भूमाफिया अवैध कॉलोनियों में जमीन की खरीद-फरोख्त के लिए करा रहे जीपीए

Khoji NCR
2021-06-29 11:20:27

जीपीए की आड़ में भूमाफिया राज्य सरकार को लगा रहे चूना-हो रही है राजस्व की जमकर हानि सोहना,(उमेश गुप्ता): सोहना व साइबर सिटी क्षेत्र में बिना एनओसी के अवैध कॉलोनियों की रजिस्ट्रियों पर प्रतिबं

लगाए जाने से चाहे क्षेत्र की तहसीलों में अवैध कॉलोनियों में प्लाट खरीद-फरोख्त को लेकर बिना एनओसी के रजिस्ट्रियां नही हो पा रही है लेकिन भूमाफियाओं ने सरकार की बंदिश का तोड़ निकाल लिया है और अब अवैध कॉलोनियों में होने वाली भूमि संबंधी खरीद-फरोख्त को लेकर महानगरों विशेषकर उत्तर प्रदेश के नोएडा में जीपीए का धंधा तेजी से चल रा है। यानि जो राजस्व यहां पर प्रदेश सरकार को जीपीए अथवा रजिस्ट्री होने पर प्राप्त होना था, वह सारा राजस्व अब उत्तर प्रदेश सरकार के खजाने में जा रहा है। ऐसा ही नजारा यहां रोड़ी, पत्थर मामले में देखने को मिल रहा है क्योंकि प्रदेश सरकार ने क्षेत्र में खनन कार्य पर कड़ाईपूर्वक रोक लगा रखी है। जिस कारण बिल्डिंग मैटैरियल संबंधी रोड़ी, पत्थर राजस्थान से आ रहा है। इस मामले में भी प्रदेश सरकार को राजस्व का जमकर नुकसान हो रहा है और रोड़ी, पत्थर से होने वाली राजस्व संबंधी आमदनी राजस्थान सरकार के खाते में जा रही है। खनन कार्य और प्रोपर्टी डीलिंग धंधे से जुड़े लोगों का कहना है कि यह कैसी भाजपा सरकार आई है, जो दोनों ही मामलों में राजस्व प्राप्ति के स्त्रोतों को बढ़ाने की बजाय खुद अपने पैरों पर कुल्हाड़ी मार रही है और फिर खजाना खाली होने का रोना रो रही है। मुख्यमंत्री मनोहरलाल सरकार द्वारा कृषि योग्य भूमि में बिना सीएलयू-एनओसी के अवैध कॉलोनियां काटे जाने पर रोक लगाने के बावजूद यहां पर अवैध कॉलोनियों में जमीन की खरीद-फरोख्त का कार्य नही रूक रहा है। भूमाफिया दिल्ली, गाजियाबाद, नोएडा आदि दूसरे प्रदेशों की तहसीलों में जीपीए के जरिए जमीन की खरीद-फरोख्त करा रहे है। सूत्रों की माने तो बीते एक वर्ष में अवैध कॉलोनियों में जमीन खरीद-फरोख्त को लेकर 500 से ज्यादा जीपीए कराए गए है जबकि छह तहसीलों में 400 से ज्यादा अवैध रजिस्ट्रियां की गई। अवैध कॉलोनियों वाली जमीन का पड़ोसी राज्यों से जीपीए कराकर बेचे जाने से हरियाणा सरकार को राजस्व का मोटा चूना लगाया जा रहा है और प्रशासन चाहकर भी कृषि योग्य भूमि पर काटी गई अवैध कॉलोनियों में तोडफ़ोड़ करने तक सिमट कर रह गया है। जीपीए दूसरे राज्यों की तहसीलों में होने के कारण स्थानीय प्रशासन इस मामले में मौन है। देखने वाली बात ये है कि भूमाफिया कृषि योग्य खेतों को खरीद कर बिना डीटीपी विभाग से कॉलोनी से नक्शा पास कराए और बिना सीएलयू-एनओसी के लोगों को महंगे दामों पर प्लॉट बेचकर जेबे भरने का काम कर रहे है। सोहना तहसील में अवैध कॉलोनियों की रजिस्ट्री पर रोक लगी होने से भूमाफिया अब डूंडाहेडा, नोएडा, गाजियाबाद, दिल्ली आदि की तहसीलों में खरीददारों को ले जाकर बेची गई जमीन की एवज में उनके नाम जीपीए करा रहे है। एक जीपीए कराने में मात्र 300 से 500 रुपए का सरकारी खर्च आता है। यहां काटी जा रही अवैध कॉलोनियों की जीपीए दूसरे राज्यों की तहसीलों में होने से राज्य सरकार को करोड़ों रुपए के राजस्व का घाटा हो रहा है क्योकि जीपीए के लिए डीटीपी से किसी भी तरह की सीएलयू-एनओसी या ले-आउट लेने की जरूरत नही है। ऐसे में भूमाफिया अवैध कॉलोनियों को विकसित करने के लिए जीपीए का सहारा ले रहे है। भूमाफिया लोगों को सस्ते में प्लॉट देने के नाम पर अपना धंधा चमका रहे है। खेती वाली उपजाऊ जमीन के स्वरूप को बदल कर वहां अवैध कॉलोनियां काटकर बेची जा रही है।

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