सोहना,(उमेश गुप्ता): अवैध रूप से विकसित हो रही कॉलोनियों और फ्लैटस की रजिस्ट्रियां अब जांच के घेरे में है। जांच शुरू होने पर सामने आया कि तहसील में बिना प्रोपर्टी आईडी के रजिस्ट्रियां हो रही ह
और संबंधित अधिकारी जमकर मलाई मा रहे है। जिससे सरकार को लाखों रुपए का चूना लग रहा है। जांच में ये भी सामने आया है कि छह तहसीलों में करीब 700 रजिस्ट्र्रियां बिना प्रोपर्टी आईडी के की गई है। इतना ही नही जांच में यह भी सामने आया है कि जनवरी से जून महीने के बीच में बिना डीटीपी से एनओसी लिए तहसीलों में रजिस्ट्रियां हुई है। ऐसे में अब उन तहसीलदारों पर गाज गिरने की संभावना है, जिनके नाम जांच में सामने आ रहे है। जांच टीम के अधिकारियों की माने तो नगरनिगम का दायरा बढऩे पर सोहना ब्लॉक के गांव भौंड़सी, नयागांव, बैरमपुर, कादरपुर, पलड़ा, उल्लावास, मैदावास, धूमसपुर समेत16 नए गांव नगरनिगम दायरे में शामिल किए गए। तहसीलों में 60 फीसदी रजिस्ट्रियां बिना डीटीपी से एनओसी लिए बिना कराई गई है। जिला राजस्व अधिकारी हरिओम खत्री का कहना है कि जांच रिपोर्ट जल्द ही उपायुक्त को सौंप दी जाएगी। आरोप है कि कई तहसीलों में कुछ ऐसी रजिस्ट्रियां हुई है, जिन्हे करने से पहले टीसीपी विभाग और नगरपरिषद अथवा नगरनिगम से एनओसी नही ली गई। तहसील कार्यालय में बिना डीटीपी की एनओसी के सेक्शन-7ए के नियमों को ताक पर रखकर की गई रजिस्ट्रियों की मिल रही शिकायतों पर संज्ञान लेते हुए उपायुक्त ने सभी तहसील कार्यालयों में चालू वर्ष के अप्रैल महीने से जून महीने तक के बीच हुई रजिस्ट्रियों की गहराई से जांच-पड़ताल के निर्देश दिए। जांच के दौरान बिना प्रोपर्टी आईडी के की गई रजिस्ट्रियों पर भी जांच अधिकारियों का विशेष फोकस रहा। उपायुक्त डाक्टर यश गर्ग ने इस मामले में राजस्व विभाग के दो अधिकारियों को बतौर जांच अधिकारी लगाकर सोहना समेत जिले की वजीराबाद, बादशाहपुर, मानेसर समेत सभी तहसीलों में चालू वर्ष के जनवरी महीने से जून महीने तक के बीच बिना डीटीपी की एनओसी अथवा बिना प्रोपर्टी आईडी के की गई रजिस्ट्रियों की पहचान करने के निर्देश दिए थे। इतना ही नही उपायुक्त डाक्टर यश गर्ग ने रजिस्ट्रियों की जांच का जिम्मा डीआरओ और नगरनिगम के एक ज्वाइंट कमिश्नर को दिया है। उपायुक्त डाक्टर यश गर्ग के निर्देश मिलते ही जांच शुरू होने पर इन तहसील कार्यालयों में बेचैनी व हड़कंप का माहौल देखने को मिला। सूत्रों की माने तो उपरोक्त तहसीलों और उपतहसीलों में बिना डीटीपी एनओसी अथवा बिना प्रोपर्टी आईडी के रजिस्ट्री होने की शिकायतें उपायुक्त तक पहुंची। जिन पर संज्ञान लेते हुए उपायुक्त डाक्टर यश गर्ग ने डीआरओ व निगम के एक ज्वाइंट कमिश्नर को जांच अधिकारी लगाकर निर्देश दिए कि चालू वर्ष के जनवरी महीने से जून महीने तक के बीच बिना डीटीपी की एनओसी अथवा बिना प्रोपर्टी आईडी के की गई रजिस्ट्रियों की पहचान करने और की गई रजिस्ट्रियों का पूरा विवरण उपलब्ध कराया जाए। उपायुक्त यश गर्ग ने जानकारी लेने पर बताया कि उपरोक्त तहसीलों में सेक्शन-7ए के नियमों को ताक पर रखकर रजिस्ट्रियां होने की शिकायत मिल रही थी। जिसको लेकर एक जनवरी से अब तक हुई रजिस्ट्रियों की जांच कराई जा रही है। जांच रिपोर्ट अभी उनके पास नही आई है। जांच रिपोर्ट आने और उसे जांचने के बाद ही पता चलेगा कि ऐसी कितनी रजिस्ट्रियां हुई, जो बिना डीटीपी की एनओसी अथवा बिना प्रोपर्टी आईडी के की गई। जांच रिपोर्ट के आधार पर जो भी तहसीलदार-नायबतहसीलदार दोषी मिलेगा, उसके खिलाफ कानून सम्मत विभागीय व कानूनी कार्रवाई अमल में लाई जाएगी। डीटीपीई आरएस बाठ की माने तो जब डीटीपीई का तोडफ़ोड़ दस्ता अवैध रूप से विकसित हो रही कॉलोनियों में तोडफ़ोड़ के लिए जाता है तो पता चलता है कि वहां लोगों की रजिस्ट्रियां हो रखी है। लोगों का तर्क होता है कि अगर ये कॉलोनियां अवैध थी तो हरियाणा सरकार ने रजिस्ट्रियां क्यो की और रजिस्ट्रियां कर दी गई तो तोडफ़ोड़ क्यो हो रही है? ऐसे हालातों में तोडफ़ोड़ के दौरान कई बार लोगों के विरोध का सामना तोडफ़ोड़ दस्ते को करना पड़ा। तब टीसीपी विभाग ने इस पूरे मामले को उपायुक्त के सम्मुख रखा और खुलासा किया कि रजिस्ट्री करने से पहले टीसीपी विभाग और नगरनिगम से एनओसी नही ली जाती है। जिस पर तुरंत संज्ञान लेते हुए उपायुक्त ने डीआरओ और नगरनिगम के एक ज्वाइंट कमिश्नर को तीन महीने में हुई इस तरह की रजिस्ट्रियों की जांच करने और तहसील कार्यालय में बिना डीटीपी की एनओसी के सेक्शन-7ए के नियमों को ताक पर रखकर की गई रजिस्ट्रियों की पहचान करने के आदेश जारी किए। काबिले गौर यह है कि बीते वर्ष बीस अप्रैल से चार मई के बीच लॉकडाउन में हुई रजिस्ट्रियों में बरती गई अनियमितताओं की जांच करने के बाद मुख्यमंत्री मनोहरलाल सरकार ने सोहना तहसील में कार्यरत रहे तहसीलदार व नायबतहसीलदार समेत 8 तहसीलदारों व नायबतहसीलदारों को निलंबित किया था। जांच में ऐसी रजिस्ट्रियों में हरियाणा शहरी विकास अधिनियम की धारा-7ए का उल्लंघन पाया गया था। सोहना तहसील कार्यालय में 70, बादशाहपुर तहसील कार्यालय में 30, वजीराबाद तहसील कार्यालय में 2 और कादीपुर तहसील कार्यालय में दस तथा हरसरू में 11 रजिस्ट्रियां बिना टीसीपी विभाग और नगरपरिषद अथवा नगरनिगम की बिना एनओसी के पाई गई। जांच के बाद तहसीलदार बंसीलाल, रविन्द्र कुमार, जिवेन्द्र मलिक, मनीष कुमार तथा नायबतहसीलदार दलबीर सिंह दुग्गल, हरिकिशन, जयप्रकाश गर्ग और देशराज कंबोज को निलंबित किया गया था। ऐसे में माना जा रहा है कि इस बार भी उपायुक्त के आदेश पर कराई जा रही जांच में ऐसी रजिस्ट्रियों के सामने आने पर कई संबंधित अधिकारियों पर गाज गिरना तय है।
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