किसान 31 जुलाई तक करवा सकते है फसलों का बीमा : डीडीए डा. वजीर सिंह

Khoji NCR
2021-07-09 08:27:13

नारनौल, 9 जुलाई। प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के तहत किसान 31 जुलाई तक खरीफ फसलों का बीमा करवा सकते हैं। खरीफ सीजन में इस योजना के तहत किसानों को धान के बीमा के लिए लगभग 706 रुपए, मक्का के लिए 353, बाजर

के लिए 332 व कपास के लिए 1712 रुपए प्रति एकड़ प्रीमियम देना होगा। बीमा के संबंध में अन्य किसी जानकारी के लिए किसान कृषि विभाग द्वारा जारी टोल फ्री नंबर 18001802117 पर अथवा अपनी बैंक शाखा या बीमा कंपनी से संपर्क कर सकते हैं। इसके अलावा योजना का पूरा विवरण कृषि एवं किसान कल्याण विभाग की वेबसाइट एग्रीहरियाणा डॉट जीओवी डॉट इन पर भी देख सकते हैं। यह जानकारी देते हुए उप कृषि निदेशक डा. वजीर सिंह ने बताया कि धान के फसल की बीमित राशी लगभग 35286 रुपए, मक्का की 17643, बाजरा की 16605 व कपास की 34285 रुपए प्रति एकड़ निर्धारित की गई है। उन्होंंने बताया कि यह योजना सभी किसानों के लिए स्वैच्छिक है। इसलिए यदि ऋणी किसान इस योजना में शामिल नहीं होना चाहते तो वे 24 जुलाई तक अपने बैंकों में लिखित आवेदन करके योजना से बाहर हो सकते हैं। यदि ऋणी किसान स्कीम से बाहर होने के लिए तय सीमा तक संबंधित बैंक में आवेदन नहीं करता तो बैंक किसान की फसलों का बीमा करने के लिए अधिकृत होंगे। उन्होंने बताया कि गैर-ऋणी किसान ग्राहक सेवा केंद्र या बीमा कंपनी के प्रतिनिधि से अपनी फसल का बीमा करवा सकता है। यदि कोई किसान पहले से नियोजित फसल को बदलता है तो उसे अंतिम तिथि से कम से कम दो दिन पहले फसल बदलाव के लिए बैंक में सूचित करना होगा। उन्होंने बताया स्कीम में किसानों की शिकायतों के निपटान के लिए राज्य व जिला स्तर पर शिकायत निवारण समितियों का गठन किया गया है। उप कृषि निदेशक डा. वजीर सिंह ने बताया कि ओलावृष्टि, जलभरा, भूस्खलन व आसमानी बिजली जैसी आपदाओं से नुकसान होने पर किसान को आपदा होने के 72 घंटे के अंदर अंदर कृषि तथा किसान कल्याण विभाग नारनौल के कार्यालय में शिकायत दर्ज करवानी होगी। स्थानीय आपदाओं के तहत नुकसान का आकलन खेत स्तर पर किया जाएगा। उन्होंने बताया कि इसके अतिरिक्त व्यापक प्रसार आपदाओं के तहत कीट पतंगों, रोग लगने या किसी अन्य कारण से होने वाले नुकसान का आकलन हरियाणा सरकार द्वारा आयोजित फसल कटाई प्रयोगों के आधार पर गांव की औसत पैदावार निकालकर किया जाता है। व्यापक प्रसार आपदाओं के तहत नुकसान का आकलन गांव स्तर पर किया जाता है। इसके लिए किसान को नुकसान की सूचना या आवेदन करने की आवश्यकता नहीं होती।

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