अस्पतालों के लिए छोड़ी गई जगहों पर खड़ी हो गई आलीशान बिल्डिंगें

Khoji NCR
2021-06-04 08:28:32

सोहना,(उमेश गुप्ता): अस्पतालों के लिए छोड़ी गई जगहों पर बिल्डरों ने रातोंरात आलीशान बहुमंजिला बिल्डिंगें खड़ी कर दी और ताज्जुब की बात ये है कि यह सारा कार्य प्रशासन की नाक के नीचे बेरोकटोक चलत

ा रहा और प्रशासन को इस बात की भनक भी नही लग पाई कि अस्पतालों के लिए छोड़ी गई जगहों पर बिल्डरों ने रातोंरात आलीशान बहुमंजिला बिल्डिंगें खड़ी कर दी गई है। ऐसे में अब संबंधित विभागों के अधिकारियों की कार्यप्रणाली आम जनमानस के बीच संदेह के घेरे में आ रही है। लोगों में यह चर्चाएं भी जोरों पर चल रही है कि कही बिल्डर और अधिकारी गठजोड़ तो काम नही कर रहा है। अन्यथा क्या कारण है कि अधिकारियों की नाक के नीचे अस्पतालों के लिए छोड़ी गई जगहों पर रातोंरात आलीशान बहुमंजिला बिल्डिंगें खड़ी हो गई और संबंधित अधिकारियों को इस बात की कानोंकान खबर तक नही लगी। इस बात का खुलासा भी उस वक्त हुआ, जब कोरोनाकाल में पिछले दिनों कोविड अस्पताल बनाने के लिए प्रशासनिक अधिकारियों ने जमीन तलाशने का अभियान चलाया और उपायुक्त ने एचएसवीपी और जिला योजनाकार से जानकारी मांगी। तब इस बात का खुलासा हुआ कि अस्पतालों के लिए जो स्थान रिजर्व किए थे, उनमें से अठाईस स्थानों पर अस्पताल बनाने की बजाय आलीशान बहुमंजिला इमारतें खड़ी है। देखा जाए तो सरकार के निर्देशानुसार हर लाइसेंसी कॉलोनी तथा सेक्टर में सामुदायिक भवन, खेल मैदान, शिक्षा विद्यालय, औषधालय आदि के लिए जमीन छोडऩे का प्रावधान है लेकिन कई बिल्डरों ने इन कार्यों के लिए छोड़ी गई जमीन को अधिक दामों में बेचकर मोटा मुनाफा कमाया। जैसे ही उपायुक्त के पास यह रिपोर्ट आई तो उपायुक्त भी एक बार तो सकते में रह गए। उपायुक्त डाक्टर यश गर्ग ने तुरंत इस मामले में विस्तृत रिपोर्ट मांगी है, जिसमें कहा गया है कि गुरूग्राम व मानेसर के सभी सेक्टरों में कितने स्थानों पर अस्पताल व डिस्पेंसरी बनाने के लिए जमीन छोड़ी गई थी। अब वहां पर क्या स्थिति है? इन स्थानों पर अस्पताल व डिस्पेंसरी की बजाय आलीशन बिल्डिंगे कैसे बन गई और इसी तर्ज पर खेल के मैदान व स्टेडियम के लिए छोड़ी गई भूमियों के बारे में भी पूरी जानकारी मांगी गई है। लोगों में चर्चाएं है कि यदि इस प्रकरण में विस्तृत जांच की जाए तो अस्पतालों खेल के मैदानों और सामुदायिक भवनों, स्कूलों के लिए छोड़ी गई भूमि पर अवैध निर्माण करने वाले स्थानों की संख्या इससे भी कही ज्यादा हो सकती है। जागरूक लोगों का कहना है कि इस पूरे मामले की निष्पक्षतापूर्वक उच्चस्तरीय जांच होनी चाहिए ताकि सच्चाई सामने आए और जो भी दोषियान हो, उनके खिलाफ विभागीय व कानूनी कार्रवाई का रास्ता खुले।

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