सोहना,(उमेश गुप्ता): सुप्रीमकोर्ट के आदेश के बाद गांव खोरी के अरावली वनक्षेत्र में दस हजार से ज्यादा आशियानों पर खतरा मंडरा रहा है तो वही सोहना शहरी व ग्रामीण क्षेत्र में कई सैकड़ों एकड़ कृषि
ोग्य भूमि में अवैध रूप से काटी गई कॉलोनियों में रहने वाले परिवारों की रातों की नींद उड़ गई है और दिन का चैन चला गया है क्योकि पिछले दो दशक से शहरी व ग्रामीण क्षेत्र में कुकरमुत्तों की तरह काटी गई इन अवैध कॉलोनियों में गरीब परिवारों की खून-पसीने की कमाई लगी हुई है। देह शामलात वाली भूमि पर भी अवैध कब्जों और अवैध निर्माणों के मामले में सोहना अव्वल स्थान पर है। अवैध कॉलोनियों में प्लॉट नंबर पर नही बल्कि हिस्सों के जरिए काटे जाते है। ऐसे में जिन लोगों को प्लॉटों का पता नही चलता, वह कॉलोनियों के रास्तों पर ही कब्जा कर लेते है। हालात ये है कि लोगों ने यहां पर जोहड़, नदी, नाले, पहाड़ भी नही छोड़े। पुराने वक्त में सोहना को जोहड़ों, नदी-नालों, पहाड़ों का शहर माना जाता था। जिन पर धीरे-धीरे दबंग और प्रभावशाली लोगों ने कब्जे कर लिए और आज भी जिसे जहां मौका मिलता है, कब्जा करने से बाज नही आ रहा है।
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