इस्लामाबाद । आतंकियों का वित्तीय तौर पर पोषण करने वाला पाकिस्तान तीन वर्ष पहले जून 2018 में फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स (वित्तीय कार्रवाई कार्य बल) द्वारा ग्रे सूची में डाला गया था। तीन
र्ष बाद भी पाकिस्तान इसी सूची में बरकरार है। पाकिस्तान की कोशिश जहां इस निगरानी सूची से निकलने की है, वहीं कई देशों की कोशिश है कि पाकिस्तान द्वारा आतंकियों को पोषण किए जाने के खिलाफ उसको काली सूची में डाला जाए। आपको बता दें कि पाकिस्तान एशिया प्रशांत ग्रुप का सदस्य है। ये एफएटीएफ की क्षेत्रीय शाखा है। हाल ही में इसकी बैठक में पाकिस्तान का इनहैंस्ड फालोअप का दर्जा बरकरार रखे जाने की सिफारिश की है। इसके बाद ये काफी हद तक साफ हो गया है कि पाकिस्तान फिलहाल कुछ और माह या साल तक इसी ग्रे सूची में बना रहेगा। एपीजी की बैठक में ये माना है कि पाकिस्तान न सिर्फ आतंकी गतिविधियों पर लगाम लगाने में नाकामयाब रहा है बल्कि आर्थिक अपराधों को रोकने के लिए भी वो इतने वर्षों में कोई प्रभावी तंत्र विकसित नहीं कर पाया है। ऐसे में पाकिस्तान की कथनी और करनी में अंतर भी साफतौर पर दिखाई दे रहा है। एपीजी ने पाकिस्तान को जिन 40 बिंदुओं पर काम करके आतंकियों पर लगाम लगाने को कहा था उसको पूरा करने में वो पूरी तरह से विफल साबित हो रहा है। एपीजी ने इस संबंध में जारी अपनी दूसरी रिपोर्ट में कहा है कि पाकिस्तान ने केवल पांच मामलों में अब तक अनुपालन किया है जबकि एपीजी के 15 बिंदुओं पर वो अभी काम ही कर रहा है जबकि एक बिंदु पर तो न के ही बराबर काम हुआ है। इस संस्था ने पाकिस्तान का इन बिंदुओं पर दोबारा मूल्यांकन किया था। पाकिस्तान के अखबार द डॉन के मुताबिक सरकार एपीजी की बताई 7 सिफारिशों को पूरा कर चुका है जबकि 24 पर अभी काम चल रहा है। वहीं दो बिंदुओं पर अभी कुछ भी नहीं हुआ है। अखबार के मुताबिक पाकिस्तान एपीजी की 40 सिफारिशों में से 31 पर फिलहाल काम कर रहा है। हालांकि इन बिंदुओं के बारे में पाकिस्तान को अक्टूबर 2020 तक अपनी रिपोर्ट सौंपनी थी। अखबार का कहना है कि हो सकता है कि संस्था की आने वाली बैठक में इन रिपोर्ट पर विचार किया जाए। देश के ऊर्जा मंत्री हम्माद अजहर का कहना है कि पाकिस्तान के इस बाबत किए गए प्रयास ये साबित करते सरकार इस तरफ ईमानदारी से काम कर रही है। उन्होंने संस्था द्वारा पाकिस्तान का दोबारा मूल्यांकन किए जाने पर भी खुशी जताई है।
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