सोहना,(उमेश गुप्ता): यहां पर नवज्योति इंडिया फाउंडेशन की तरफ से अंतर्राष्ट्रीय विधवा दिवस पर बुधवार को वर्चुअल कार्यक्रम का आयोजन हुआ, जिसमें अलग-अलग गांवों से महिलाएं ऑनलाइन जुड़ी। इस मौके
र नवज्योति इंडिया फाउंडेशन की डायरेक्टर चांदनी बेदी ने प्रोजेक्ट जीवा के बारे में सभी महिलाओं को अवगत कराया कि प्रोजेक्ट जीवा, नवज्योति इंडिया फाउंडेशन, द लूम्बा फाउंडेशन, एवं विधिक प्राधिकरण की एक पहल है, उन महिलाओं के जीवन में फिर से खुशियां लाने की और उनको आत्मनिर्भर बनाने की, जिन्होंने अपने पति को खो दिया है। इस मौके पर चीफ ज्यूडिशियल मजिस्ट्रेट श्रीमती ललिता पटवर्धन इस सेशन से जुड़ी और उन्होंने महिलाओं के हौसले और नवज्योति को बधाई दी कि वह इस कार्यक्रम को चला रहे है और उन्होंने महिलाओं को हर संभव सहायता करने का भरोसा दिया और महिलाओं को स्वयं सहायता समूह से जुडऩे को बोला। उन्होंने आश्वासन दिया कि पशुपालन विभाग एवं कृषि विभाग को ट्रेनिंग के लिए जोडेंगे ताकि जो लोग पशु पालते है या छोटे लेवल पर खेती करते उनको ट्रेनिंग देकर महिलाएं खुद आगे बढ़ सके। लूम्बा फाउंडेशन से डायरेक्टर अतुल पालटा, हेमंत कुमार और पवन कुमार भी इस ऑनलाइन सेशन में उपस्तिथ थे। अतुल ने महिलाओं को अन्तर्राष्ट्रीय विधवा दिवस हर वर्ष 23 जून को क्यों मनाया जाता है, इस बारे में अवगत कराया। उन्होंने बताया कि यह द लूम्बा फाउंडेशन के संस्थापक लार्ड राजलोम्बा ने इसकी पहल की थी। इन्होने यह अभियान अपने पिता के देहांत के बाद अपनी मां के दुखों को देखते हुए यह फैसला किया और इसका आरम्भ करेगे और इस पर विश्व स्तर पर कार्य किया। तब सयुंक्त राष्ट्र ने 23 जून, 2011 को अन्तर्राष्ट्रीय विधवा दिवस घोषित किया। इसके पश्चात सीमा जसवाल ने महिलाओं को अपनी पहचान ‘मैं कौन हूं’ पर एक सेशन दिया, जिसमे महिलाओं ने बढ़-चढक़र हिस्सा लिया और इस सेशन का आनन्द लिया । इसके बाद महिला एवं बाल कल्याण विभाग से रेखा सोनी जी ने सरकारी स्कीम के बारे में महिलाओं को बताया। इस मौके पर नवज्योति प्रांगण में आई महिलाओं को राशन और हाइजीन किट बांटी गई। इस अवसर किरण जोकि नाईनंगला गांव से जुड़ी और उन्होंने अपने बारे में बताया की नवज्योति से जुडक़र उनको क्या-क्या लाभ हुए। उन्होंने जवैलरी बनाना सीखी और नवज्योति की सहायता से विधवा पेंशन बांध गई। इसी तरह बबिता गांव सहजवास से जुड़ी और उन्होंने बताया कि उनके दो छोटे-छोटे बच्चे है। जिनकी उम्र एक साल और 3 साल है। जिनको वो घर पर छोडक़र नवज्योति आती है और सिलाई करके वह अलग-अलग प्रोडक्ट बनाती है और हर महीने 11 हजार रुपये कमाती है और अपने बच्चों का पालन पोषण करती है। इस कार्यक्रम में समापन सोमदत्त भारद्वाज ने सभी उपस्थिति महिलाओं और उपस्थिति अतिथिगण का धन्यवाद करके दिया। इस मौके पर डीएलएसऐ से पारा लीगल वालंटियर, पैनल एडवोकेट एवं मीनू मौजूद रही।
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