सोहना,(उमेश गुप्ता): सोहना ब्लॉक के गांव मेहन्द्रवाडा में रहने वाली 53 वर्षीय एक दिव्यांग जेबीटी शिक्षिका रीता रानी ने अपने तबादले को निरस्त कराने की मांग को लेकर धरना लगाया है। दिव्यांग शिक्ष
िका रीता रानी का कहना है कि उनका तबादला उनकी इच्छा के विरूद्ध सोहना के गांव मेहन्द्रवाडा स्थित प्राथमिक विद्यालय से बादशाहपुर गांव के राजकीय कन्या प्राथमिक विद्यालय में कर दिया गया है। यह स्कूल उनके गांव से 15 किलोमीटर दूर है जबकि वह 100 फीसदी दिव्यांग होने के कारण पूरी तरह दूसरों पर निर्भर है। धरने पर बैठी दिव्यांग शिक्षिका रीता रानी का कहना है कि यदि अब भी गूंगे-बहरे सिस्टम की नींद नही खुली तो वह अनिश्चितकालीन भूख हड़ताल पर बैठने में भी गुरेज नही करेगी। उन्होने बताया कि मार्च-2003 में हुए हादसे में चोट लगने व रीढ़ की हडडी व अन्य हिस्सों के काम ना करने पर 100 फीसदी दिव्यांग हो गई। उनके पेट से नीचे का तमाम हिस्सा बेजान है और अपने व्यक्तिगत कार्यों के लिए भी दूसरों पर निर्भर है। ऐसे में वह रोजाना स्कूल आने में सक्षम नही है। इसलिए वह व्हीलचेयर पर बैठकर स्कूल आ-जा रही है। व्हीलचेयर पर स्कूल लाने व छोडऩे की जिम्मेदारी उनके बुुजुर्ग पति बनवारीलाल पर है। दिव्यांग रीता रानी वर्ष-2020 से अपने घर के नजदीक वाले स्कूल में तबादले का आग्रह विभाग से कर रही है लेकिन विभागीय अधिकारी उनके दर्द को समझने की बजाय हर बार उनके आग्रह पत्र को कूड़े में फेकने से बाज नही आ रहे है। हालांकि रीता के सहकर्मियों को भी यह दर्द परेशान करता है लेकिन वह बेबस है। चाहकर भी दिव्यांग रीता का सहयोग नही कर पा रहे है। ऐसे में विभागीय अधिकारियों की मनमर्जी से परेशान होकर दिव्यांग शिक्षिका रीता रानी ने लघुसचिवालय पर अनशन पर बैठ धरना लगाया और साफ कहा कि यदि अब भी गूंगे-बहरे सिस्टम की नींद नही खुली तो वह अनिश्चितकालीन भूख हड़ताल पर बैठने में भी गुरेज नही करेगी। रीता रानी की माने तो हादसे में 100 फीसदी दिव्यांग होने पर उनका तबादला गांव मेहन्द्रवाड़ा में कर दिया गया था लेकिन बाद में तबादला नीति की वजह से उनका तबादला गांव बादशाहपुर के गल्र्ज स्कूल में कर दिया गया। उस वक्त यह समस्या जिला शिक्षा अधिकारी के समक्ष रखी गई। जिस पर उन्हे डेपुरेशन पर महेन्द्रवाडा में ही डयूटी करने की छूट दी गई लेकिन उनत्तीस मार्च, 2010 को डेपुरेशन निरस्त कर दिया गया। ऐसे में रीता के पति बनवारीलाल बुजुर्ग होने के बावजूद उन्हे व्हीलचेयर पर बैठाकर स्कूल ला-ले जा रहे है। दिव्यांग रीता रानी का कहना है कि उनका यह तबादला उनकी इच्छा के विरूद्ध हुआ है। अपना तबादला निरस्त कराने के लिए उन्होने कई बार शिक्षा अधिकारी से अनुरोध किया लेकिन कही-कोई सुनवाई नही हो रही है। जानकारी लेने पर जिला मौलिक शिक्षा अधिकारी प्रेमलता ने बताया कि दिव्यांग शिक्षिका रीता के सभी दस्तावेज आवश्यक कार्रवाई के लिए शिक्षा निदेशालय को भेजे गए है। वही से निर्देश जारी होने पर है। जिलास्तर पर वह कोई भी निर्णय इस बारे में लेने में असमर्थ है।
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