सोहना,(उमेश गुप्ता): सोहना नगरपरिषद के वार्ड क्रमांक-21 के अंतर्गत लगने वाले सोहना-बेरका कच्चे मार्ग पर स्थित बाबा नौगजा वीर की समाधि पर बृहस्पतिवार को श्रद्धालुओं ने परस्पर सहयोग से विशाल भंड
ारे का आयोजन किया। इस मौके पर भजन, कीर्तन के साथ-साथ देशभक्ति से ओतप्रोत शिक्षा दी गई। पूरा दिन ग्रामीणों के सहयोग से भंडारा चलाया गया, जिसमें शहर के साथ-साथ आसपास लगते दर्जनों गांवों से आए ग्रामीणों ने हिस्सा लिया। समाधि पर सेवार्थ भगत जी टेकचंद, बलबीर सिंह, राकेश सैनी, नरेश सैनी, अमर सिंह सैनी, जयपाल सैनी, शेर सिंह सैनी, मोहन सैनी, मान सिंह सैनी, कमल कुमार, धर्मपाल सैनी, लाल सिंह, तेजपाल सैनी, फूल सिंह, रामी सैनी, दीवान चंद, नवीन सैनी, तेजराम, सुंदर गुर्जर, चुन्नी सैनी, दिनेश सैनी आदि ने बताया कि समस्त सैनी नौगजान परिवार के सहयोग से देर शाम तक चले भंडारे में श्रद्धालुओं को पंक्तिबद्ध बैठाकर प्रसाद ग्रहण कराया गया। सेवा कार्य में मातृशक्ति भी पीछे ना रही और महिलाओं, बालिकाओं, युवाओं ने भंडारे में बढ़-चढक़र हिस्सा लिया। काबिले गौर यह है कि बाबा नौगजा वीर की समाधि पर प्रसाद चढ़ाने के लिए क्षेत्र में जबरदस्त मान्यता है। लोग बिगड़ा काम बनाने और किसी भी कार्य के लिए भगवा चादर नौगजा वीर की समाधि पर चढ़ाकर मनौती मांगते है और मनौती पूरा होने व मनवांछित इच्छा पूरी होने पर कोई प्रसाद चढ़ाता है तो कोई भंडारा करता है। भंडारे में प्रमुख समाजसेवी दयाराम सैनी, अग्रवालसभा के वरिष्ठ उपाध्यक्ष उमेश अग्रवाल आदि ने अपने साथियों समेत बढ़-चढक़र हिस्सा लिया। इस मौके पर महिलाएं गीत गाते हुए और लोग ढोल, नगाड़ों पर नाचते, कूदते हुए नौगजा वीर की समाधि पर आए और प्रसाद के साथ पूजा-पाठ कर 9 गज लंबाई वाली भगवा चादर चढ़ाई। इस मौके पर श्रद्धालुओं के बीच बोलते हुए भक्त टेकराम जी ने कहा है कि 84 करोड़ योनि के बाद मनुष्य जीवन मिलता है। इसलिए प्रत्येक मनुष्य को अपने जीवन में सदैव सच्चाई के रास्ते पर चल परोपकार और सेवा की भावना दिल में रखनी चाहिये और प्रतिदिन प्रभु का स्मरण करना चाहिए क्योकि प्रभु भक्ति में लीन इंसान का जीवन सफल होता है। उन्होने अहंकार, ईष्र्या, क्रोध, कड़वे बोल, बड़बोलेपन को इंसान का सबसे बड़ा शत्रु बताते हुए कहा कि परोपकार और सेवा भावना से इंसान में इंसानियत आती है। जीवन जीने का अदभुत आनंद आता है। भगवान की शरण में जाने से इंसान का जीवन अपने आप सुधर जाता है। उन्होने कहा कि संत, महात्माओं की संगति इंसान के जीवन को महान बनाती है। सच्चे श्रद्धा व भाव से किया गया दान ही जीवन में काम आता है। धार्मिक आस्था रखते हुए इंसान को आपस में प्रेम-प्यार, भाईचारा, मानवता की सीख देता है। इसलिए हम उस प्रभु को कभी नहीं भूलना चाहिए। उसके दिखाये रास्ते पर चलते हुए हमें एक-दूसरे का आदर करना चाहिये। किसी का कोई भी कर्म हो, कोई भी क्षेत्र हो लेकिन उस सबसे पहले इंसान में इंसानियत जरूरी है और वो इंसानियत तभी संभव है, जब हम भगवान की शरण में जाये और अपने अंदर सदगुण बनाए।
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