सोहना,(उमेश गुप्ता): सोहना क्षेत्र में निरंतर गिर रहे जलस्तर का असर देखने को मिल रहा है। गांवों में जोहड़ों के सूख जाने से बेजुबान पशु अपनी प्यास बुझाने के लिए परेशान है। आलम ये है कि खंड के लगभ
सभी गांवों में शायद ही कोई ऐसा गांव है, जिसमें जोहड़ में पानी भरा हो। यहां पड़ रही भीषण गर्मी और पानी का जलस्तर नीचे जाने से आमजन त्राहि-त्राहि करने लगा है। यहां पर नहरी पानी का अभाव कुआं, बावड़ी ना होने के कारण लोग जल आभियांत्रिकी विभाग पर ही निर्भर है। अच्छी बरसात ना होने के कारण टयूबवैलों का पानी स्तर भी तेजी से नीचे जा रहा है। बुजुर्गों का कहना है कि वर्ष-1977 और 1996 में कई दिनों तक लगातार मूसलाधार बारिश हुई। उस वक्त कुआं, तालाब, जोहड़ सभी में किनारे तक पानी आ गया। नंगली का बांध टूट गया लेकिन अब कुआं रहे नही। तालाब, जोहड़ों में पानी नही बचा। नंगली का बांध भी सिमटकर रह गया है। ऐसे में गाय, भैंस, बैल, भेड़, बकरी, ऊंट, पालने वाले लोग परेशान है कि करे तो क्या करे क्योकि दबंगों ने कही नदी-नालों पर तो कही जोहड़-तालाबों पर अवैध रूप से कब्जे कर लिए है। हालात ये हो गए है कि बरसाती पानी एकत्रितकरण के लिए सोहना में कोई नदी और तालाब नजर नही आते है। रही-सही कसर भूमाफिया पूरी कर रहे है। जहां भी उन्हे सरकारी खाली भूमि नजर आती है, वही रातोंरात कब्जे हो जाते है। पहाड़ों का भी जमकर चीरहरण हो रहा है। अरावली का सीना चीरकर पहाड़ों के बीचोंबीच बनाए गए फार्महाउसों में आलीशान कमरे बनाकर कंकरीट के महल खड़े किए जा रहे है।
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