखी के चलते वर्ष-2010 में शहीद कंवरपाल सिंह की वीरांगना श्रीमती धर्मवती का भी निधन हो गया। शहीद के परिवार में एक पुत्र व 2 पुत्रियां है, जो अपने माता-पिता को याद करते हुए कहते है कि सरकार ने जो वादा किया, उसे आज तक नही निभाया। ध्यान योग्य ये है कि सोहना शहर में राजपूत मोहल्ले के निवासी और भारतीय सेना की 38एम रेजीमेंट में सूबेदार के पद पर तैनात कंवरपाल सिंह तोमर 26 मई, 2007 को श्रीनगर के कुपवाड़ा में आतंकवादियों से मुकाबला करते वक्त आतंकवादियों की बिछाई गई बारूदी सुरंग से हुए भयंकर विस्फोट की चपेट में आने पर वीरगति को प्राप्त हो गए थे। हालांकि सोहना के रहने वाले शहीद सूबेदार कंवरपाल सिंह तोमर की याद में यहां पर प्रति वर्ष कार्यक्रमों का आयोजन होता है और कार्यक्रमों में सोहना शहर और आसपास के गांवों के अलावा दूरदराज क्षेत्रों से विशेष आमंत्रण पर आने वाले लोग सपरिवार बढ़-चढ़कर हिस्सा लेते है और कार्यक्रमों में शामिल होकर सोहना ही नहीं देश की आन, बान और शान के प्रतीक अमर शहीद सूबेदार कंवरपाल सिंह तोमर को अपनी भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित कर उन्हें याद करते है लेकिन दुख की बात ये है कि आज 14 वर्ष बीत गए है। शहीद की शहादत होने पर सरकार ने शहीद परिवार से जो वादें किए थे, वह आज तक पूरे नही हो पाए है। जिससे क्षेत्र के लोगों में सरकार की कार्यप्रणाली को लेकर रोष है। सर्वजातीय समाज के स्थानीय लोगों का साफ कहना है कि शहीद किसी वर्ग, जाति, धर्म, मजहब, वर्ग, क्षेत्र विशेष के नही अपितु सब के सांझे और राष्ट्र की धरोहर होते है। आज हम इस खुली हवा में जो सांस ले रहे है, वह इन्हीं शहीदों की देन है। शर्मनाक बात ये है कि 14 वर्ष बीत गए है। सरकार की तरफ से अभी तक शहीद के परिवार से किए गए किसी भी वादे को पूरा नही किया गया है। जिससे जाहिर है कि सरकार चाहे किसी पार्टी की बने, सत्ता में आने के बाद वादों को अहमियत नही दी जाती। कथनी और करनी में फर्क आ जाता है। अन्यथा क्या कारण है कि देश के ऊपर जान न्यौछावर करने वाले भारत मां के सच्चे सपूत की याद को चिरस्थाई बनाने के लिए किए गए वादे आज भी पूरा होने की बजाय वादे ही बने हुए है। श्री शिवकुंड प्रबंधन रक्षा कमेटी के प्रधान अनुराग राणा, शिवकुंड कमेटी के पूर्व प्रधान शिवकुमार व योगेश राणा, शिवकुंड कमेटी के पूर्व प्रबंधक राजेश राघव आदि का कहना है कि सरकार को इस तरफ ध्यान देना चाहिए और बिना कोई देरी किए उपरोक्त मांगों को पूरा कर सोहना शहर में अमर शहीद सूबेदार कंवरपाल सिंह तोमर की स्मृति में सरकारी कोष से शहर में शहीद स्मारक बनवाना चाहिए ताकि आने वाली युवा पीढ़ी उनकी बहादुरी से प्रेरणा ले। सोहना व्यापारमंडल संघ के चीफ एडवाईजर व अग्रवालसभा के वरिष्ठ उपाध्यक्ष उमेश अग्रवाल ने मुख्यमंत्री मनोहरलाल सरकार से मांग की है कि सोहना शहर के मूल निवासी व अमर शहीद सूबेदार कंवरपाल सिंह तोमर की शहादत पर उनके परिजनों से किए गए वादे को जल्द पूरा करे और अमर शहीद सूबेदार कंवरपाल सिंह तोमर की स्मृति में सरकारी कोष से शहर में शहीद स्मारक बनाया जाए। शहर के सरकारी स्कूल का नाम उनके पर रखा जाए और फौहारा चौक से राजपूत मोहल्ले तक आवाजाही वाले सड़क मार्ग का नाम शहीद कंवरपाल सड़क मार्ग रखा जाए। शहीद के परिजनों को गैस एजेंसी अथवा पेट्रोल पंप आवंटित किया जाए। उन्होने कहा कि आज शहीद की शहादत को 14 वर्ष बीत गए है लेकिन शहीदों को सम्मान देने का दावा करने वाली सरकार शहीद कंवरपाल सिंह की शहादत पर उनके परिवार से किए गए वादे को भुलाए हुए है।
Comments