अमर शहीद लांसनायक आकाश खटाना की शहादत पर क्षेत्रवासियों ने किए श्रद्धासुमन अर्पित शहीद आकाश खटाना की शहादत पर हरेक को महसूस हो रहा था नाज शहीद आकाश खटाना की वीर गाथा को सुन थमने का नाम नहीं ल
रहे थे लोगों के आंसू लोगों ने गुजरोट, खटानपुरी, सोहना की वीर धरती को किया नमन सोहना,(उमेश गुप्ता): जम्मू के उड़ी सेक्टर में वीरगति पाने वाले शहीद लांसनायक आकाश खटाना का बृहस्पतिवार को यहां पर पूरे राजकीय सम्मान के साथ उनके पैतृक गांव दमदमा में अंतिम विदाई संस्कार किया गया। इस मौके पर भारत का नाम विश्व के मानचित्र पर गौरान्वित करने और हंसते-हंसते अपने प्राणों की आहुति देने वाले शहीद आकाश खटाना को भारतीय सेना व हरियाणा पुलिस के जवानों ने शस्त्र उल्टे कर और उनके सम्मान में हवा में गोलियां दाग गार्ड ऑफ आनर के साथ सलामी दी। तिरंगे में लिपटे लांसनायक आकाश खटाना को अंतिम सलामी देते वक्त राजस्थान के टोंक-सवाई माधोपुर संसदीय क्षेत्र से लोकसभा सांसद चौधरी सुखबीर सिंह जौनापुरिया, मार्किटकमेटी के पूर्व चेयरमैन सुखबीर खटाना रिठौजिया, कामरेड प्रताप सिंह रिठौजिया, कांग्रेस नेता व अंतर्राष्ट्रीय खिलाड़ी रहे पहलवान सतबीर खटाना दमदमिया, राष्ट्रचिंतक व समाजसेवी बलबीर गब्दा, व्यापारमंडल संघ के प्रधान मनोज बजंरगी इलाके के विभिन्न गांवों से आए जनप्रतिनिधि और प्रमुख लोगों के अलावा भारतीय सेना में तैनात और दिल्ली से आए बिग्रेडियर, जिला सैनिक बोर्ड के सचिव के साथ-साथ तथा क्षेत्र के प्रमुखजनों व मौजिजान लोगों ने पुष्प अर्पित किए लेकिन सर्कल एसडीएम, तहसीलदार, नायबतहसीलदार, सदर पुलिस थाना प्रभारी, एसीपी आदि कोई भी अधिकारी शहीद को श्रद्धांजलि देने के लिए नही आया। शहीद के पिता तथा भारतीय सेना से सेवानिवृत चौधरी धर्मराज खटाना के अपने पुत्र लांसनायक आकाश खटाना को मुखाग्नि देते वक्त माहौल गमगीन हो गया। उपस्थित लोगों के भारत माता की जय, जब तक सूरज, चांद रहेगा, राज सिंह तेरा नाम रहेगा और शहीद आकाश खटाना अमर रहे आदि उदघोषों से आकाश बार-बार गुंजायमान होता रहा। भारतीय सेना में कार्यरत शहीद आकाश खटाना का तिरंगे में लिपटा पार्थिव शरीर लेकर आए उनके साथी ने बताया कि लांसनायक आकाश खटाना जम्मू के उड़ी सेक्टर में सेना की 95 फील्ड रेजिमेंट में कार्यरत थे। इससे पूर्व जम्मू के उड़ी सेक्टर से लाए गए शहीद आकाश खटाना के पार्थिव शरीर को दिल्ली स्थित पालम एयरपोर्ट तक विमान द्वारा और एयरपोर्ट से पुष्पों से सुसज्जित एक खुली जीप में उनके पैतृक गांव दमदमा सोहना लाया गया। रास्ते में पडऩे वाले टीकली, इस्लामपुर, बादशाहपुर, गढ़ीमुरली मोड, रिठौज गांव में चौधरी रोहताश खटाना रिठौजिया के फार्म के पास और खटानपुरी समेत रास्ते में पडऩे वाले विभिन्न गांवों के ग्रामीणों ने शहीद आकाश खटाना के अंतिम दर्शन करते हुए उन्हे नमन किया और श्रद्धासुमन अर्पित किए। एक लंबे काफिले के साथ शहीद आकाश खटाना का तिरंगे में लिपटा पार्थिव शरीर जैसे ही गांव दमदमा स्थित उनके निवास पर पहुंचा तो ऐसा लगा कि जैसे पूरा सोहना क्षेत्र ही उमड़ आया है। वहां पर बार-बार शहीद आकाश खटाना तेरा यह सम्मान, याद रखेगा हिंदुस्तान, भारत माता की जय, वंदेमातरम, पाकिस्तान मुर्दाबाद, पाकिस्तान तेरी कब्र खुदेगी-आज नही तो कल खुदेगी के उदघोष गुंजायमान होते रहे। लोगों से भरे दमदमा गांव को आवाजाही वाले रास्तों में हर कोई शहीद लांसनायक आकाश खटाना की वीरता के चर्चा करते नजर आया। तत्पश्चात शहीद आकाश खटाना की शव यात्रा गांव के स्वर्गधाम पहुंची। वहां भारतीय सेना, सैनिक बोर्ड, के साथ-साथ सामाजिक संगठनों से जुड़े लोगों और मौजिजानों ने उन्हें पुष्प अर्पित किए और उनकी शहादत को नमन किया। इस मौके पर आसपास लगते गांवों से आए विशाल हुजूम और भारी जन सैलाब की उपस्थिति में मातमी धुनों के बीच शहीद के पिता के मुखाग्नि और मंत्रोचारण के बाद शहीद का पार्थिव शरीर पंचतत्वों में विलीन हो गया है। बता दें कि दमदमावासियों की अपनी इस वीर की शहादत पर गर्व महसूस हो रहा था तो वही शहीद आकाश खटाना की शहादत से उनके परिजनों विशेषकर बुजुर्ग माता संतोष देवी, धर्मपत्नी रवीता की आंखों से आंसू थमने का नाम नहीं ले रहे थे। अपने इस अमर शहीद सपूत के लिए क्षेत्रवासियों की आंखों में अश्रुधारा बह रही थी। वीर शहीद को श्रद्धांजलि देने वालों का तांता लग गया है। अपने बेटे की शहादत पर गर्व करते हुए शहीद आकाश खटाना की माता संतोष देवी बस रोते हुए एक ही बात कह रही थी कि उन्हे अपने लाडले की शहादत पर गर्व है। शहीद आकाश खटाना का छोटा भाई भी देशसेवा के लिए तैयारी कर रहा है। उनकी तमन्ना है कि वह भी भारतीय सेना में भर्ती होकर दुश्मनों को मुंहतोड़ जवाब दे। शहीद आकाश खटाना के पिता धर्मराज खटाना ने रोते-रोते हुए बताया कि वर्ष-2018 के फरवरी महीने में उनका पुत्र आकाश खटाना भारतीय सेना में भर्ती हुआ था लेकिन इसी दौरान वह डयूटी पर रहते मात्र 22 वर्ष की आयु में शहीद हो गया। उन्हे क्या पता था कि अब आकाश खटाना खुद जिंदा घर लौटने के बजाय उसका पार्थिव शरीर घर लौटेगा। शहीद की मां श्रीमती संतोष देवी के आंसू थमने का नाम नहीं ले रहे थे। शहीद आकाश खटाना की माता श्रीमती संतोष देवी व शहीद के भाईयों ने बताया कि आकाश खटाना में चीते जैसी फुर्ती थी। वह हमेशा यही कहा करते थे कि मैं देश पर कभी आंच नही आने दूंगा। उन्होने कहा कि आकाश खटाना अपने परिवार ही नही पूरे गांव का बहुत ही लाडला था। जब भी वह सेना से छुट्टी लेकर घर पर आता तो गांव के हर घर में मिलता-जुलता था। लोगों के सुख-दुख में शामिल होता था। हरेक को ऐसे सपूत पर गर्व महसूस हो रहा था। गांव की महिला सरपंच संतोष देवी के प्रतिनिधि चौधरी श्योराज खटाना ने कहा कि उनका गांव शहीदों का गांव है। आजादी के पहले से लेकर आज तक गांव के नौजवानों ने देश की शान के लिए अपने प्राण न्यौछावर किए है।
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