पाकिस्तान के खिलाफ बोलने वाली गुलालई इस्माइल हुई आलोचनाओं का शिकार, पुरस्कार मिलने पर मची खलबली

Khoji NCR
2021-06-22 08:23:03

इस्लामाबाद,। पाकिस्तान में एक बार फिर से पश्तून तहफुज आंदोलन (PTM) की नेता और महिला अधिकार कार्यकर्ता गुलालई इस्माइल (Gulalai Ismail) को आलोचनाओं का शिकार होना पड़ा। दरअसल, जेनेवा समिट फॉर ह्यूमन राइट्स

ंड डेमोक्रेसी (Geneva Summit for Human Rights and Democracy) द्वारा पाकिस्तान में महिलाओं को सशक्त बनाने के लिए कारावास और यातना से बचने के लिए उन्हें पुरस्कार दिया गया है। जिसके बाद पाकिस्तान में एक बार से बहस छिड़ गई। इसके साथ ही यह पुरस्कार मिलने के खिलाफ गुलालई के खिलाफ आलोचना का दौर शुरू हो गया। पाकिस्तान का कई मुद्दों को लेकर कर चुकी हैं विरोध मानवाधिकार कार्यकर्ता गुलालई इस्माइल का विरोध इसलिए किया जा रहा कि क्योंकि वह कई बार पाकिस्तान का कई मुद्दों को लेकर विरोध कर चुकी है। ऐसे में यह पुरस्कार मिलने के बाद उन्हें आलोचना झेलनी पड रही है। डेली पाकिस्तान के मुताबिक, ट्विटर पर इस पुरस्कार को लेकर कई कार्यकर्ता और संगठनों ने उनकी खिंचाई की है। एक सोशल मीडिया यूजर ने लिखा,' जो पाकिस्तान के खिलाफ होते हैं वो उन्हें पुरस्कार देते हैं क्योंकि वह जानते हैं कि देशद्रोहियों के माध्यम से ही पाकिस्तान को कमजोर किया जा सकता है, लेकिन लड़ाई से नहीं। विशेषज्ञ ने दोहराते हैं हुआ कहा ऐसा पहली बार नहीं हुआ है क्योंकि अधिकांश पाकिस्तानियों को राज्य के खिलाफ आलोचना पसंद नहीं है, उनका कहना है कि यह भी सच है कि अधिकारियों को भी यह पसंद नहीं है। इतना ही नहीं ऐसे कई मामले है जब कार्यकर्ता और विरोधियों की आवाज को जबरन चुप कराया गया है, लेकिन ऐसी हरकतें विपक्ष को और अधिक मजबूत बनाती हैं क्योंकि ऐसी घटनाओं के बाद हर कोई उनके बारे में अच्छे से वाकिफ है। पाकिस्तानी आर्मी ने लड़कियों और लड़कों के साथ किया दुष्कर्म- गुलालई बता दें कि इससे पहले गुलालई इस्माइल ने सेना के खिलाफ अपनी बात रखी थी। इसके साथ ही उन्होंने दावा किया था कि पाकिस्तानी सेना ने आतंकवादियों के खिलाफ एक ऑपरेशन के दौरान लड़कियों और लड़कों के साथ दुष्कर्म किया था। पीटीएम नेता मोहसिन डावर ने दी बधाई देश में गुलालई इस्माइल की आलोचना के बाद पीटीएम नेता मोहसिन डावर ने उन्हें पुस्कार मिलने के लिए बधाई देते हुए कहा, 'वास्तव में आप इसके योग्य है। अपने परिवार के निरंतर उत्पीड़न के बावजूद आप हमारे अधिकारों के लिए अपने संघर्ष में मजबूती से खड़ी हैं। पख्तूनख्वा को आप पर गर्व है'।

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