कूड़े के ढेरों पर पेट भरने को मजबूर है गौ माता-नही दे रहा कोई भी ध्यान

Khoji NCR
2021-06-22 12:12:30

सोहना,(उमेश गुप्ता): सोहना में गाय कूड़े के ढेरों पर विचरण कर पेट भरने को मजबूर है। कहने को तो यहां पर कई-कई गौशालाएं चल रही है। बावजूद इसके सुबह से शाम तक शहर में जगह-जगह विशेषकर नगरपरिषद और मार्

किटकमेटी क्षेत्र में कूड़े के ढेरों पर गाय खराब पन्नियों को खाते हुए पेट भरने को मजबूर है। सोहना गौरक्षादल का कहना है कि उनके बार-बार आवाज उठाने के बावजूद नगरपरिषद ना तो बेसहारा गायों को पकड़ रही है और ना ही बाजार में खुली घूम रही इन गायों को रोकने के लिए परिषद की तरफ से पशु फाटक बना रही है। हरियाणा गौसेवा आयोग ने बाजार में खुली घूमने वाली बेसहारा गायों को पकडऩे के लिए कानून बनवाया है। गौसेवा आयोग के चेयरमैन रहे भानीराम मंगला का कहना है कि कानून कहता है कि नगरपरिषद पुलिस प्रशासन और मेन पावर को साथ लेकर बेसहारा गायों को पकड़े और गौशाला भिजवाए। इन गायों के चारे आदि का प्रबंधन गौसेवा आयोग की तरफ से होगा। यदि कोई व्यक्ति किसी गाय का मालिक बनकर उसे लेने आए तो उससे 150 रुपए प्रतिदिन चारे खर्चा के हिसाब से और 5100 रुपए का अर्थ दंड वसूल कर गौशालाओं में जमा कराया जाए। यदि दोबारा से वही गाय पकड़ में आए तो उन्हे किसी भी कीमत पर मालिक को वापिस ना लौटाया जाए। गांव दमदमाढाणी के रहने वाले गौभक्त कृष्ण खटाना, दलित समाज के नेता हरपाल सिंह, मनोज अवाना, सोहना बार एसोसिएशन के पूर्व प्रधान देवदत्त शर्मा एडवोकेट का कहना है कि मुख्यमंत्री मनोहरलाल सरकार गायों की सुरक्षा के लिए गंभीर है। गायों की सुरक्षा के लिए कड़े कानून बनाए गए है लेकिन यहां पर नगरपरिषद प्रशासन बेसहारा गायों को पकडऩे की बजाय कुंभकर्णी नींद में सोया हुआ है। जिस कारण गायों की दुर्दशा हो रही है जबकि हिंदू धर्म में गाय को गौ माता का दर्जा दिया गया है। मुस्लिम समाज के कई लोग भी गौरक्षा के लिए आगे आए है। फिर भी गायों की यहां पर हो रही दुर्दशा को देख गौ भक्तों का दिल रोता है क्योंकि यहां पर कई ऐसे लोग है, जिन्होने दूध बेचने के लिए डेयरी खोली हुई है और उसमें सैकड़ों से ज्यादा गाय है लेकिन चंद पैसों के लालच में ये डेयरी संचालक भोर सवेरे गायों का दूध निकालने के बाद उन्हे चराने अथवा चारा उपलब्ध कराने की बजाय बाजार में खुला छोड़ देते है, जो कूड़े, कचरे के ढेरों पर मुंह मारती है और प्लास्टिक की पन्नियां व कूड़े, कचरे को खाकर अपनी पेट की भूख मिटाने को मजबूर है। कूड़ा, कचरा खाने पर उस वक्त तो इन भूखी गायों की भूख मिट जाती है लेकिन धीरे-धीरे यह बीमार हो जाती है। इनकी सही से देखरेख तक नही होती। ऐसे में ये अकाल मौत का ग्रास बन जाती है। गौभक्तों का कहना है कि सोहना नगरपरिषद के पास अपनी मल्कियत वाली 1800 एकड़ भूमि पड़ी है। सालाना करोड़ों रुपए का बजट है। खजाने में पैसे की कोई कमी नही है। फिर भी नगरपरिषद ना जाने क्यो गायों की तरफ से आंखें मूंदे हुए बेरूखी अपना रही है और बेसहारा पशुओं विशेषकर पूरा-पूरा दिन बाजार में घूमने वाली गायों को रोकने के लिए पशु फाटक नही बनवा रही है। गौभक्तों का कहना है कि वह जल्द ही इस मामले को लेकर नगरपरिषद के कार्यकारी अधिकारी संदीप मलिक से मिलेंगे और मांग करेंगे कि सोहना में नगरपरिषद की तरफ से पशु फाटक बनवाया जाए। नगरपरिषद प्रशासन पुलिस प्रशासन और मेन पावर को साथ लेकर बेसहारा गायों और आवारा पशुओं को पकडऩे के लिए नियमित रूप से प्रभावी तरीके से अभियान चलाए। जिन लोगों ने गाय पाल रखी है, उनकी पहचान के लिए पशुपालन विभाग से गाय के ऊपर मल्कियत संबंधी कोई निशान अथवा छोटा बैज लगाया जाए ताकि बाजार में खुली घूमने वाली गाय पकड़ में आने पर ही मौके पर ही तुरंत यह पहचान हो सके कि यह गाय किसकी है और जिसकी गाय खुली घूमती बाजार में मिले, उसके खिलाफ लापरवाही का मामला पुलिस में दर्ज कराया जाए ताकि गौ माता की बेकद्री ना हो। लोगों की भावनाएं आहत ना हो।

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