सोहना,(उमेश गुप्ता): सोहना शहर में बाईपास से गांव जक्खोपुर तक गंदे और बरसाती पानी की निकासी के लिए बनाया गया नाला कई स्थानों पर टूटा हुआ है तो कही पर नाले में मिट्टी भरी है। जहां पर नाला ठीक है, व
ां नाले में गंदगी और प्लास्टिक पन्नियां भरी पड़ी है। जिस कारण यह नाला दिखावा बनकर रह गया है। इस नाले में कई जगह पर गंदगी की बजाय मिट्टी और रेत भरी है। कई जगह पर तो नाले को लोगों ने खुद ही पाट दिया है। नाला सीधा भी नही बनाया गया। नाले के बीचोबीच कही भारी भरकम पेड़ खड़े है तो कही बिजली के खंभे खड़े हुए है। लोगों का कहना है कि भारी पैसा खर्च करके नगरपरिषद ने यह नाला बनवाया था लेकिन नाला बनवाने से पहले ना तो इस बात पर ध्यान दिया गया कि नाले का सही रख-रखाव कैसे होगा और ना ही इस बात पर गौर किया गया कि नाले में आने वाला गंदा व बरसाती पानी कहा जाकर निकाला जाएगा। इसके अलावा नाले के निर्माण में अत्यंत घटिया दर्जे का मैटेरियल लगाए जाने के कारण नाला अपने निर्माण समय से ही विवादों के घेरे में रहा है और आज नाले की हालत ये है कि यह नाला जगह-जगह से टूटने पर नगरपरिषद को आर्थिक चपत सहनी पड़ रही है। नाले की कई वर्षों से सफाई ही ना होने से नाले में गंदगी व प्लास्टिक की पन्नियां आदि भरी पड़ी है। जिससे यह नाला उपयोग में आने की बजाय दिखावा भर बनकर रह गया है। जागरूक लोगों का कहना है कि इस खुले पड़े नाले में पहले भी कई राहगीर और बच्चे गिरकर अपने हाथ-पैर तुड़वा चुके है। पहले भी लकडिय़ों से भरी ट्रैक्टर-ट्राली भी नाले में गिर गई थी और उसके 2 दिन बाद एक दुधारू भैस भी नाले में जा गिरी, जिसे 8 घंटे की मशक्कत के बाद घायल हालत में मुश्किल से नाले से निकाला गया था कि भैस गिरने के चंद दिन बाद ही एक एलपी गाड़ी नाले में आ गिरी। जिस कारण यह नाला दोनों तरफ से जगह-जगह से टूटा पड़ा है। लोगों का कहना है कि नगरपरिषद प्रशासन की बरती जा रही लापरवाही नाले पर भारी पड़ रही है क्योकि मानसून सिर पर है लेकिन नाले की सफाई कराने के लिए नगरपरिषद कोई सुध नही ले रही है। ऐेसे में जरूरी है कि नगरपरिषद के अधिकारी लापरवाही छोड़ पहले नाले का मौका मुआयना करे। नाले को सही तरीके से बनवाए और नाले की नियमित रूप से सफाई करवाने पर विशेष ध्यान दिया जाए। आम जनमानस में चर्चाएं है कि नगरपरिषद में सांठगांठ के चलते ठेकेदार ने उस वक्त जगह-जगह नाला अधर में छोडऩे और ना ढकने के बावजूद पूरा भुगतान उठा लिया। जिसका खामियाजा अब आम जनमानस को भुगतना पड़ रहा है। ध्यान योग्य यह है कि सोहना बाईपास से गांव जक्खोपुर तक गंदे और बरसाती पानी की निकासी के लिए बनाए गए इस नाले को ठेकेदार ने सीधा बनवाने की बजाय नाले के बीच में इतने मोड दिए है कि गंदा और बरसाती पानी निकलने की बजाय एक ही स्थान पर भरकर खड़ा हो जाता है। जिस कारण नाले में गंदगी भरे होने से मौसमी बीमारियां भी फैलने का खतरा बन गया है। इस रोड पर दुकान चलाने वाले कई लोगों ने स्थानीय प्रशासन से नालों की नियमित रूप से साफ-सफाई करवाएं जाने और नालों को अस्थाई रूप से ढके जाने की मांग की है ताकि इस गहरे नाले में पशु और बच्चों, राहगीरों के गिरने से बचाव हो सके। लोगों का कहना है कि नाले को कंकरीट युक्त पत्थर से ढके जाने के लिए वह बार-बार नगरपरिषद से गुहार लगा चुके है लेकिन नतीजा वहीं ‘ढाक के तीन पात’ रहा है। नगरपरिषद प्रशासन अपनी जिम्मेदारियों से भागते हुए नाले को ढकने और नाले की सफाई कराने की बजाय टालमटोल की नीति अपना रहा है। खामियाजा आम जनमानस को भुगतना पड़ रहा है।
Comments