सोहना को नही मिली छुटटा पशुओं से निजात-जाम में सहायक बन सडक़ हादसों को बढ़ावा दे रहे है पशु

Khoji NCR
2020-12-02 11:44:14

सोहना,(उमेश गुप्ता): सोहना शहर को आवारा पशुओं से मुक्त करने के दावे यहां पर नगरपरिषद प्रशासन की बरती जा रही अनदेखी और लापरवाही के चलते नाकाम साबित हो रहे है। उपायुक्त की माने तो प्रशासन ने दिसं

र-2020 तक सोहना समेत पूरे जिले को आवारा पशुओं से मुक्त करने का लक्ष्य रखा गया है। जागरूक लोगों का कहना है कि अन्य स्थानों पर तो पशुओं को पकड़ कर गौशालाओं में भेजने के लिए अभियान चलाए गए लेकिन सोहना शहर में लोगों के बार-बार आवाज उठाने के बाद भी नगरपरिषद अभियान चलाना तो दूर अभी तक शुरू ही नही कर पाई है। जिससे नगरपरिषद की कार्यप्रणाली पर उंगलियां उठ रही है और हरियाणा गौसेवा आयोग चेयरमैन व उपायुक्त के दिए गए निर्देश यहां पर नगरपरिषद प्रशासन की बरती जा रही लापरवाही व मनमानी के आगे बौने और कागजी बनकर रह गए है और आज भी आवारा पशु पूरा-पूरा दिन सडक़ों पर घूम रहे है, जो जाम लगाने में सहायक बन रहे है तो हादसे भी हो रहे है। कई बार दोपहिया वाहन चालक इन पशुओं के हमले में घायल हो चुके है तो कई राहगीर इनकी चपेट में आकर अस्पताल पहुंच चुके है। यह आवारा पशु राहगीरों पर हमला करने और दुकानदारों के खानपान की वस्तुओं में मुंह मारने बाज नही आ रहे है। व्यापारियों की माने तो शहर में लगभग सभी सडक़ों पर आजकल आवारा गायों की भरमार है। देखने में आ रहा है कि यह गाय ऐसे लोगों की है, जो सुबह के वक्त इनका दूध निकाल लेते है। उसके बाद इन्हें हरा चारा उपलब्ध कराने की बजाय खूंटे से खोल देते है। जिस कारण यह गायें यहां पर बाजार, गली, मोहल्ले, वार्डों में पूरा दिन विचरती रहती है। ताज्जुब तो यह है कि दिन के वक्त आवारा घूमने वाली इन गायों का अनाजमंडी, सब्जीमंडी, शहर का दिल कहलाने वाले शहीद भगत सिंह चौक, पुराना बसअड्डा, महाराजा अग्रसेन पार्क, लेबर चौक, गर्मचश्मा शिवकुंड, पुराना तहसील कार्यालय, बसअडडा रोड और नगरपरिषद कार्यालय के सामने जमावड़ा लगा रहता है। 8 से लेकर 15-15 की तादाद में झुंड बनाकर चलने वाली ये गायें अपनी भूख मिटाने के लिए इधर-उधर मुंह मारती है। कूड़े-कचरे के ढेर में प्लास्टिक की पॉलीथीन तक भूख के चक्कर में गाय खा जाती है। कई बार तो राहगीरों के थैले झपट उनका सामान तक बिखेर देती है तो कई बार बच्चे इनकी चपेट में आकर चोटग्रस्त हो चुके है। ताज्जुब तो यह है कि दिन भर शहर में आवारा घूमने वाली इन गायों की तरफ ना तो स्थानीय नगरपरिषद प्रशासन ही ध्यान दे रहा है और ना ही अपने को गौप्रेमी कहलाने वाले कार्यकर्ता अथवा गऊशालाएं संचालित करने वाली संस्थाएं। देखने वाली बात ये है कि पहले भी यहां पर दिन व रात के वक्त घूम रही इन आवारा गायों को कई बार रात के वक्त अथवा मुंह अंधेरे गौतस्कर गाडिय़ों में भरकर ले जा चुके है। गौभक्तों का कहना है कि गौतस्करों के गायों को गाड़ी में चढ़ाते वक्त गौतस्करी में लोग फौहाराचौक, अनाजमंडी, सब्जीमंडी, हनुमानबगीची आदि स्थानों के साथ-साथ चौकीदारों तक पर नुकीले पत्थरों की बौछार कर जानेलवा हमला

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