तैयार करने के करीब पहुंचा चीन, अमेरिका समेत कई दूसरे देश भी इस प्रयोग में लगे

Khoji NCR
2021-06-01 07:52:32

बीजिंग । अंतरिक्ष में लगातार आगे कदम बढ़ा रहा चीन अब जल्‍द ही एक और कामयाबी अपने नाम कर सकता है। दरअसल, चीन एक ऐसा कृत्रिम सूरज बनाने से चंद दूर है तो कमोबेश असल सूरज की ही तरह रोशनी दे सकेगा। ची

इसको लेकर जो प्रयोग कर रहा है कि उसमें उसने अपने एक रिएक्‍टर पर 101 सेकेंड के लिए करीब 120 मिलियन डिग्री सेल्सियस का तापमान देखा है। आपको बता दें कि पिछले परिणाम की तुलना में ये तापमान करीब 5 गुना अधिक रहा है। इस प्रयोग के दौरान जो परिणाम चीन के वैज्ञानिकों को हासिल हुए हैं वो अविश्‍वसनीय बताए जा रहे हैं। कहा जा रहा है कि परमाणु सलंयन ऊर्जा बनाने की दिशा में एक महत्‍वपूर्ण कदम है। आपको बता दें कि इसी तरह का प्रयोग करने में अमेरिका, रूस, दक्षिण कोरिया और यूरोप भी लगा हुआ है। उनका कहना है कि 120 मिलियन डिग्री की अविश्‍वसनीय उपलब्धि के बावजूद 160 मिलियन डिग्री का तापमान पाया गया, जो करीब 20 सेकेंड तक रहा। उनका कहना है कि यदि इस ऊर्जा को स्रोत के तौर पर इस्‍तेमाल करना है तो इसको और अधिक समय तक बनाए रखने की जरूरत होगी। अब गली बार वैज्ञानिक फ्यूजन रिएक्‍श्‍न का इस्‍तेमाल करेंगे जिससे चार गुना अधिक ऊर्जा पैदा की जा सकेगी। गौरतलब है कि मैसाच्युसेट्स इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी और कॉमनवेल्थ फ्यूजन सिस्टम कंपनी भी इसका प्रयोग काफी समय से कर रही है। हाल के प्रयोगों में इसके लिए फ्यूजन और फीजन का प्रयोग किया जा रहा है। वैज्ञानिकों का ये भी कहना है कि इससे न सिर्फ कृत्रिम रोशनी मिल सकेगी बल्कि ये पर्यावरण के लिहाज से सुरक्षित भी होगी। इस पूरी प्रक्रिया को समझना काफी आसानी है। दरअसल ब्रह्मांड में फ्यूजन एनर्जी का एक सोर्स है। इसी सोर्स का इस्‍तेमाल करते हुए ब्रह्मांड में सूर्य और तारे ऊर्जा उत्पन्न करते हैं। इस प्रक्रिया में जब हल्के कण जबरदस्‍त दबाव और अत्‍यधिक तापमान पर आपस में मिलते हैं तक ये एक भारी पदार्थ का अणु बनाते हैं और काफी ऊर्जा पैदा करते हैं। वैज्ञानिकों का कहना है कि सितारों में सामान्यत: सबसे हल्का कण हाइड्रोजन होता है जो फ्यूजन के बाद हिलियम बनाता है। वैज्ञानिक ये भी मानते हैं कि जिस प्रयोग को वो कर रहे है सूरज को किसी डब्बे में बंद करने जैसा ही है।

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