सोहना,(उमेश गुप्ता): यहां पर गांव फाजिलपुर में रहने वाले प्रमुख समाजसेवी कोरोना योद्धा रोहताश बेदी ने घर पर ही रहकर कोरोना से जंग जीत ली। रोहताश बेदी की माने तो उन्होने कोरोना संक्रमित होने पर
आइसोलेशन में रहते हुए नकारात्मकता को छोड़ सकारात्मकता से नाता जोडा व कोरोना संक्रमण से लड़ाई लड़ते रहे। उन्होने बताया कि हालांकि मीडिया में आए दिन लगातार आ रही नकारात्मक खबरों से मन विचलित होता रहा पर हिम्मत नही हारी। रोहताश बेदी ने बताया कि जैसे ही उन्हे पता चला कि वो कोरोना संक्रमित हो गए है तो उन्होने अपने बड़े भाई डाक्टर कृष्ण बेदी व परमजीत बेदी की सलाह पर खुद को घर पर ही आइसोलेट कर दवाइयां लेनी शुरू कर दी। बीच मे तबीयत ज्यादा खराब हुई तो परिवार को भी घबराहट होने लगी। जब आक्सीजन की जरूरत पड़ी तो रोहताश बेदी के एक दोस्त लाल सिंह यादव ने आक्सीजन सिलेंडर भी भेज दिए। दिक्कत तब ज्यादा सामने आने लगी, जब रोहताश बेदी के मामा और उनके मंझले पुत्र कोरोना संक्रमित होने पर अकाल मौत का ग्रास बन गए। रोहताश बेदी अभी मामा और उनके मंझले पुत्र की मौत के सदमे से उबर भी नही पाए कि चंद दिनों बाद सदमे से मामा की पुत्री व दामाद भी अकाल मौत के मुंह में चले गए। कोरोना योद्धा रोहताश बेदी ने बताया कि मुझे दूसरा जीवन देने में मेरे पिताजी 1965 की लड़ाई के बहादुर योद्धा बलबीर सिंह बेदी, मां श्रीमती धौला देवी, मेरी धर्मपत्नी श्रीमती सविता बेदी, मेरी बेटी भारती बेदी व बेटा निर्भय बेदी उनसे वीडियो कॉल के जरिए संपर्क कर उनकी हौसलाअफजाई करते रहे। इतना ही नही उनके दिलों-दिमाग से नकारात्मक सोच को भगाने में पौत्र क्यान बेदी, पौत्री क्यारा बेदी का अहम योगदान रहा। ये दोनों दिन में कई-कई बार वीडियो कॉल के जरिए उनसे बातचीत कर दूर से ही मेरा मन बहलाते रहते थे। जिससे मेरा ध्यान बंट जाता लेकिन समय बहुत खराब चल रहा था। एक-एक करके बेदी परिवार के ग्यारह रिश्तेदार और जान-पहचान वाले इस महामारी में चले गए। खबर सुनकर दिल कमजोर पड़ता जा रहा था। इसी बीच दूसरी रिपोर्ट नेगेटिव आई तो परिवार का हौंसला बढ़ा और धीरे-धीरे सेहत में सुधार भी होने लगा। कोरोना से तो जंग जीत गए लेकिन अभी कमजोरी आने के कारण व डॉक्टर की सलाह पर अभी घर से निकलना मना है। परिवार की सबसे बड़ी खासियत ये रही कि इस बीच बेदी परिवार की सामाजिक सेवा नही रुकी। ट्रैक्टर के सैनेटाइजेशन की मशीन तैयार कर सेवा में लगा दी। पचास दिनों से मास्क वितरण, जरूरतमंद को भोजन व जो मदद सम्भव हो सकी, उसको उन्नीस साल के युवा कोरोना योद्धा निर्भय बेदी ने रुकने नही दिया। जैसे-जैसे बीमारी बढ़ रही थी, वैसे-वैसे सेवाभाव कार्य भी ज्यादा परवान चढ़ता गया। इस बीच बेदी परिवार ने सैनेटाइजेशन के लिए एक ओर हाईप्रेशर स्प्रे मशीन तैयार कर सेवा में लगा दी। पिता बीमार, रिश्तेदार चल बसे पर दादा जी के आदेशानुसार पौत्र देश सेवा में लगा रहा।
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