सोहना,(उमेश गुप्ता): अरावली पर्वत की श्रंखलाओं के बीच बसे सोहना में बिजली की घोषित-अघोषित कटौती जहां लोगों को रूला रही है, वहीं भयंकर गर्मी में बिजली गुल होने से फ्रिज दिखावा बन गए है। ऐसे में ल
गों को पुन: मटके के पानी से अपनी प्यास बुझानी पड़ रही है। गर्मी में मटकों की खपत एकदम बढ़ जाने से मटकों के भाव आसमान पर पहुंच गए है। किसी वक्त में 40 रुपए में बिकने वाला मटका अब यहां 90 से 100 रुपए प्रति मटका बिक रहा है जबकि टोटी लगे मटकों की कीमत 150 रुपए से लेकर 300 रुपए तक है और डिजाईन वाले मटकों कीमत 200 रुपए से लेकर 400 रुपए तक है। जिस कारण गर्मी में गरीब लोगों को इतने महंगे दामों पर मटका खरीदना भी दुश्वार लग रहा है लेकिन मटका खरीदना उनकी मजबूरी है क्योंकि दिन हो चाहे रात लाईट रूठी दुल्हनिया की तरह नखरे दिखाती है। ऐसे में मटका ही लोगों का सहारा है। लोग पेयजल किल्लत के चलते गर्मचश्मा श्री शिवकुंड से बाल्टियों व टोकनियों में गर्म पानी भरकर ला रहे है। पूरा-पूरा दिन बर्तनों में रखकर ठंडा करने के बाद मटके में डालते है। तब कही जाकर मटके में भरे ठंडे पानी से प्यास बुझाकर गला तर कर पाते है। मटके बेचने का काम करने वाले रोहताश प्रजापत आदि का कहना है कि अब मिट्टी बहुत महंगी हो गई है। होडल, पलवल से मिट्टी आ रही है। चाक पर दिन में भीषण गर्मी के चलते काम नही हो पाता। सुबह-शाम के वक्त में मुश्किल से दस मटके बन पाते है। महंगाई का जोर है। इसलिए मटकों की कीमतें भी बढ़ी है। उन्होंने बताया कि उनका पुश्तैनी धंधा धीरे-धीरे खत्म होने लगा है क्योंकि आजकल के बच्चे इस धंधे से हाथ खीच रहे है और खीचे भी क्यों नही क्योंकि इस धंधे में उन्हें आजीविका चलाना भारी पड़ रहा है।
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