सोहना,(उमेश गुप्ता): यहां पर नगरपरिषद प्रशासन की अनदेखी व लापरवाही का फायदा उठाते हुए भूमाफिया ने राजस्व रिकार्ड में नगरपरिषद की मल्कियत वाली नगरपरिषद के राजस्व रिकार्ड में मुस्तिल नंबर 27/28 म
ं 23 कनाल, 13 मरले जमीन को कोडिय़ों के भाव बेच डाला। जिन लोगों ने मरघट यानि शमशानघाट के लिए आरक्षित रखी गई इस जमीन को भूमाफिया से खरीदा, उन्होने अपनी जिंदगी भर की जमापूंजी लगाकर पक्के मकान तक बना लिए। ताज्जुब की बात ये है कि मरघट वाली इस भूमि पर बीस वर्षों से लोग मकान बनाकर रहते रहे और नगरपालिकापरिषद प्रशासन मरघट वाली इस भूमि पर हुए कच्चे-पक्के निर्माणों के होने के बावजूद अनदेखी व लापरवाही बरतता रहा। आरोप है कि भूमाफिया ने एक सादा कागज पर नगरपालिकापरिषद की करोड़ों रुपए की कीमत वाली इस जमीन को कोडिय़ों के भाव बेच डाला। यह जमीन राजीव गांधी पार्क के पास बांध कॉलोनी में स्थित है। जिसे सैनी कॉलोनी के नाम से भी जाना जाता है। जब इस भूमि पर अवैध कब्जे तेजी से होने लगे, तब प्रशासन की कुंभकर्णी नींद टूटी। नगरपरिषद की तरफ से कुछ समय पहले यहां अवैध कब्जा करके रह रहे लोगों की पहचान कर उन्हे नोटिस जारी किए गए लेकिन इस जमीन पर रह रहे परिवार भूमि मल्कियत संबंधी किसी भी प्रकार के कागजात पेश नही कर पाए। ऐसे में इस भूमि पर रह रहे परिवारों को यही चिंता खाए जा रही है कि बीस साल पहले बनाए गए उनके मकान नगरपरिषद प्रशासन ने पीले पंजे के दम पर तोड़ दिए है। अब वह अपने परिवार को लेकर कहां जाए? सिर पर से आशियाना उजड़ गया है। इन लोगों का कहना है कि यदि नगरपालिकापरिषद प्रशासन शुरू में ही उन्हे इस बात के लिए आगाह करता कि यह मरघट वाली भूमि उसकी मल्कियत की है तो वह अपनी जिदंगी भर की जमापूंजी लगाकर यहां अपने पक्के घर नही बनाते। अब उनकी जमापूंजी भी खत्म हो गई और मकान भी टूट गए लेकिन इस घटना से यह जग-जाहिर हो गया है कि सोहना में भूमाफिया नगरपरिषद के स्वामित्व वाली भूमि समेत देहशामलात और जिलापरिषद की भूमि को भी नही छोड़ रहे है। जहां मौका हाथ लग रहा है, वही पर रातोंरात ऐसी भूमि पर कब्जा करने से बाज नही आ रहे है। नगरपालिका परिषद के अधिकारियों की बरती गई उदासीनता से भूमाफिया खुलकर फलफूल रहे है। नगरपरिषद रिकार्ड में मरघट के लिए नाम से दर्ज जमीन पर भूमाफिया ने ना केवल अवैध कब्जा कर लिया बल्कि खुद को इस जमीन का मालिक बताकर प्लॉट काटते हुए लोगों से रकम ले ली और लोगों ने भी पूरी जांच-पड़ताल किए अपने पक्के मकान बना लिए। बिजेन्द्र कुमार व अन्य लोगों ने तोडफ़ोड़ का विरोध करते हुए बताया कि करीब छह महीने पहले गांव सांपकीनंगली के रहने वाले एक व्यक्ति ने खुद को यहां का मालिक बताया और उन्हे यहां पर 100-100 वर्ग के प्लॉट सवा तीन लाख रुपए में बेच दिए। उन्हे प्लॉट की रजिस्ट्री तो नही दी गई लेकिन एक अफिडेविट जरूर बनवाया गया था। लोगों में चर्चाएं है कि अफिडेविट के आधार पर ही पहाड़ कॉलोनी, पीर कॉलोनी आदि समेत कई कॉलोनियों में जमीन की खरीद-फरोख्त अब भी चोरी-छिपे तरीके से बेरोकटोक चल रही है। जिससे सरकारी जमीन पर तेजी से अतिक्रमण बढ़ रहे है। कच्चे-पक्के निर्माण हो रहे है। यहां पर हरियाणा पर्यटन निगम की भूमि पर भी लोगों ने अपना कब्जा जमाया हुआ है। पर्यटन निगम ने पहले कई बार अपनी भूमि से कब्जे के लिए जीतोड़ प्रयास किए लेकिन पर्यटन निगम आज तक भी अपनी मल्कियत वाली भूमि से ना तो अतिक्रमणकारियों को हटाने में कामयाब रहा और ना ही अपनी भूमि पर किए गए अवैध कब्जों को छुड़वा पाया है।
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