सोहना,(उमेश गुप्ता): स्थानीय नागरिक अस्पताल में डयूटी वक्त में भी चिकित्सा अधिकारियों के अपने कक्षों में ना बैठने से रोगियों को दिक्कतों से जूझना पड़ रहा है। इस बात का खुलासा उस वक्त हुआ, जब डा
्टरों के अपने कक्षों में मौजूद ना होने पर अस्पताल में मौजूद रोगियों ने परेशान होकर पत्रकार को मामले से अवगत कराया। मीडिया तुरंत नागरिक अस्पताल में पहुंच गई तो पाया कि नागरिक अस्पताल में चिकित्सा अधिकारियों के कमरे तो खुले हुए है लेकिन कुर्सियां खाली पड़ी है। कोई भी डाक्टर अपने कक्ष में मौजूद नही है। अस्पताल में जरूरतमंद रोगियों के एक्स-रे, ईसीजी नही हो पा रहे है। अस्पताल में रक्त संग्रह केन्द्र भी अभी तक शुरू नही हो पाया है। अस्पताल प्रबंधन की लापरवाही ये है कि नागरिक अस्पताल में रोगियों की ईसीजी करने आई मशीन लंबे समय से खराब पड़ी है और जरूरतमंद रोगी परेशान होकर बाहर ईसीजी कराने पर लुट रहे है। ऐसा ही नजारा एक्स-रे को लेकर देखने में आया। अस्पताल में लाखों रुपए की लागत वाली एक्स-रे मशीन तो लगी हुई है लेकिन एक्स-रे रेडियोलाजिस्ट का पद खाली पड़ा हुआ है। जिस कारण जरूरतमंद रोगियों को अपने एक्स-रे बाहर निजी लैबों पर जाकर मुंहमांगे दामों पर जाकर कराने पड़ रहे है। इसके अलावा नागरिक अस्पताल के केजुएलटी में ना तो वेंटिलेटर की सुविधा उपलब्ध है और रोगी की जान बचाने हेतू उसकी जांच के लिए ईसीजी मशीन तक उपलब्ध नही है। ना ही बर्न वार्ड की सुविधा उपलब्ध है। आप्रेशन के वक्त अथवा बच्चेदानी निकालने के दौरान महिला रोगी को बेहोश करने के लिए डाक्टर की तैनाती यहां पर नही है। नागरिक अस्पताल में ना तो चर्म रोग विशेषज्ञ डाक्टर है और ना ही हडडी रोग विशेषज्ञ डाक्टर है। अस्पताल में जो महिला व बाल रोग विशेषज्ञ है, वह भी रात्रि में यहां ठहराव नही करती। जिससे रात के वक्त आने वाली महिला रोगियों और बच्चों को परेशानियां झेलनी पड़ रही है। सूत्रों की माने तो रात के वक्त प्रसूति वाली महिला की डिलीवरी भी महिला डाक्टर के मौजूद ना रहने पर जोखिम लेकर नर्से ही करा रही है। हालात ये है कि कार्यवाहक प्रवर चिकित्सा अधिकारी भी डयूटी वक्त में कार्यालय से नदारद रहते है। जिससे निचले कर्मचारी भी बेपरवाह और निरंकुश हो रहे है। ऐसे हालातों में नागरिक अस्पताल में अपना उपचार कराने आने वाले रोगी इधर से उधर धक्के खा रहे है और ना चाहते हुए भी मजबूरी में जांच के नाम पर रोगियों को निजी लैबों से टैस्ट कराने के नाम पर लुटना पड़ रहा है। जैसे ही हमारे प्रतिनिधि ने चिकित्सकों के खाली कुर्सियों के फोटो खीचने चाहे, उसी वक्त वहां पर एक व्यक्ति आ गया, जिसने अपने को डाक्टर बताते हुए पहले फोटो ना खीचने को कहा और उसके बाद पुलिस बुलाने व एसडीएम तथा डीसी को लिखकर झूठे मुकदमे में फंसाने की धमकी दी लेकिन मौजूद लोगों के विरोध करने पर वह बैकफुट पर आ गया और हाथ जोडक़र कहने लगा कि यदि यह फोटो व समाचार अखबार में छप गया तो उनकी नौकरी चली जाएगी। कई रोगियों ने दुखड़ा रोते हुए बताया कि नागरिक अस्पताल की ओपीडी में डाक्टर सुबह आठ बजे की बजाय 11 बजे से पहले नही आते। आने के बाद चाय की चुस्कियों में लग जाते है। फिर मोबाइल पर बात करने लगते है। यदि कोई रोगी डाक्टर से आग्रह करे कि उसे काफी वक्त हो गया है। कृप्या देख ले तो डाक्टर रोगी को धमकाने के लहजे में दुव्र्यवहार पर उतर आते है तो डयूटी वक्त में भी अपने कक्षों से बिना कोई कारण बताए गायब हो जाते है। ऐसे में रोगी परेशान है। कहां जाए, किससे कहे, कोई सुनने वाला नही है। कोई देखने वाला नही है। नाम व पहचान का खुलासा ना किए जाने की शर्त पर सूत्रों ने बताया कि अस्पताल में अंदरूनी तौर पर डाक्टरों में खीचातानी चल रही है। जिसका खामियाजा अस्पताल में आने वाले रोगियों को भुगतना पड़ रहा है। रोगियों का कहना है कि अस्पताल में चिकित्सा अधिकारियों के कक्ष के बाहर ना तो चिकित्सा अधिकारी के नाम की नेमप्लेट लगाई गई है और ना ही डाक्टर डयूटी वक्त में यूनिफोर्म पहने होते है। ना ही सफेद कोट पहनते है। ना ही अपने नाम की नेमप्लेट इसलिए लगाते है क्योकि उन्होने सफेद कोट नही पहना होता है। जर्सी आदि डाली होती है। ऐसे में पहली बार अस्पताल में आने वाले रोगी डाक्टर को पहचान ही नही पाते कि कौन से डाक्टर को कौन से कक्ष में अपने को दिखाकर इलाज शुरू कराना है। अस्पताल में इलाज कराने आए रोगियों ने बताया कि वह नागरिक अस्पताल में 3 घंटे से डाक्टरों के आने का इंतजार कर रहे है लेकिन डयूटी वक्त में भी डाक्टर ना होने से कुर्सियां खाली पड़ी है। एक अन्य व्यक्ति ने साफ-सपाट लहजे में कहा कि अस्पताल प्रभारी के रूप में कार्यरत एसएमओ के डयूटी वक्त में भी कुर्सी से प्राय नदारद रहने से रोगी परेशान है। जिससे ओपीडी में बैठने वाले डाक्टर भी बेपरवाह हो गए है और कुर्सी पर बैठकर रोगियों का इलाज करने की बजाय मौका मिलते ही कुर्सी छोडक़र चले जाते है। साफ-सफाई का भगवान ही मालिक है। शौचालयों में इतनी गंदगी भरी पड़ी है, वहां से रूमाल ढककर भी नही निकल पा रहे है। इतना ही नही अस्पताल के पार्क में पूरा-पूरा दिन आवारा पशु विचरण करते रहते है। कही कांग्रेस घास खड़ी है तो कही सरकंडे खड़े है तो कही सूखे पत्तों व कूड़े के ढेर लगे है। जगह-जगह बंदरों की टोलियां घूमती नजर आ रही है लेकिन कही, कोई देखने, सुनने वाला नही है, जो साफ-सफाई और स्वच्छता के दावों की पोल खोल रहे है। अस्पताल में रक्त संग्रह केन्द्र पर भी मोटा ताला लटका पड़ा है। जिससे रक्त संग्रह केन्द्र दिखावा बनकर रह गया है। रोग विशेषज्ञ चिकित्सकों का अभाव भी रोगियों को अखर रहा है। अस्पताल में एसटीडी पीसीओ और पुलिस चौकी तक की सुविधा नही है। बता दें कि दो पक्षों में लड़ाई-झगड़ा होने पर जब वह अपने ईलाज के लिये अस्पताल में आते है तो अक्सर दोनों पक्ष अस्पताल में ही झगड़ बैठते है। ऐसा यहां कई बार देखने को मिला है लेकिन अस्पताल में सुरक्षा नाम की कोई चीज देखने को नही मिली।
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