शारीरिक अक्षमता को हराकर पैरालंपिक तक का सफर

Khoji NCR
2021-07-06 10:46:21

धनेश विद्यार्थी, रेवाड़ी। किसी की सफलता से उसके किरदार की ऊंचाई को मापने का काम दुनिया के लोग करते हैं मगर उसके पीछे कितना संघर्ष और मेहनत है, यह उस कामयाबी को पाने के लिए परिश्रम करने वाला ही अ

्छी तरह जानता है। इनके लिए यह संघर्ष दर्दनाक और मुसीबत भरा होता है, जो नकारात्मक विचारों को अपने दिल और दिमाग में हावी होने देते हैं। अपने जज्बे और प्रतिभा के बल से आगे बढ़ने वाले, सामान्य लोगों से कहीं अधिक आगे बढ़ जाते हैं। ऐसा ही एक जीवंत इंसान है, जिला रेवाड़ी के कस्बा बावल निवासी पैरा खिलाड़ी टेकचंद, जिसने अपनी दिव्यांगता को मात देकर पैरालंपिक तक पहुंचने का सफर तय किया है। यह खिलाड़ी टेकचंद का आगामी 24 अगस्त से 5 सितंबर तक टोक्यो में होने वाले पैरालंपिक के एफ-54 वर्ग के जेवलिन थ्रो के लिए चयन हुआ है। आज उन्हें देश और प्रदेश के साथ शासन और प्रशासन की ओर से बधाईयों मिल रही हैं। टेकचंद कहते हैं कि अपनी शारीरिक अक्षमता को कमजोरी नहीं बनने देना ही उपलब्धियों का आधार है। एक हादसे ने बदल दिया जीवन : वो बावल की एक कंपनी में नौकरी करते थे। 21 मार्च 2005 को काम करके वापस घर लौटते वक्त एक वाहन ने उनको टक्कर मार दी, जिस कारण उनकी रीढ़ की हड्डी टूटने से पहुंच गई। उनको करीब दस साल तक बिस्तर पर रहना पड़ा। विभिन्न अस्पतालों में उपचार कराने के बाद भी जब उनको चलने फिरने में परेशानी हुई तो व्हील चेयर का सहारा लेना पड़ा। वर्तमान में खेल विभाग में बतौर प्रशिक्षक कार्यरत टेकचंद ने 2016 में भूड़ला के खेल मैदान में अपने जैसे दिव्यांग खिलाड़ियों को अभ्यास करते देखा तो जीवन के प्रति सकारात्मक भावना जागी।वहां प्रशिक्षक भीम अवार्डी सतबीर सिंह का मार्गदर्शन मिला, तब उनके जीवन की रफ्तार बढ़ने लगी। वर्ष 2017 में प्रशिक्षक के साथ जिला से बाहर पहली बार खेलकूद प्रतियोगिता देखने जाने का अवसर मिला। टेकचंद बताते हैं कि वर्ष 2017 में जयपुर में आयोजित नेशनल पैरा एथलेटिक प्रतियोगिता को देखने के लिए वे प्रशिक्षक सतबीर सिंह के साथ गए थे। वहां रेवाड़ी की दिव्यांग पूजा यादव ने न केवल हिस्सा लिया बल्कि शाटपुट और जेवलिन थ्रो में स्वर्ण पदक भी जीता। यहां से टेकचंद ने ठान लिया कि शारीरिक दुर्बलता कुछ नहीं है। उन्हें खेलों में करियर बनाना है। यहां अभ्यास करते हुए वर्ष 2018 में पंचकुला में आयोजित राज्यस्तरीय प्रतियोगिता में हिस्सा लेते हुए स्वर्ण पदक जीतकर आगे बढ़ने लगे। जेवलिन, डिस्क्रस थ्रो और शाटपुट में लगातार अभ्यास करना शुरू किया तो उपलब्धियाें की सूची बढ़ती गई। टेकचंद के प्रारंभिक प्रशिक्षक सतबीर सिंह कहते हैं कि यहां तक पहुंचना बड़ी बात है। उसमें पदक जीतने की ललक जरूर कामयाबी दिलाएगी। टेकचंद की प्रमुख उपलब्धियां : - इसी वर्ष मार्च में बेंगलुरु में आयोजित नेशनल पैरा एथलेटिक्स में शाटपुट, जेवलिन और डिस्कस थ्रो में स्वर्ण पदक - ओपन पैरा एथलेटिक चैंपियनशिप की शाटपुट व जेवलिन थ्रो में स्वर्ण पदक - वर्ष 2018 में जकार्ता में आयोजित पैरा एशियन गेम्स में कांस्य पदक जीता। - वर्ष 2019 में दुबई में आयोजित विश्व पैरा एथलेटिक चैंपियनशिप की जेवलिन थ्रो में विश्व में छठी रैंक प्राप्त - पंचकुला में 25-28 मार्च 2018 को आयोजित 18वीं नेशनल पैरा एथलेटिक्स चैंपियनशिप में शाटपुट व जेवलिन थ्रो में स्वर्ण पदक। - जून 2018 में ट्यूनीशिया में आयोजित पैरा एथलेटिक्स ग्रांड प्रिक्स में शाटपुट में रजत पदक। - जुलाई 2018 में बेंगलुरु में आयोजित ओपन नेशनल पैरा एथलेटिक्स चैंपियनशिप में शाटपुट व जेवलिन थ्रो में स्वर्ण पदक।

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